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गायनी विभाग की लापरवाही से प्रसूता और नवजात की मौत: वेंटिलेटर पर दिखावा, इंजेक्शन की खानापूर्ति और फिर ‘नो मोर’—परिजन एफआईआर पर अड़े, अस्पताल में घंटों हंगामा

रीवा के गांधी मेमोरियल अस्पताल में प्रसव के दौरान प्रसूता सविता साहू और नवजात की मौत के बाद हंगामा। परिजनों का आरोप-ऑपरेशन में गंभीर लापरवाही, मौत छिपाई गई, वेंटिलेटर पर दिखावा किया। गायनी विभाग में स्टाफ की कमी, कई डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ी। परिजन एफआईआर की मांग पर अड़े।

By: Yogesh Patel

Dec 06, 20253:54 PM

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गायनी विभाग की लापरवाही से प्रसूता और नवजात की मौत: वेंटिलेटर पर दिखावा, इंजेक्शन की खानापूर्ति और फिर ‘नो मोर’—परिजन एफआईआर पर अड़े, अस्पताल में घंटों हंगामा

हाइलाइट्स:

  • वेंटिलेटर पर घंटों रखा गया, कई इंजेक्शन लगाए गए-परिजनों का आरोप कि मौत छिपाने की कोशिश की गई।
  • प्रसूता और नवजात दोनों की मौत पर अस्पताल में 100 से ज्यादा लोगों ने किया जोरदार हंगामा, पुलिस बल तैनात।
  • गायनी विभाग में सीनियर डॉक्टरों की भारी कमी, चार डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ी, दो अवकाश पर-जूनियर संभाल रहे ऑपरेशन।

रीवा, स्टार समाचार वेब

श्यामशाह मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध गांधी मेमोरियल अस्पताल में चल रहा गायनी विभाग का आपसी कलह अब मरीजों की जान पर भारी पड़ने लगा है। गुरुवार को जहां एक स्वस्थ प्रसूता को प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था, वहीं शुक्रवार को लापरवाहीपूर्वक किए गए आॅपरेशन ने जच्चा और बच्चा दोनों की जान ले ली। हालांकि प्रसूता की मौत होने की बात चिकित्सकों द्वारा तब तक छिपाई गई जब तक परिजनों द्वारा नवजात की मौत पर हंगामा किया जाता रहा। महिला को वेंटीलेटर पर रखे रहे। बाद में मामला शांत करने के लिए परिजनों को बुलाया गया। कई इंजेक्शन सीने पर लगाए गए। फिर भी सांस नहीं लौटी। तब जाकर महिला को मृत घोषित किया गया। परिजनों ने हालांकि शव लेने से इंकार कर दिया। एफआईआर की मांग पर अड़ गए हैं। देर रात तक हंगामा जारी रहा।

गौरतलब है कि गुरुवार को गोविंदगढ़ के सहिजना निवासी सविता साहू को प्रसव के लिए गांधी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिजनों के मुताबिक प्रसूता गायनी वार्ड तक खुद चलकर आई थी और वह पूरी तरह से स्वस्थ थी। पहले चिकित्सकों ने नार्मल डिलीवरी होने का दावा किया था परंतु शुक्रवार को अचानक तबियत बिगड़ने के बाद आनन फानन में आॅपरेशन करने का एकतरफा फैसला ले लिया गया, जिसके बाद  पहले नवजात की मृत्यु हुई और कुछ समय पश्चात प्रसूता की भी मौत हो गई। परिजनों द्वारा अस्पताल में गलत इलाज को लेकर जमकर हंगामा किया गया। इस दौरान पुलिस बल एवं अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाला। बताया गया है कि परिजन एवं अस्पताल कर्मियों के बीच जमकर धक्का मुक्की भी हुई है। 

प्रसूता की मौत छिपाते रहे चिकित्सक

अस्पताल में हंगामा कर रहे प्रसूता सविता साहू के परिजनों द्वारा चिकित्सकों पर यह आरोप लगाया जा रहा था कि नवजात के साथ प्रसूता की भी मौत हो गई है जिसे चिकित्सक छिपा रहे हैं। हालांकि मेडिकल कॉलेज के डीन द्वारा जो बात कही गई वह अब किसी के गले नहीं उतर रही है। उनका कहना था कि प्रसूता की मौत नहीं हुई है उसका इलाज चल रहा है। जैसे ही परिजनों का हंगामा समाप्त हुआ, अस्पताल प्रबंधन अपनी योजना पर कामयाब हो गया। बाद में मामले का पटाक्षेप करने की योजना बनाई गई। परिजनों को आईसीयू में बुलाया गया। वेंटीलेटर के मॉनीटर पर हार्ट बीट फ्लैट चल रही थी। फिर परिजनों ने सामने अंतिम कोशिश की गई। सीने पर कई इंजेक्शन लगाए। सीपीआर दिया गया लेकिन सांस नहीं लौटी। फिर डीन की योजना अनुसार डॉक्टरों ने परिजनों को सॉरी बोल दिया। मरीज अब नहीं रही कह कर डॉक्टरों ने पल्ला झाड़ लिया। 

परिजन एफआईआर पर अड़े

महिला की मौत के बाद परिजनों ने फिर हंगामा शुरू कर दिया। परिजनों ने शव ले जाने से भी इंकार कर दिया है। सूत्रों की मानें तो देर रात तक अस्पताल में हंगामा मचा रहा। परिजनों की मांग है कि जब तक दोषियों पर एफआईआर नहीं होगी, तब तक वह शव लेकर नहीं जाएंगे। देर रात तक मौके पर पुलिस डटी रही।परिजनों को डॉक्टर मनाने में लगे रहे। 

कईयों ने नौकरी छोड़ी, सीनियर अवकाश पर हैं

गायनी विभाग की हालत खराब है। यहां चार चिकित्सक नौकरी छोड़ चुके हैं। इसमें डॉ कल्पना यादव, डॉ पूजा गंगवार, डॉ सरिता सिंह और डॉ शीतल पटेल शामिल हैं। इसके अलावा डॉ पद्मा शुक्ला और डॉ क्षमा विश्वकर्मा अवकाश पर चल रही हैं। गायनी विभाग में सीनियर डॉक्टरों की कमी है। जूनियर ही मोर्चा सम्हाल रहे। यही आपरेशन भी करते हैं। 

एचओडी इतने हंगामे के बाद भी नहीं आईं

हद तो यह है कि गायनी विभाग की एचओडी डॉ बीनू सिंह है। शुक्रवार को वह सीनियर कंसल्टेंट कॉल अधिकारी भी रहीं। इसके बाद भी वह दिनभर के हंगामे के बाद भी अस्पताल नहीं पहुंची। देर शाम जब महिला की मौत हो गई तब वह अस्पताल पहुंचने वाली थीं। अब इससे एचओडी की भी मरीजों की जान के प्रति गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

देर रात मामला शांत हुआ शव मर्चुरी में शिफ्ट किया गया

महिला की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा भड़क गया। मौके पर करीब 100 से अधिक लोगों की भीड़ पहुंच गई। हालात बेकाबू हो गए। कई थानों की पुलिस मौके पर डट गई। पूरा परिसर ही पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। हालात को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन एफआईआर कराने की तैयारी में जुट गया था। हालांकि बाद में मामला शांत होता गया। भीड़ भी छंटने लगी। परिजनों को मनाने में प्रबंधन काफी हद तक कामयाब रहा। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन और पुलिस ने शव को मर्चुरी में शिफ्ट करा दिया। 

20 हजार का खरीदा ब्लड

प्रसूता सविता साहू के परिजनों द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि जब सविता साहू को अस्पताल के गायनी वार्ड में भर्ती कराया गया था उस दौरान उसका हीमोग्लोबिन 14 परसेंट बताया गया था। आॅपरेशन के बाद अचानक ब्लड की मांग बढ़ती गई और परिजनों ने प्रसूता को बचाने के लिए 20 हजार तक के खून खरीदकर दिए। बताया गया है कि जब प्रसूता को आॅपरेशन थिएटर से बाहर लाया जा रहा था उस समय बिजली बंद कर दी गई। परिजनों को मरीज से मिलने नहीं दिया जा रहा है। घर वालों का आरोप है कि प्रसूता की मौत हो चुकी है और यह लाश को छिपाकर रखे हुए हैं।

अस्पताल प्रबंधन व परिजनों में झूमाझटकी

जीएमएच के गायनी वार्ड में भर्ती प्रसूता सविता साहू एवं नवजात के मृत्यु का दावा परिजनों द्वारा किया जा रहा है। इस दौरान अस्पताल प्रबंधन एवं परिजनों के बीच झूमाझटकी भी हुई है। बताया गया है कि नवजात मृतक को सौंप दिया गया है परंतु प्रसूता को अभी आॅपरेशन थिएटर के अंदर ही रखे हैं। इस दौरान आॅपरेशन थिएटर में न तो कोई भी डॉक्टर, नर्स एवं विभाग के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद हैं। सविता साहू के भाई का आरोप है कि उनकी बहन की मृत्यु हो गई है। हांथ-पांव पूरी तरह से ठंडे पड़ गए हैं। चिकित्सक इस बात को छिपाने में लगे हुए हैं। 

गायनी वार्ड में भर्ती की गई प्रसूता सविता साहू के प्रसव दौरान बच्चा मृत पाया गया था। प्रसूता की हालत सीरियस है। उसका उपचार किया जा रहा है।

-  डॉ. सुनील अग्रवाल, डीन एसएस मेडिकल कॉलेज रीवा

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