देश में जातिगत गणना और जनगणना कराने की आधिकारिक अधिसूचना सोमवार को जारी कर दी गई। यह जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। इसके लिए मोबाइल एप तैयार किए जाएंगे और उसी में जनगणना से जुड़ी सभी जानकारी एकत्र की जाएगी।
By: Prafull tiwari
Jun 16, 202510 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार बेव
देश में जातिगत गणना और जनगणना कराने की आधिकारिक अधिसूचना सोमवार को जारी कर दी गई। यह जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। इसके लिए मोबाइल एप तैयार किए जाएंगे और उसी में जनगणना से जुड़ी सभी जानकारी एकत्र की जाएगी। एप 16 भाषाओं में उपलब्ध होंगे। दरअसल, देश को लंबे समय से जनगणना का इंतजार था और आखिर समय आ गया है जब यह प्रक्रिया शुरू हो गई है। गृह मंत्रालय ने सोमवार को जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जनगणना और जातीय जनगणना से संबंधित आफिशियल गैजेट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके बाद अब जनगणना से जुड़ी विभिन्न एजेंसियां सक्रिय हो जाएंगी। पहले स्टाफ की नियुक्ति, ट्रेनिंग, फॉर्मेट तैयार करना और फील्ड वर्क की प्लानिंग की जाएगी। देश में पहली बार जनगणना और जातिगत जनगणना एक साथ कराई जा रही है।
हिमालयी और विशेष भौगोलिक हालात वाले राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड में यह प्रक्रिया अन्य राज्यों से पहले अक्टूबर 2026 तक पूरी कर ली जाएगी। इन इलाकों में मौसम की कठिनाइयों और दुर्गम क्षेत्रों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। इन राज्यों के लिए एक अक्टूबर 2026 को रेफरेंस डेट माना जाएगा।
जनगणना की प्रक्रिया दो फेज में पूरी होगी। पहला चरण एक अक्टूबर 2026 तक पूरा किया जाएगा, जबकि दूसरा और अंतिम चरण एक मार्च 2027 तक पूरा होगा। इसके लिए एक मार्च 2027 की मिड नाइट को रेफरेंस डेट माना जाएगा, यानी उस समय देश की जनसंख्या और सामाजिक स्थिति का जो भी आंकड़ा होगा। वही रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। इस दिन के बाद से आंकड़े सार्वजनिक रूप से सामने आने लगेंगे।
जनगणना की पूरी प्रक्रिया एक मार्च 2027 तक खत्म हो जाएगी, जो लगभग 21 महीनों में पूरी होगी। जनगणना का प्राइमरी डेटा मार्च 2027 में जारी हो सकता है, जबकि डिटेल डेटा जारी होने में दिसंबर 2027 तक का वक्त लगेगा। इसके बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन 2028 तक शुरू होने के आसार हैं। इस दौरान महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण भी लागू किया जा सकता है। यानी 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले-पहले महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की तस्वीर साफ हो सकती है।
जनगणना के बाद परिसीमन आयोग का गठन किया जाएगा ताकि आबादी के हिसाब से लोकसभा सीटों का बंटवारा हो सके। इसे लेकर दक्षिण के राज्यों में परेशानी बढ़ी हुई है क्योंकि वहां उत्तर भारतीय राज्यों के मुकाबले आबादी कम है। ऐसे में उन्हें डर हैं कि सीटें घट जाने से लोकसभा में उनका प्रतिनिधित्व कम हो सकता है। ऐसे में सरकार को परिसीमन पर काफी विचार-विमर्श करना होगा। हालांकि सरकार ने भरोसा दिया है कि परिसीमन की प्रक्रिया में दक्षिणी राज्यों की चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा।
जनगणना से पहले प्रोफॉर्मा तैयार किया जाता है। इसमें हाउसिंग सेंसस और पॉपुलेशन सेंसस के लिए प्रश्नावली (प्रोफॉर्मा) को अंतिम रूप दिया जाएगा। इस बार जाति और संप्रदाय से संबंधित सवाल शामिल हो सकते हैं। इस बार की जनगणना में करीब 34 लाख कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं, जिनकी ट्रेनिंग होगी और इसके बाद पर्यवेक्षक भी नियुक्त किए जाएंगे। इनका प्रशिक्षण दो महीने तक चलेगा, जिसमें डिजिटल डिवाइस और मोबाइल ऐप्स का इस्तेमाल करना सिखाया जाएगा।
डिजिटल प्रोसेस के अलावा इस बार जनगणना में जातिगत गणना भी शामिल होगी। इससे पहले भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से जुड़ी जानकारी मांगी जाती थी लेकिन अन्य जातियों के बारे में जनगणना के दौरान जानकारी नहीं ली जाती थी, लेकिन इस बार हर व्यक्ति को अपनी जाति बताने का आप्शन दिया जाएगा, जो कि लंबे वक्त से चली आ रही मांग का हिस्सा है। 1931 के बाद ये पहली बार होगा जब जातिगत जनगणना, जनगणना का हिस्सा होगी।