विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। जयशकंर ने कहा-भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के मुद्दे पर हम किसी भी तरह की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते हैं। 1970 के दशक से आज पचास साल बीत चुके हैं और ये एक राष्ट्रीय सहमति है।
By: Arvind Mishra
Aug 23, 202522 minutes ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। जयशकंर ने कहा-भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के मुद्दे पर हम किसी भी तरह की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते हैं। 1970 के दशक से आज पचास साल बीत चुके हैं और ये एक राष्ट्रीय सहमति है। जब व्यापार की बात आती है, किसानों के हितों की बात आती है, जब हमारी रणनीतिक स्वायत्तता की बात आती है, जब मध्यस्थता के विरोध की बात आती है, तो यह सरकार बहुत स्पष्ट है। दरअसल, भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम कराने का दावा कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आईना दिखाया। विदेश मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि हमने पाकिस्तान के मामले में कभी भी किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की। पाकिस्तान के साथ मध्यस्थता को लेकर भारत का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है और आगे भी रहेगा। एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि अगर कोई हमसे असहमत है, तो भारत के लोगों को बताए कि क्या वे किसानों के हितों की रक्षा के लिए तैयार नहीं हैं। क्या वे रणनीतिक स्वायत्तता को महत्व नहीं देते हैं। लेकिन हम देते हैं। इसे बनाए रखने के लिए हमें जो कुछ भी करना होगा, हम करेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि हमने कभी ऐसा कोई अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं देखा, जिसने विदेश नीति को ट्रंप की तरह सार्वजनिक रूप से संचालित किया हो। यह बदलाव केवल भारत तक सीमित नहीं है। राष्ट्रपति ट्रंप का दुनिया के साथ व्यवहार करने का तरीका, यहां तक कि अपने देश के साथ व्यवहार करने का तरीका, पारंपरिक रूढ़िवादी तरीके से बहुत बड़ा बदलाव है। मैं कुछ उदाहरण देना चाहता हूं कि जैसे केवल व्यापार के लिए इस तरह से टैरिफ लगाना सामान्य है, लेकिन गैर व्यापार मुद्दों पर टैरिफ लगाना सही नहीं है।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता अभी भी जारी है। लेकिन मूल बात यह है कि हमारे सामने कुछ लाल रेखाएं हैं। किसी ने भी यह नहीं कहा कि बातचीत बंद है। लोग एक-दूसरे से बात करते हैं। ऐसा नहीं है कि वहां कोई कुट्टी है। जहां तक हमारा सवाल है कुछ रेड लाइन हैं। हम अपने किसानों और कुछ हद तक हमारे छोटे उत्पादकों के हित के लिए काम कर रहे हैं। हम उनके मुद्दों पर समझौता नहीं कर सकते हैं। मैं सवाल पूछता हूं कि क्या आप किसानों और व्यापारियों को लेकर समझौता करेंगे। मैं कहना चाहता हूं कि हम एक सरकार के रूप में अपने किसानों और अपने छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि यह हास्यास्पद है कि जो लोग व्यापार समर्थक अमेरिकी प्रशासन के लिए काम करते हैं, वे दूसरे लोगों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं। अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में समस्या है, तो इसे न खरीदें। कोई आपको इसे खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता। यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है, इसलिए अगर आपको यह पसंद नहीं है, तो इसे न खरीदें।