हेनले पासपोर्ट इंडेक्स की ताजा रैंकिंग ने एक बड़ा उलटफेर कर दिया है। जो अमेरिकी पासपोर्ट पूरी दुनिया में सबसे शक्तिशाली माना जाता था, वह अब अपनी चमक खो चुका है। 20 साल के इतिहास में पहली बार, अमेरिका शीर्ष 10 देशों की सूची से आउट हो गया है, जबकि एशिया के एक छोटे से देश ने दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट होने का ताज अपने नाम कर लिया है।
By: Arvind Mishra
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स की ताजा रैंकिंग ने एक बड़ा उलटफेर कर दिया है। जो अमेरिकी पासपोर्ट पूरी दुनिया में सबसे शक्तिशाली माना जाता था, वह अब अपनी चमक खो चुका है। 20 साल के इतिहास में पहली बार, अमेरिका शीर्ष 10 देशों की सूची से आउट हो गया है, जबकि एशिया के एक छोटे से देश ने दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट होने का ताज अपने नाम कर लिया है। वहीं भारतीय पासपोर्ट धारकों को रैंकिंग में थोड़ा सा झटका लगा है। भारत पिछले साल के 80वें स्थान से फिसलकर 85वें स्थान पर आ गया है। मतलब भारतीय पासपोर्ट के साथ अब भी 57 देशों में बिना वीजा के प्रवेश संभव है। हालांकि रैंकिंग में गिरावट आई है, लेकिन भारत लगातार प्रयास कर रहा है और आने वाले समय में पड़ोसी देशों के साथ बेहतर समझौतों से इसकी स्थिति मजबूत होने की उम्मीद है। दूसरी तरफ, अफगानिस्तान (24 देश) दुनिया का सबसे कमजोर पासपोर्ट बना हुआ है, जिसके नागरिक सबसे कम देशों में यात्रा कर सकते हैं।
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 की नई रैंकिंग में एशिया ने स्पष्ट रूप से अपनी बढ़त दर्ज कराई है। सिंगापुर ने 193 देशों में वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा देकर दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट का दर्जा हासिल किया है। यह सफलता सिंगापुर की लगातार मजबूत होती विदेशी नीतियों और व्यापारिक समझौतों का नतीजा है। सिंगापुर के बाद दक्षिण कोरिया 190 गंतव्यों के साथ दूसरे स्थान पर, जबकि जापान 189 गंतव्यों के साथ तीसरे स्थान पर है।
जो देश पासपोर्ट के मामले में विश्व गुरु था, उस अमेरिका के लिए यह रैंकिंग निराशाजनक है। अमेरिका इस बार फिसलकर मलेशिया के साथ संयुक्त रूप से 12वें स्थान पर आ गया है। अब अमेरिकी पासपोर्ट धारक 180 गंतव्यों तक ही वीजा-मुक्त यात्रा कर सकते हैं। यह 2014 की स्थिति से एक बड़ी गिरावट है, जब अमेरिका इस सूचकांक में शीर्ष पर था। वहीं, चीन ने जर्मनी और फ्रांस जैसे कई यूरोपीय देशों को वीजा छूट दी, लेकिन अमेरिका को नहीं दी। आज, कुल 36 देश अमेरिकी पासपोर्ट से ज्यादा यात्रा की आजादी देते हैं।
यह गिरावट केवल संख्या नहीं, बल्कि एक मौलिक बदलाव है। यह सॉफ्ट पावर की एक नई परिभाषा है, जो राष्ट्र दुनिया से खुलेपन और सहयोग का हाथ मिला रहे हैं, वे आगे निकल रहे हैं। वहीं, जो देश सिर्फ अपने पुराने रुतबे पर टिके हैं, उन्हें झटका लग रहा है। यूनाइटेड किंगडम भी इसी लिस्ट में है, जो संयुक्त अरब अमीरात के साथ संयुक्त रूप से आठवें स्थान पर खिसक गया है। यह साफ है कि विश्व मंच पर पुरानी पश्चिमी महाशक्तियां अब अकेली नहीं हैं।
रैंकिंग में सबसे चौंकाने वाली और प्रेरणादायक कहानी संयुक्त अरब अमीरात की है। उसने पिछले दशक में अपनी रैंकिंग में 34 पायदान की अविश्वसनीय छलांग लगाई है। अब यह 8वें स्थान पर है। यूएई ने आक्रामक रूप से कूटनीतिक संबंध बनाए और वैश्विक खुलेपन को अपनाया, जिसका सीधा फायदा उसके नागरिकों को मिला। वहीं, चीन भी 2015 में 94वें स्थान से सुधरकर अब 64वें स्थान पर आ गया है, जिससे उसके नागरिकों को 37 अतिरिक्त देशों में वीजा-मुक्त पहुंच मिली है।
सिंगापुर 193 देश
द.कोरिया 190 देश
जापान 189 देश
जर्मनी 188 देश
आस्ट्रिया 187 देश
ग्रीस 186 देश
पोलैंड 185 देश
क्रोएशिया 184 देश
कनाडा 183 देश
लातविया 182 देश
आइसलैंड 181 देश
अमेरिका 180 देश
भारत 85 देश