कोठी नगर परिषद का हाल यह है कि गंदगी की नदियां सीधे तहसील कार्यालय तक बह रही हैं। नालियां वर्षों से साफ नहीं हुईं, सड़कें गंदे पानी में डूबी हैं और स्वच्छता अभियान सिर्फ दीवारों पर लिखे नारों तक सिमट गया है। नगर परिषद का ब्रांड एंबेसडर बनाने के बाद भी हालात जस के तस हैं। जनता में आक्रोश है और अधिकारी केवल आश्वासन दे रहे हैं।
By: Yogesh Patel
Sep 13, 20256:38 PM
हाइलाइट्स:
कोठी, स्टार समाचार वेब
स्वच्छता का ब्रांड एंबेसडर बनाकर नगर परिषद ने सोचा था कि अब गंदगी पर लगाम लगेगी, लेकिन आज हालत यह है कि गंदगी ने पूरे नगर को जकड़ लिया है और सिस्टम हाथ पर हाथ रखे बैठा है। सड़कें नालियों में बदल गई हैं, और नालियां कचरे से लबालब। स्वच्छता सिर्फ दीवारों पर लिखे नारे और दिखावे की फोटो तक सीमित रह गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह दुर्गंध और बदहाली किसी कोने में नहीं, बल्कि नगर परिषद कार्यालय के सामने देखने को मिल रही है। कार्यालय से चंद कदम की दूरी पर वार्ड क्रमांक 5 की नालियां वर्षों से साफ नहीं की गई हैं। गंदा पानी सड़कों पर बहते हुए तहसील कार्यालय तक पहुंच रहा है। अगर तहसील और परिषद के पास ऐसे हालात हैं, तो फिर आम वार्ड में क्या स्थिति होगी?
सिस्टम बना तमाशबीन, जनता में आक्रोश
जहां शासन-प्रशासन गली-गली साफ-सफाई के दावे करता है, वहीं कोठी नगर में ब्रांड एंबेसडर नियुक्ति के बाद हालात और बदतर हो गए हैं। युवक व्यापारी पीयूष अग्रवाल को ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने के बाद भी नगर की नालियों की दुर्दशा जस की तस बनी हुई है। स्थानीय निवासियों का कहना है, पहले ही नगर परिषद हाथ खड़े कर चुकी थी, अब तो स्थिति बिल्कुल हाथ से निकल गई है।
नगर परिषद के सामने ये हाल है, तो बाकी जगह की कल्पना ही डरावनी है। अधिकारी आते हैं, तब थोड़ी सफाई दिखती है। फिर सब वैसा ही हो जाता है। यहाँ काम नहीं, सिर्फ बंदरबांट हो रही है। नगर परिषद की कुर्सी तक में बाहरी दखल बढ़ गया है।
पं. गंगा प्रसाद शर्मा, वरिष्ठ नागरिक
मुझे जानकारी मिली है, इसे जल्द दिखवाकर सबसे पहले समस्या का निदान कियाजाएगा । इस मामले में यदि किसी की लापरवाही मिली तो कार्रवाई भी होगी। हम कोठी को साफ-सुथरा व सुविधायुक्त बनाने के लिए कटिबद्ध हैं।
संजय सिंह, सीएमओ, नगर परिषद कोठी
मेरे घर के सामने से पूरे बाजार का गंदा पानी गुजरता है। लैट्रिन टैंक तक जुड़ चुके हैं। नाली चोक है, और बड़ा गड्ढा है जिसमें बच्चा गिर जाए तो जान तक जा सकती है। अभी दो दिन पहले एक बच्चा गिरा था — किस्मत से बच गया।
मंजू सोनी, निवासी वार्ड क्रमांक 5
मैंने भी 5 साल नगर परिषद चलाई है, लेकिन ऐसी दुर्दशा नहीं देखी। आज नगर में ब्रांड एंबेसडर, पार्षद, सीएमओ सब हैं — फिर भी ऐसा हाल! दुख होता है कि बजट होने के बावजूद कोई जिम्मेदारी नहीं ले रहा।
राकेश कोरी, पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष