DGCA हवाई यात्रियों के लिए लाया 'लुक-इन' पीरियड का ड्राफ्ट नियम। जानें बुकिंग के 48 घंटे के अंदर मुफ्त कैंसलेशन/बदलाव, 21 दिन में रिफंड, और नाम सुधार से जुड़े सभी बड़े बदलाव।
By: Ajay Tiwari
Nov 04, 20254:07 PM
नई दिल्ली स्टार समाचार वेब
भारत में हवाई यात्रियों के लिए जल्द ही एक बड़ी खबर आ सकती है। विमानन नियामक संस्था डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने हवाई टिकट कैंसलेशन और रिफंड से जुड़े नियमों में बदलाव के लिए एक ड्राफ्ट जारी किया है। यह प्रस्ताव यात्रियों को 48 घंटे का 'लुक-इन' पीरियड देने की बात कहता है, जिसके तहत वे बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के अपना टिकट रद्द या बदल सकते हैं।
DGCA ने इस मसौदे पर लोगों से 30 नवंबर तक सुझाव मांगे हैं। यदि ये नियम लागू होते हैं, तो यह हवाई यात्रा करने वाले लाखों लोगों के लिए एक बड़ी राहत होगी, क्योंकि फिलहाल एयरलाइन्स अपनी नीतियों के अनुसार कैंसलेशन फीस लगाती हैं और रिफंड प्रक्रिया धीमी होती है।
DGCA का यह प्रस्ताव, जिसका उद्देश्य यात्रियों के अधिकारों को मजबूत करना है, तीन महत्वपूर्ण बदलाव लाता है
मुफ्त कैंसलेशन/बदलाव: टिकट बुक करने के बाद यात्रियों को 48 घंटे का समय मिलेगा, जिसे 'लुक-इन' पीरियड कहा गया है। इस अवधि में वे टिकट मुफ्त में रद्द (cancel) कर सकते हैं या बदल सकते हैं।
फेयर डिफरेंस: बदलाव करने पर केवल नई फ्लाइट के किराए का अंतर (fare difference) ही देना होगा, कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा।
शर्तें: यह सुविधा उन उड़ानों पर लागू नहीं होगी जिनके प्रस्थान की तारीख बुकिंग की तारीख से डोमेस्टिक फ्लाइट्स के लिए 5 दिन और इंटरनेशनल फ्लाइट्स के लिए 15 दिन से कम हो।
नाम सुधार: बुकिंग के 24 घंटे के भीतर नाम में हुई गलती को भी फ्री में सुधारा जा सकेगा (यदि टिकट सीधे एयरलाइन की वेबसाइट से बुक किया गया हो)।
मेडिकल इमरजेंसी: DGCA ने मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में भी एयरलाइन द्वारा रिफंड देने का प्रस्ताव रखा है।
एयरलाइन की ज़िम्मेदारी: भले ही टिकट एयरलाइन की वेबसाइट, ट्रैवल एजेंट या किसी पोर्टल से बुक किया गया हो, रिफंड की पूरी ज़िम्मेदारी एयरलाइन की होगी। DGCA का तर्क है कि ट्रैवल एजेंट उनके ही प्रतिनिधि (extension) हैं।
21 दिन में रिफंड: एयरलाइन्स को रिफंड की प्रक्रिया 21 कार्य दिवसों (Working Days) के भीतर पूरी करनी होगी।
क्रेडिट शेल नहीं: रिफंड राशि को क्रेडिट शेल/वॉलेट में रखना यात्री का विकल्प होगा, यह एयरलाइन की डिफ़ॉल्ट पॉलिसी नहीं होगी।
टैक्स भी वापस: कैंसलेशन या 'नो-शो' की स्थिति में एयरलाइन को सभी वैधानिक टैक्स और फीस (जैसे UDF/ADF/PSF) भी वापस करने होंगे, भले ही टिकट नॉन-रिफंडेबल (non-refundable) हो।
फिलहाल, भारत में 48 घंटे का कोई मानक ग्रेस पीरियड नहीं है। हर एयरलाइन अपनी पॉलिसी के हिसाब से कैंसलेशन और बदलाव पर फीस वसूलती है, जिससे यात्रियों को अक्सर अधिक भुगतान करना पड़ता है। साथ ही, ट्रैवल एजेंट या ऑनलाइन पोर्टल्स के माध्यम से बुक किए गए टिकटों के रिफंड में देरी और अस्पष्टता एक आम समस्या है।
DGCA का यह ड्राफ्ट इन कमियों को दूर करने और अमेरिका और यूरोप जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों के समान, यात्री-अनुकूल नियम स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे यात्रियों का विश्वास बढ़ेगा और उन्हें बुकिंग के बाद योजना में बदलाव करने की अधिक लचीलापन (flexibility) मिलेगी।
यह प्रस्ताव अभी ड्राफ्ट स्टेज में है, और अंतिम नियम DGCA द्वारा सभी सुझावों पर विचार करने के बाद ही जारी किए जाएंगे।