पन्ना जिले के गिधौड़ा गांव में दूषित पानी से उल्टी-दस्त का प्रकोप फैलने से 40 से अधिक ग्रामीण बीमार हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने शिविर लगाकर इलाज शुरू किया है। वहीं, पवई जनपद के हड़ा गांव में ग्रामीणों को पेयजल संकट के चलते नाले का गंदा पानी पीना पड़ रहा है। प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग।
By: Yogesh Patel
हाइलाइट्स
पन्ना, स्टार समाचार वेब
जिले के शाहनगर विकासखंड की खमतरा पंचायत के ग्राम गिधौड़ा में उल्टी-दस्त का प्रकोप अचानक फैल गया है। 21 जुलाई से लेकर 23 जुलाई की दोपहर तक 40 से अधिक ग्रामीणों के बीमार होने की पुष्टि हुई है। लगातार बढ़ते मामलों ने गांव में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। बीएमओ डॉ. सर्वेश कुमार लोधी के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर तैनात है, जो गांव में लगातार स्वास्थ्य शिविर लगाकर मरीजों की जांच और उपचार कर रही है। बीमारों को जरूरी दवाइयां और प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है। विभाग द्वारा संभावित संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।
स्वास्थ्य अमले ने बताया कि कई ग्रामीण गंदा या दूषित पानी पीने के चलते बीमार हुए हैं। गांव में शुद्ध पेयजल की अनुपलब्धता, साफ-सफाई की कमी, और मानक विहीन खानपान को संभावित कारण माना जा रहा है। इन परिस्थितियों को देखते हुए बीएमओ ने एसडीएम शाहनगर से वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग भी की है। ग्राम में प्रशासनिक सहयोग के साथ पंचायत स्तर पर भी स्वच्छता सुनिश्चित करने की पहल शुरू कर दी गई है। क्षेत्रीय आशा और आंगनवाड़ी कार्यकतार्ओं को भी प्रभावित परिवारों के संपर्क में रहकर निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य विभाग की अपील है कि केवल उबला हुआ या सुरक्षित पानी का सेवन करें। भोजन पकाने से पहले और बाद में हाथ धोना अनिवार्य करें। एवं किसी भी लक्षण की स्थिति में निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से तुरंत संपर्क करें। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह माना जा रहा है कि यदि तत्काल प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो यह संक्रमण और व्यापक रूप ले सकता है। ग्रामीणों ने प्रशासन से स्थायी पेयजल समाधान और नियमित स्वास्थ्य शिविर की मांग की है।
हडा में भीषण पेयजल संकट, नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण
जिले के पवई जनपद पंचायत अंतर्गत स्थित ग्राम पंचायत हडा में इन दिनों शुद्ध पेयजल का गंभीर संकट बना हुआ है। पवई मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव में करीब 1000 से अधिक अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति के ग्रामीण निवास करते हैं, लेकिन पेयजल के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। गांव में मौजूद पानी का टैंकर एवं ट्रैक्टर लंबे समय से बंद पड़ा है। गर्मी के मौसम में भी ग्रामीणों को पेयजल आपूर्ति नहीं की गई और वर्तमान में भी जल सप्लाई पूरी तरह ठप है। हालात यह हैं कि ग्रामीणों को अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए 1 किलोमीटर दूर बागराज हनुमान जी मंदिर के पास स्थित एकमात्र हैंडपंप पर निर्भर रहना पड़ रहा है। स्थानीय समाजसेवी रम्मूमणि यादव ने इस गंभीर समस्या को लेकर अनुभागीय अधिकारी (राजस्व) पवई को लिखित शिकायत दी थी, लेकिन एक सप्ताह बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि शीघ्र ही पेयजल की आपूर्ति बहाल की जाए और खराब हैंडपंपों की मरम्मत कराई जाए।