सतना जिले में आवारा गौवंश की समस्या खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम। उचेहरा विकासखंड के बांधी मौहार में 127 एकड़ जमीन पर बनेगा पहला गौ-अभयारण्य, जहां 5 हजार गौवंश की सुविधा होगी। दुर्घटनाएं और किसानों की परेशानी होगी कम।
By: Star News
Sep 10, 20253:28 PM
हाइलाइट्स:
सतना, स्टार समाचार वेब
सड़कों पर यातायात के साथ जान-माल के लिए समस्या बने गौवंश को स्थायी रूप से हटाने का सरकार ने इंतजाम करना शुरू कर दिया है। सतना जिले में गौ-अभयारण्य (सेंक्चुरी) बनाने की दिशा में प्लान शुरू हो गया है। अभी पहले चरण में उचेहरा विकासखंड के बांधी मौहार में जिले की पहली सेंक्चुरी बनाई जाएगी। जिला प्रशासन ने यहां की लगभग 127 एकड़ जमीन सेंक्चुरी के लिए चयनित कर दी है। माना जा रहा है कि जल्द ही टेंडर जारी कर अभयारण्य सर्वसुविधा युक्त तैयार करवाया जाएगा। बताया गया कि स्वावलंबी गौशाला (कामधेनु निवास) योजना के अंर्तगत 5 हजार गौवंश की सुविधा को देखते हुए अभयारण्य बनाया जाएगा।
आत्मनिर्भर होगी स्वावलंबी गौशाला
बताया जाता है कि स्वावलंबी गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। गौ-शालाएं गोबर, गौमूत्र आदि अपशिष्ट से धन अर्जित कर संपन्न बन सकेंगी। स्वावलंबी गौशालाएं विकसित करने के लिए दुग्ध उत्पादों सहित गौमूत्र-गोबर आदि से निर्मित सामग्री के विक्रय की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही गौशालाओं में उपलब्ध स्थान का उपयोग सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन में किया जाएगा।
अभी तक होती थी 100 की क्षमता
बताया गया कि अभी तक मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना अंर्तगत ग्राम पंचायत स्तरों में 5 एकड़ जमीन में 100-100 गौवंश की क्षमता वाली सतना-मैहर जिले में लगभग 68 गौशालाओं का निर्माण कराया गया जा चुका है। बताया जाता है कि अब नई गौशालाओं के निर्माण पर ब्रेक लग गया है और स्वावलंबी गौशाला योजना के अंर्तगत 5 हजार गौवंश की क्षमता के अभयारण्य बनाने के लिए अब सरकार जोर दे रही है। अशासकीय एवं मुख्यमंत्री गौ सेवा की गौशालाओं को प्रत्येंक वर्ष लाखों रुपये का फंड दिया जाता है। जिले में अशासकीय एवं मुख्यमंत्री गौ सेवा की गौशालाओं की संख्या 56 है, जिनमें लगभग 13 हजार आवारा गौवंश ही हैं।
हो रही दुर्घटनाएं
आवारा गौवंश की समस्या को खत्म करना सरकार की सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। बारिश के सीजन में राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाईवे पर हजारों की संख्या में गौवंश बैठे रहते हैं। इस कारण हर दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। अभयारण्य बनने से दुर्घटनाएं कम हो जाएंगी।
किसानों की उड़ी नींद, 50 हजार आवारा गौवंश
अन्नादाता की रातों की नींद चाहे रवी हो या फिर खरीफ, दोनों सीजन में उड़ी हुई है। कभी प्रकृति की मार,तो कभी खाद-बीज का संकट, वहीं पिछले कुछ समय से आवारा गौवंश की समस्या किसानों के सामने मुंह उबाए खड़ी हुई है। किसान कर्ज लेकर खेती करते है और आवारा पशु चट कर जाते हैं। अन्नदाता बाड़ व रतजगा करने को मजबूर हैं। बताया जाता है कि जिले में लगभग 50 हजार आवारा गौवंश हैं। उन्नत नस्ल के पशु न होने से लोग पशुपालन नहीं करना चाहते। सतना-मैहर जिले में पशुपालन विभाग की योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी जिम्मेदार अधिकारी ठीक से नहीं करते।