विश्व प्रसिद्ध उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में कार्तिक शुक्ल एकादशी के अवसर पर बाबा महाकाल का अलौकिक भस्म और भांग श्रृंगार किया गया। हजारों श्रद्धालु देर रात से दर्शन के लिए कतार में लगे। साथ ही, जानें देवउठनी एकादशी की तिथि, पारण का शुभ समय और महाकाल के आज के श्रृंगार की विशेषता।
By: Ajay Tiwari
Nov 01, 20257:04 PM
उज्जैन. स्टार समाचार वेब धर्म डेस्क
श्री महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में बाबा महाकाल का स्वरूप अत्यंत निराला है। वे प्रतिदिन भस्म रमाकर और भांग से श्रृंगार करके भक्तों को दर्शन देते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी के शुभ अवसर पर, शनिवार की सुबह महाकाल के दरबार में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। हजारों श्रद्धालुओं ने देर रात से ही कतार में लगकर अपने आराध्य बाबा महाकाल के दर्शन किए।
अलौकिक भस्म आरती और श्रृंगार
महाकाल के दरबार में आज सुबह 4 बजे भस्म आरती हुई, जिसके लिए स्वयं बाबा महाकाल 4 बजे जागे। मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि वीरभद्र जी से आज्ञा लेने के बाद मंदिर के पट खोले गए।
जलाभिषेक: पंडे-पुजारियों ने सर्वप्रथम गर्भगृह में स्थापित सभी प्रतिमाओं का पूजन किया। इसके बाद भगवान महाकाल का दूध, दही, घी, शक्कर, शहद (पंचामृत) और फलों के रस से जलाभिषेक किया गया।
पूजन: प्रथम घंटा बजाकर 'हरि ओम' का जल अर्पित किया गया।
दिव्य श्रृंगार: पुजारियों ने बाबा महाकाल का दिव्य भांग श्रृंगार किया, जिसमें उनके मस्तक पर चंद्रमा और बेलपत्र अर्पित किए गए, जिससे बाबा का स्वरूप बेहद आकर्षक लग रहा था। कपूर आरती के बाद उन्हें नवीन मुकुट भी धारण कराया गया।
भस्म अर्पण: महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से शिवलिंग पर भस्म अर्पित की गई। यह मान्यता है कि भस्म अर्पित होने के बाद भगवान महाकाल निराकार से साकार स्वरूप में दर्शन देते हैं।
इन मनमोहक दर्शनों का लाभ लेने वाले हजारों भक्तों ने पूरे मंदिर परिसर को "जय श्री महाकाल" के जयघोष से गुंजायमान कर दिया।
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि इस प्रकार है:
एकादशी तिथि प्रारंभ: 1 नवंबर, सुबह 9 बजकर 12 मिनट पर।
एकादशी तिथि समाप्त: 2 नवंबर, शाम 7 बजकर 32 मिनट पर।
इस समय के अनुसार, गृहस्थ लोग 1 नवंबर को और वैष्णव संप्रदाय के लोग 2 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखेंगे। 1 नवंबर को व्रत रखने वाले जातक 2 नवंबर को व्रत का पारण करेंगे।
पारण का शुभ मुहूर्त: दोपहर 1 बजकर 11 मिनट से 3 बजकर 23 मिनट तक।
हरिवासर समाप्त होने का समय: दोपहर 12 बजकर 55 मिनट।