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कोठी की करोड़ों की कृषि उपज मंडी बनी वीरान ‘श्मशान’: खरपतवार व गंदगी के बीच किसान भटकते, फसल का सही दाम न मिलने से दोगुनी मार

कोठी के शारदापुरी कॉलोनी में करोड़ों की लागत से बनी कृषि उपज मंडी वर्षों से बंद पड़ी है। रखरखाव के अभाव, अधिकारियों की निष्क्रियता और खरीदी संचालन न होने से मंडी श्मशान जैसी वीरान हो चुकी है। किसान अपनी फसल दूर बेचने को मजबूर हैं और सही दाम से भी वंचित हो रहे हैं।

By: Yogesh Patel

Dec 06, 20253:31 PM

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कोठी की करोड़ों की कृषि उपज मंडी बनी वीरान ‘श्मशान’: खरपतवार व गंदगी के बीच किसान भटकते, फसल का सही दाम न मिलने से दोगुनी मार

हाइलाइट्स:

  • करोड़ों खर्च कर बनी उपज मंडी वर्षों से बंद, मैदान में खरपतवार और गंदगी का अंबार।
  • मंडी चालू न होने से किसान दूर जाकर फसल बेचने को मजबूर, सही दाम न मिलने से आर्थिक नुकसान।
  • स्थानीय किसानों का आरोप-व्यवस्थाएं मौजूद होने के बावजूद जिम्मेदारों की उदासीनता से मंडी श्मशान में बदल गई।

सतना, स्टार समाचार वेब

कोठी के वार्ड क्रमांक एक के शारदापुरी कॉलोनी में करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित कृषि उपज मंडी के हालात शमशानघाट की तरह हो गए हैं। शासन-प्रशासन ने शारदापुरी में खाली पड़ी सरकारी जमीन में करोड़ों रुपए खर्च कर कृषि उपज मंडी बनवाई गई थी, ताकि क्षेत्रीय किसानों को अपनी फसल बेचने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़े, और सभी को सहूलियत हो, मगर आज तक यहां मंडी नहीं लग सकी। मंडी की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता को कारण माना जा रहा है। 

खरपतवार से पट गई मंडी

मंडी के रखरखाव के अभाव में मंडी का आलम बद् से बद्त्तर हो गया है। यहां पर चारों ओर खरपतवार उग आया है, और चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। किसानो की खेती की फसल मंडी में ना लिए जाने की वजह से एक ओर जहां किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें अपनी फसल दूर जाकर बेचना पड़ रहा है। साथ ही मंडी प्रभाव में न होने की वजह से व्यापारियों के यहां भी अपनी फसल किसानों को बेचनी पड़ रही है।

फसल का नहीं मिल रहा सही दाम

बताते हैं कि मंडी के सक्रिय न होने की वजह से किसान अपनी फसल व्यापारियों को बेंचने के लिए मजबूर हैं, जिस कारण उन्हें अपनी फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा, जिस वजह से किसानों को आर्थिक रूप से भी हानि उठानी पड़ रही है। 

मंडी में हैं सभी व्यवस्था

किसानों का कहना है कि हालाकि मंडी में सभी व्यवस्थाएं मौजूद हैं, जिम्मेदार चाहे तो मंडी में खरीदी करवाकर मंडी की भी सुरक्षा रख सकते हैं, और किसानों की समस्याओं को कम कर सकते हैं, क्योंकि इसका क्षेत्रफल भी करीब दो एकड़ में है, और सभी जगह प्लेटफॉर्म भी बने हुए हैं, परंतु आज तक ऐसा नहीं हो पाया है और होता दिख भी नहीं रहा है। इसके लिए जिम्मेदारों की दिलचस्पी न होने को कारण बताया जा रहा है। 

दूसरी जगह की जा रही खरीदी

बताते हैं कि इस वर्ष फसल की खरीदी के लिए दूसरी जगह स्थान बनाया गया है। पूर्व में यहां पर एक-दो वर्ष जरूर खरीदी हुई है परंतु उसके बाद मंडी को वीरान छोड़ दिया गया, और आज सारी की सारी मंडी श्मशान घाट जैसे दिखने लगी।

कोठी में मंडी बनी जरूर है, पर किसी काम की नहीं है, क्योंकि किसानों को इस मंडी का लाभ नहीं मिल रहा, जिसकी वजह से  किसानों को काफी समस्याएं होती हैं,।

जयवीर सिंह लखन, निवासी मौहार 

करोड़ों रुपए खर्च कर क्षेत्रीय अन्नदाताओं की सुविधा के लिए मंडी बनवाई गई थी परंतु  जिम्मेदारों ने इसका सही ढंग से संचालन नहीं किया, जिसकी वजह से यह शमशान होती जा रही है और उसका फायदा अन्य लोग उठा रहे हैं और किसान परेशान हैं।

संजय सोनी, स्थानीय निवासी

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