सतना-मैहर जिले में होम्योपैथिक औषधालय डॉक्टर विहीन हो गए हैं। चार में से किसी भी केंद्र में चिकित्सक नहीं है, जिसके चलते कम्पाउंडर और चपरासी मरीजों को दवा दे रहे हैं। सरकार की उपेक्षा से प्रभावशाली चिकित्सा पद्धति के प्रति जनता का भरोसा डगमगाने लगा है। जानिए पूरी स्थिति।
By: Yogesh Patel
हाइलाइट्स
सतना, स्टार समाचार वेब
सतना-मैहर जिले में होम्योपैथिक चिकित्सा के बुरे हाल हैं। कभी इलाज की प्रभावी चिकित्सा पद्धति मानी जाने वाली होम्योपैथिक चिकित्सा अब सरकार की उपेक्षा का शिकार है। डॉक्टर न होने से कम्पाउंडर और चपरासी के भरोसे होम्योपैथिक औषधालय संचालित हो रहे हैं। बताया गया कि सतना-मैहर जिले में आयुष विभाग के अन्तर्गत कुल चार होम्योपैथिक चिकित्सालय हैं लेकिन इनमें डाक्टर न होने की वजह से कम्पाउंडर और चपरासी औषधालयों को संचालित कर मरीजों का उपचार करते हैं। उल्लेखनीय है कि होम्योपैथिक चिकित्सा में असाध्य रोगों का इलाज है, दोनों जिलों में डाक्टर न होने से अब मरीजों का भरोसा भी होम्योपैथिक चिकित्सा से उठता जा रहा है।
इन जगह हैं औषधालय
सतना शहर में होम्योपैथिक औषधालय हैं जबकि रामनगर ब्लाक में बड़ा इटमा, अमरपाटन के रैकवार में होम्योपैथिक औषधालय खुला है, मैहर जिला मुख्यालय में भी होम्यो औषधालय संचालित है।
बढ़ रहा मरीजों का दर्द
होम्योपैथिक चिकित्सा में भरोसा करने वाले मरीजों की चिंता बढती जा रही है कि आखिर जब जिले में एक भी डाक्टर नहीं होगा तो या तो उन्हें यह चिकित्सा पद्धति छोड़नी पडेÞगी या फिर दूसरे जिले में इलाज के लिए रुख करना पड़ेगा, वहीं सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि क्या आखिर कम्पाउंडर व चपरासी मरीजों का इलाज कर सकेेंगे? उल्लेखनीय है कि हाल ही में एकमात्र डा. दिलीप अहिरवार थे जो रैकवार और सतना होम्योपैथिक चिकित्सालय में तीन-तीन दिन अपनी सेवाएं दे रहे थे लेकिन उनका पिछले सप्ताह ट्रांसफर कटनी जिला हो गया। बताया गया कि होम्योपैथिक औषधालय में चिकित्सक, कम्पाउंडर, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता, दवा सहायक व पीटीएस के पद स्वीकृत हैं।
यह सही है कि चार में से किसी भी हौम्योपैथिक औषधालय में डाक्टर नहीं हैं, कम्पाउंडर और चपरासी के बल पर औषधालय खुलवाए जाते हैं, डाक्टर न होने के मामले में संचालनालय को अवगत कराया गया है।
डॉ. नरेन्द्र पटेल, जिला आयुष चिकित्सा अधिकारी