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मध्यप्रदेश में बिना डायवर्सन के चल रहे 32 हजार से अधिक मोबाइल टावर से राज्य को करोड़ों का नुकसान

बिना जमीन डायवर्सन के चल रहे मोबाइल टावरों से सरकार को हर साल करोड़ों का नुकसान हो रहा है। सिर्फ सतना में 282 टावर कार्यरत हैं, लेकिन एक भी डायवर्सन नहीं कराया गया। राज्यभर में 32,000 से ज्यादा टावर बिना डायवर्सन संचालित हो सकते हैं। राजस्व और प्रशासनिक लापरवाही से उजागर हो रही एक बड़ी चूक।

By: Yogesh Patel

Jul 28, 20258:40 PM

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मध्यप्रदेश में बिना डायवर्सन के चल रहे 32 हजार से अधिक मोबाइल टावर से राज्य को करोड़ों का नुकसान

हाइलाइट्स 

  • सतना जिले में 282 मोबाइल टावर, लेकिन एक का भी डायवर्सन नहीं हुआ।
  • हर साल 7 करोड़ से अधिक का किराया, लेकिन सरकार को शून्य राजस्व।
  • प्रदेशभर में 32,000 से अधिक टावर बिना राजस्व भुगतान के संचालित होने की आशंका।

सतना, स्टार समाचार वेब

सतना समेत समूचे मप्र में डिजिटल कनेक्टिविटी का विस्तार भले ही मोबाइल टावरों की बढ़ती संख्या से हो रहा हो, इसके साथ ही राज्य सरकार के राजस्व को चुपचाप लग रही सेंध भी सामने आ रही है। सतना व मैहर जिले में बिना जमीन डायवर्सन के चल रहे मोबाइल टावर न सिर्फ स्थानीय प्रशासन की अनदेखी का उदाहरण हैं, बल्कि यह प्रदेशभर में व्याप्त एक बड़े वित्तीय नुकसान की ओर भी इशारा करते हैं। सतना जिले का यह मामला प्रदेश में व्याप्त एक बड़ी खामोशी की कहानी है, जहां  मोबाइल नेटवर्क की तरक्की तो हो रही है। लेकिन उसी आधारभूत ढांचे से सरकार को मिलने वाला राजस्व नष्ट हो रहा है।

आ रहा 7 करोड़ से अधिक किराया 

सतना जिले में बीएसएनएल, एयरटेल, जिओ, वोडाफोन जैसी कंपनियों के तकरीबन 282 मोबाइल टावर कार्यरत हैं। प्रत्येक टावर से भू-स्वामियों को हर महीने औसतन लगभग 20,000 से 25,000 का किराया प्राप्त हो रहा है। इस हिसाब से सतना जिले में हर साल लगभग 7 करोड़ रुपए से अधिक का किराया अर्जित किया जा रहा है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन टावरों में अधिकांश टावर की जमीनों का डायवर्सन आज तक नहीं कराया गया है। यानी, जिन जमीनों को कृषि या घरेलू  प्रयोजन के लिए दर्ज किया गया था, वे अब व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल हो रही हैं, बिना सरकार को उसका निर्धारित शुल्क दिए। सबसे हैरानी की बात यह है कि स्थानीय प्रशासन इस गंभीर मामले पर चुप्पी साधे हुए है। हालांकि, सतना के एसडीएम राहुल सिलाड़िया ने बातचीत में बताया कि इस दिशा में पहल की जा रही है। उनके अनुसार, टॉवरों की सूची तैयार की जा रही है और संबंधित विभागों को जानकारी जुटाने के निर्देश दिए गए हैं।  यह बयान एक सकारात्मक शुरुआत है। लेकिन इसे व्यवहार में लाना अब समय की मांग है।

जानकारों ने कहा- टावरों  की आडिट जरूरी  

राजस्व विभाग और शहरी प्रशासन विभाग को चाहिए कि वे प्रदेशभर में मोबाइल टावरों की आॅडिट करें, भू-स्वामियों को नोटिस जारी करें और बकाया डायवर्सन शुल्क वसूलने की प्रक्रिया शुरू करें। साथ ही भविष्य में टावर स्थापना से पहले डायवर्सन का सत्यापन अनिवार्य किया जाए।

प्रदेश में 32 हजार से अधिक टावर

यह स्थिति केवल सतना तक सीमित नहीं है। डीओटी (डिपार्टमेंट आॅफ टेलीकाम ) के आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश में 32 हजार से अधिक मोबाइल टावर स्थापित हैं, जिनसे 98 450 से अधिक  बीटीएस (बेस ट्रासंरिसीवर स्टेशन ) टावर हैं, जिससे  करीब 7.16 करोड़ वायरलेस या मोबाइल उपभोक्ता लाभान्वित हो रहे हैं। अगर इन टावरों की जमीनों का भी डायवर्सन नहीं कराया गया है तो यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार के खजाने से सैकड़ों करोड़ रुपए प्रतिवर्ष का राजस्व गुम हो रहा है।

हमारी टावर नेटवर्क साइट का निर्णय भोपाल मुख्यालय से होता है। जहां तक डायवर्सन शुल्क जमा करने का प्रावधान है तो इसकी सूचना हम संबंधित निकाय को दे देते हैं और हम एनओसी भी निकाय से लेते हैं। हम विभाग द्वारा निर्धारित नियमों के अधीन ही टावर  इंस्टालेशन करते हैं। 

डीएस पैकारे, डीजीएम, बीएसएनएल 

टावरों की सूची तैयार की जा रही है और संबंधित विभागों को जांच और दस्तावेजों की समीक्षा के निर्देश देने के साथ ही यह जानकारी भी जुटाई जा रही है कि कितने टावर बिना डायवर्सन के लगे हुए हैं। 

राहुल सिलाड़िया, एसडीएम

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