भोपाल के अयोध्या बायपास को 10 लेन बनाने के लिए काटे जा रहे 7871 पेड़ों पर NGT ने 8 जनवरी तक रोक लगा दी है। जानें NHAI का 81 हजार पौधे लगाने का प्लान और विरोध प्रदर्शन के कारण।
By: Ajay Tiwari
Dec 24, 20255:20 PM
भोपाल | स्टार समाचार वेब
भोपाल की लाइफलाइन कहे जाने वाले अयोध्या बायपास के चौड़ीकरण प्रोजेक्ट पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। आसाराम चौराहा से रत्नागिरि तिराहे तक 16 किमी लंबे बायपास को 10 लेन में बदलने के लिए काटे जा रहे 7871 पेड़ों पर ट्रिब्यूनल ने 8 जनवरी 2026 तक अंतरिम रोक लगा दी है। पर्यावरणविद् नितिन सक्सेना द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने यह सख्त आदेश जारी किया है।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि जब तक एनजीटी का स्पष्ट आदेश नहीं आता, तब तक पेड़ों की कटाई शुरू नहीं होनी चाहिए थी। हैरानी की बात यह रही कि नगर निगम की छुट्टी के दिन भी एनएचएआई (NHAI) ने तेजी दिखाते हुए करीब दो हजार पेड़ काट दिए। पर्यावरणविदों और कांग्रेस का कहना है कि विकास के नाम पर 80 से 100 साल पुराने पेड़ों का विनाश पर्यावरण के लिए अपूरणीय क्षति है।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने इस प्रोजेक्ट के समर्थन में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि कटे हुए पेड़ों के बदले 81 हजार नए पौधे लगाए जाएंगे। NHAI के प्लान के मुख्य बिंदु निम्नानुसार हैं:
स्थानीय रोपण: 10 हजार छायादार और फलदार पौधे बायपास के दोनों ओर लगाए जाएंगे, जिनकी 15 साल तक देखरेख होगी।
नगर निगम का सहयोग: 10 हजार अतिरिक्त पौधे पार्कों और सड़क किनारे रिक्त भूमि पर लगाए जाएंगे।
विकसित वन क्षेत्र: झिरनिया और जागरियापुर में 61 हजार से अधिक पौधों का रोपण कर एक नया वन क्षेत्र विकसित किया जाएगा।
NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर देवांश नुवल के अनुसार, इस मार्ग की वर्तमान क्षमता 40 हजार वाहनों की है, जबकि इस पर प्रतिदिन 45 हजार से अधिक वाहन गुजर रहे हैं।
यातायात का दबाव: इंदौर, विदिशा, रायसेन और नर्मदापुरम से आने वाला भारी ट्रैफिक इसी मार्ग का उपयोग करता है।
ब्लैक स्पॉट्स: दुर्घटनाएं रोकने के लिए तीन ब्लैक स्पॉट्स को खत्म किया जाएगा।
भविष्य की योजना: यह डिजाइन वर्ष 2050 तक के ट्रैफिक दबाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
फ्लाईओवर: करोंद, पीपुल्स मॉल और मीनाल के पास 3 बड़े फ्लाईओवर बनाए जाएंगे।
पेड़ों की कटाई के विरोध में कांग्रेस ने 'मास्क पहनकर' प्रदर्शन किया और इसे 'हरियाली का विनाश' करार दिया। पर्यावरणविद उमाशंकर तिवारी का कहना है कि नए पौधे कभी भी 100 साल पुराने पेड़ों का विकल्प नहीं हो सकते। 836.91 करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रोजेक्ट का भविष्य अब 8 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई पर टिका है।