दीपोत्सव पर इस बार शहर के माणकचौक स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर के साथ पहली बार कालिका माता मंदिर क्षेत्र स्थित श्री महालक्ष्मीनारायण मंदिर में धनलक्ष्मी से आकर्षक सजावट की गई है। सजावट में भक्तों द्वारा दी गई एक, दो, पांच 10, 20, 50, 100, 200, 5000 रुपए के नोटों की गड्डियों का उपयोग किया गया है।
By: Arvind Mishra
Oct 19, 20251 hour ago
रतलाम। स्टार समाचार वेब
दीपोत्सव पर इस बार शहर के माणकचौक स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर के साथ पहली बार कालिका माता मंदिर क्षेत्र स्थित श्री महालक्ष्मीनारायण मंदिर में धनलक्ष्मी से आकर्षक सजावट की गई है। सजावट में भक्तों द्वारा दी गई एक, दो, पांच 10, 20, 50, 100, 200, 5000 रुपए के नोटों की गड्डियों का उपयोग किया गया है। दरअलस, दुनिया भर में दीपोत्सव पर रुपयों और जेवरों से अपनी अनूठी सजावट के लिए मध्य प्रदेश के रतलाम शहर के माणकचौक क्षेत्र में स्थित श्री महालक्ष्मी जी का बड़ा मंदिर रुपयों और जेवरों से सज कर तैयार हो गया है। पूरे मंदिर में दो करोड़ से अधिक रुपयों की सजावट की गई है। सजावट के बाद मंदिर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पांच दिन मंदिर नोटों और जेवरों से सजा रहेगा। इसके बाद भक्तों को उनके रुपये और जेवर प्रसाद के रूप में लौटा दिए जाएंगे।
आमतौर पर मंदिरों को फूलों और आकर्षक विद्युत सज्जा से सजाया जाता है, लेकिन रतलाम के माणकचौक क्षेत्र में स्थित प्राचीन श्री महालक्ष्मी जी का बड़ा मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसे दीपोत्सव पर करोड़ों रुपयों की सजावट से सजाया जाता है। नोट और जेवर किसी संस्था द्वारा नहीं दिए जाते हैं, बल्कि सैकड़ों भक्त सजावट के लिए अपने रुपए और जेवर मंदिर में देते हैं। दस रुपए से लेकर पांच रुपए तक के नोटों की गड्डियां भक्तों ने सजावट के लिए दी हैं। किसी ने 20 हजार तो किसी ने 50 तो किसी ने 50 हजार से ज्यादा तक दिए हैं। रुपयों का पूरा हिसाब रखा जा रहा है।
पिछले वर्ष तक भक्तों को रुपए जमा कराने पर रसीद दी जाती थी, लेकिन इस वर्ष से प्रक्रिया को डिजिटल कर दिया गया है। लैपटॉप पर आॅनलाइन एंट्री करने के साथ भक्तों को टोकन के रूप में रसीद भी दी गई हैं। साथ ही भक्तों का पासपोर्ट साइज का फोटो एक रजिस्टर में लगाने के साथ उनके आधार व मोबाइल फोन नम्बर भी दर्ज किए किए गए हैं। पिछले वर्ष मंदिर में पौने दो करोड़ रुपयों के नोटऔर साढ़े तीन करोड़ से अधिक के जेवरों से सजावट की गई थी।
इस वर्ष दो करोड़ जमा हुए
इस वर्ष अब तक करीब दो करोड़ रुपए भक्तगण जमा करा चुके हैं, जिनसे सजावट भी कर दी गई है। पांच दिन तक मंदिर सजा रहेगा। दीपावली पर्व के बाद भाई दूज के दिन प्रसादी के रूप में धन भक्तों को वापस लता दिए जाएंगे।
मंदिर के गर्भगृह में महालक्ष्मी की मूर्ति के साथ ही गणेश जी व सरस्वती मां की भी मूर्ति स्थापित है। लक्ष्मी की मूर्ति के हाथ में धन की थैली रखी है, जो वैभव का प्रतीक है। साथ मंदिर में महालक्ष्मी 8 रूप में विराजमान हैं। जिनमें अधी लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, लक्ष्मीनारायण, धन लक्ष्मी, विजयालक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी और ऐश्वर्य लक्ष्मी मां विराजमान हैं। नोटों से महालक्ष्मी मंदिर की सजावट शरद पूर्णिमा से शुरू कर दी जाती है। भक्त रुपए और जेवर देना शुरू कर देते हैं। बड़ी संख्या में भक्त दिन-रात नोटों की लड़ियां बनाने में लगे रहते हैं।
इस वर्ष एक हजार भक्तों ने रुपए और जेवर जमा कराए हैं। महालक्ष्मीजी का आकर्षक शृंगार कर गर्भगृह को खजाने के रूप में सजाया गया है। जेवरों और रुपयों की सजावट से मंदिर परिसर कुबेर के खजाने के रूप में दिखाई दे रहा है। पहली बार दो मंदिरों में सजावट, पांच दिन सजा रहेगा मंदिर प्राचीन महालक्ष्मीजी का मंदिर पूरे साल में दीपोत्सव के दौरान पांच दिनों के लिए खास रूप में रुपयों व जेवरों से विशेष रूप से सजाया जाता है। इस कारण यह मंदिर रुपया बजेलो से सजाने का आयोजन करने वाला देश का एक मात्र मंदिर होकर देशभर में अपनी अलग पहचान रखता है।
महालक्ष्मीजी मंदिर लगभग तीन सौ वर्ष पुराना होकर रियासतकालीन है। रतलाम के महाराजा रतन सिंह राठौर ने जब रतलाम शहर बसाया, तब से यहां दीपावली धूमधाम से मनाई जाने लगी। माणकचौक थाना प्रभारी अनुराग यादव के अनुसार सुरक्षा के लिए मंदिर में सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए तथा सीस टीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। रतलाम के अलावा मंदसौर, नीमच, उज्जैन, झाबुआ सहित प्रदेश के अनेक जिलों के अलावा देश के विभिन्न राज्यों के भक्त भी यहां आते हैं।