शारदीय नवरात्रि की शुरुआत के साथ मध्यप्रदेश के प्रमुख शक्तिपीठों और देवी धामों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है। देवी मंदिरों की मान्यताएं और कथाएं उन्हें अद्वितीय बनाती हैं। दरअसल, शक्ति की भक्ति का महापर्व शारदीय नवरात्रि आरंभ हो गए हैं।
By: Arvind Mishra
Sep 22, 2025just now
भोपाल। स्टार समाचार वेब
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत के साथ मध्यप्रदेश के प्रमुख शक्तिपीठों और देवी धामों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है। देवी मंदिरों की मान्यताएं और कथाएं उन्हें अद्वितीय बनाती हैं। दरअसल, शक्ति की भक्ति का महापर्व शारदीय नवरात्रि आरंभ हो गए हैं। शास्त्रोक्त विधि से माता के मंदिरों के साथ कई घरों में घटस्थापना और पूजन सुबह से ही शुरू हो गया है। नंगे पैर चलकर भक्त माता के दरबार में पहुंच रहे हैं। देवी की वंदना में भक्त जुट गए हैं। दस दिनों तक शक्ति की भक्ति होगी और जन-मन उल्लासित रहेगा। माता के आंगन में आस्था का उजास फैल गया है। श्रद्धा के पुष्पों से भक्ति के भाव लिए भक्त भगवती के चरणों में शीश नवा रहे हैं। प्रमुख शक्तिपीठों के साथ ही प्रसिद्ध माता मंदिरों में विशेष व्यवस्था की गई है। प्रात: व संध्या आरती के साथ ही प्रतिदिन माता के शृंगार होगा।
मां शारदा का धाम मैहर न केवल बुंदेलखंड बल्कि पूरे भारत की आस्था का प्रमुख केंद्र है। त्रिकूट पर्वत पर विराजीं मां शारदा के धाम में शारदेय नवरात्र मेला आज से शुरू हो गया है। 10 दिन तक चलने वाले मेले में लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन करने पहुंचेंगे। नवरात्र के पहले दिन सुबह 10 बजे तक दर्शनार्थियों की संख्या 80 हजार के ऊपर पहुंच गई। मैहर में इस बार 200 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे मंदिर मार्ग, गर्भगृह, पार्किंग, पुलिस चौकी, रोपवे परिसर और प्रमुख स्थानों पर लगाए गए हैं। ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है। मां शारदा प्रबंध समिति ने मंदिर प्रांगण, पुलिस चौकी और रोपवे परिसर में विशेष कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं।
माता टेकरी पर तुलजा भवानी और चामुंडा माता विराजमान हैं। दोनों को बहनें भी कहा जाता है। चामुंडा माता पवार राजपरिवार की कुलदेवी हैं, जबकि तुलजा भवानी होलकर राजशंव की कुलदेवी कही जातीं हैं। मान्यता के अनुसार सती के रक्त की बूंदें यहां गिरी थीं, जिस कारण इसे रक्तपीठ कहा जाता है। माता की मूर्तियां पहाड़ की चट्टानों में ही उत्कीर्ण हैं। नवरात्र के पहले दिन सुबह माता तुलजा भवानी और चामुंडा माता मंदिर में घटस्थापना कार्यक्रम हुआ। प्रतिदिन शृंगार के साथ प्रात: व संध्या आरती होगी। माता तुजला भवानी को चांदी का मुकुट अर्पित किया गया है। चामुंडा माता को स्वर्ण कड़े अर्पित किए गए हैं। नौ दिनों तक यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। नवरात्रि में पूरी रात मंदिर के पट खुले रहते हैं।
देश के 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में नवरात्र का उल्लास छाया है। सोमवार सुबह पांच बजे ब्रह्म मुहूर्त में घट स्थापना हुई। प्रतिदिन माता का शृंगार किया जाएगा। प्रतिदिन शाम दीपमालिका प्रज्वलित होगी। इसके बाद संध्या आरती की जाएगी, लेकिन नौ दिन शयन आरती नहीं होगी। मंदिर कि पूजन परंपरा में प्रतिदिन सुबह सूर्योदय के समय मंगला, सूर्यास्त के समय संध्या तथा रात्रि 11 बजे शयन आरती होती है। नौ दिन सुबह व शाम की आरती तो अपने समय व विधिविधान से होती है, लेकिन रात्रिकालीन आरती में शयन के मंत्र नहीं बोले जाते हैं अर्थात माता नौ दिन जागती हैं और रात्रि में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। दीपमालिका प्रज्वलित करने की परंपरा माराठाकालीन है और करीब 350 साल से चली आ रही है।
आगर-मालवा जिले के नलखेड़ा में मां बगलामुखी मंदिर स्थित है। त्रिशक्ति मां बगलामुखी का यह मंदिर लखुंदर नदी के किनारे है। मध्य में मां बगलामुखी, दाएं मां लक्ष्मी तथा बाएं मां सरस्वती हैं। मान्यता यह भी है कि मां बगलामुखी की मूर्ति स्वयंभू है और यह महाभारतकालीन है। भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर पांडवों ने यहां मां बगलामुखी की आराधना की थी। 1816 में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। शारदीय नवरात्र में देश के कई स्थानों के साथ ही विदेश से भी माता भक्त यहां पहुंच रहे हैं। विजय प्राप्ति के लिए यहां तंत्रोक्त हवन, अनुष्ठान भी किए जाते हैं। प्रथम दिवस पीतांबरा सेवा समिति द्वारा छप्पन भोग लगाकर नौ दिवसीय नि:शुल्क भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। संस्कृति विभाग द्वारा सोमवार शाम 6:30 बजे से शक्ति पर्व का आयोजन किया जाएगा। इसके तहत लोक गायन और नृत्य नाटिका प्रस्तुत की जाएगी।
इंदौर के बिजासन माता मंदिर में एक साथ 9 देवियां विराजित हैं। यह मंदिर एक हजार साल पुराना है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां देवी के 9 स्वरूपों के दर्शन एक साथ होते हैं। यहां 9 रूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं। सभी 9 देवियां बहनें हैं और स्वयंभू रूप में स्थापित हैं। खास यह है कि यहां शिवजी, काल भैरव और हनुमान जी विराजित हैं। बिजासन माता को सौभाग्य और संतानदायिनी माना जाता है। वैसे तो आम दिनों में भी यहां काफी भक्त उमड़ते हैं। लेकिन, अष्टमी और नवमीं के खास मौके पर श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। आज नवरात्रि के पहले दिन सुबह से ही माता के भक्तों की कतार लगी रही। मंदिर परिसर में माता रानी के जयकारे गूंजते रहे। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।