गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद का पुनर्गठन हुआ। मजुरा विधायक हर्ष सांघवी को नया उप-मुख्यमंत्री बनाया गया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 25 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। इस फेरबदल को भाजपा के 'मिशन 2027' के तहत सामाजिक संतुलन साधने का प्रयास माना जा रहा है।
By: Ajay Tiwari
Oct 17, 202518 hours ago
गांधीनगर। गुजरात में आज, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की मंत्रिपरिषद का विस्तार और पुनर्गठन किया गया। राजभवन में आयोजित एक समारोह में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 25 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद में अब कुल 26 सदस्य हो गए हैं।
हर्ष सांघवी बने उप-मुख्यमंत्री
इस फेरबदल में मजुरा से तीन बार के विधायक हर्ष सांघवी को राज्य का नया उपमुख्यमंत्री (डिप्टी सीएम) बनाया गया है।
इस नए मंत्रिपरिषद में कई अनुभवी और नए चेहरों को शामिल किया गया है। विसनगर विधायक रुशीकेश पटेल, प्रफुल पनशेरिया और कुंवरजी बावलिया को मंत्रिमंडल में फिर से जगह मिली है।
पिछले वर्ष कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए विधायक अर्जुन मोढवाडिया को भी मंत्री बनाया गया है।
कनुभाई देसाई, पुरषोत्तम सोलंकी, नरेश पटेल, दर्शना वाघेला (अहमदाबाद की पूर्व डिप्टी मेयर), प्रद्युमन वाजा (गुजरात भाजपा एससी मोर्चा के पूर्व प्रमुख), मोरबी विधायक कांतिलाल अमरुतिया और वडोदरा विधायक मनीषा वाकिल, जीतू वाघाणी (गुजरात भाजपा के पूर्व अध्यक्ष), कौशिक वेकारिया, स्वरूपजी ठाकोर, टीकाराम छंगा, जयराम गमित, रिवाबा जडेजा (जामनगर उत्तर विधायक), पीसी बारांदा, रमेश कटारा, इश्वरसिहं पटेल, प्रवीण माली, रमनभाई सोलंकी, कमलेश पटेल और संजय सिंह महिदा को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को सीएम भूपेंद्र पटेल को छोड़कर मंत्रिपरिषद के सभी मंत्रियों ने अपना इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद यह फेरबदल आवश्यक हो गया था।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, गुजरात सरकार के इस मंत्रिपरिषद फेरबदल को भाजपा के मिशन 2027 विधानसभा चुनावों की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी इस पुनर्गठन के माध्यम से आगामी निकाय चुनावों में नए सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है।
मंत्रिपरिषद में युवा चेहरों को शामिल करने से युवा नेताओं का मनोबल बढ़ाने और ओबीसी-पाटीदार समुदायों का संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। विश्लेषकों का मानना है कि चेहरे बदलकर भाजपा राज्य में लंबे समय से चली आ रही सरकार के प्रति संभावित सत्ता-विरोधी लहर (एंटी-इनकंबेंसी) को भी बेअसर करने का प्रयास कर रही है, ताकि पाटीदार, ओबीसी और शहरी वोट बैंक के बीच संतुलन बना रहे।