दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर बैन लगाने के फैसले को लेकर अब बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। दिल्ली के उपराज्यपाल ने फैसले को लेकर सरकार को चिट्ठी लिखी है। साथ ही यह भी कहा है कि दिल्ली के प्रतिबंधित वाहन अन्य शहरों जैसे मुंबई, चेन्नई या अहमदाबाद में पूरी तरह वैध माने जाते हैं।
By: Arvind Mishra
Jul 06, 202520 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर बैन लगाने के फैसले को लेकर अब बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। दिल्ली के उपराज्यपाल ने फैसले को लेकर सरकार को चिट्ठी लिखी है। साथ ही यह भी कहा है कि दिल्ली के प्रतिबंधित वाहन अन्य शहरों जैसे मुंबई, चेन्नई या अहमदाबाद में पूरी तरह वैध माने जाते हैं। यह संविधान में उल्लेखित समानता और स्पष्टता के सिद्धांत के विरुद्ध है। इसलिए फैसले को स्थगित किया जाए। दरअसल, दिल्ली में 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों (ईओएल गाड़ियों) पर प्रतिबंध लगाने की योजना को लेकर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखते हुए इस फैसले पर गंभीर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली ऐसे किसी भी प्रतिबंध के लिए अभी तैयार नहीं है। सरकार के इस फैसले से आम लोगों, खासतौर पर मध्यम वर्ग बर्बाद हो जाएगा। उसे भारी नुकसान उठाना पडेÞगा। यह फैसला सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से उचित नहीं है। मध्यम वर्ग अपनी जीवनभर की कमाई से गाड़ी खरीदता है और ऐसी गाड़ियों को अचानक अमान्य घोषित करना व्यवहारिक नहीं है। एलजी ने सीएम रेखा गुप्ता से उक्त आदेश को स्थगित रखने के लिए कहा है।
एलजी केंद्र सरकार की सीएक्यूएम द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की व्यवहारिकता पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने दिल्ली सरकार से सुप्रीम कोर्ट में 2018 के आदेश की दोबारा समीक्षा के लिए याचिका दायर करने को कहा है। एलजी का कहना है कि दिल्ली ऐसे प्रतिबंधों के लिए तैयार नहीं है। इससे लोगों को भावनाएं जुड़ी हैं।
एलजी सक्सेना ने यह भी कहा कि यह दिशा-निर्देश केवल दिल्ली जैसे शहरों पर लागू कर दिए गए हैं, जबकि वही वाहन अन्य शहरों जैसे मुंबई, चेन्नई या अहमदाबाद में पूरी तरह वैध माने जाते हैं। यह संविधान में उल्लेखित समानता और स्पष्टता के सिद्धांत के विरुद्ध है।
एलजी ने मुख्यमंत्री से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2018 के उस आदेश की समीक्षा के लिए पुन: याचिका दायर की जाए जिसमें इन वाहनों को डी-रजिस्टर करने की बात कही गई थी। इसके साथ ही सीएक्यूएम के अध्यक्ष से इस दिशा-निर्देश के अमल को स्थगित करने का भी अनुरोध करने को कहा है। एलजी ने यह भी बताया कि उन्हें इस फैसले के खिलाफ हजारों नागरिकों, विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों से प्रतिक्रिया मिली हैं, जिनका मानना है कि यह नीति ग्राउंड लेवल पर लागू नहीं की जा सकती। इसका वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में प्रभावी योगदान संदिग्ध है।