शासन के हालिया आदेश ने रीवा जिले की राजस्व न्यायालय व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई अधिकारियों के पास एक साथ कई राजस्व कोर्ट हैं, जिससे सुनवाई प्रभावित हो रही है। नौ नायब तहसीलदार अब भी लूप लाइन में भटक रहे हैं, जबकि तीन अधिकारियों को ही न्यायालयीन जिम्मेदारी सौंपी गई है। आदेश के खिलाफ प्रदेशभर में विरोध और हड़ताल हुई थी, जिसके बाद कलेक्टर को स्थानीय प्राथमिकता के आधार पर कार्य वितरण का अधिकार मिला।
By: Yogesh Patel
Oct 06, 2025just now
रीवा में जनवरी से सितंबर तक साइबर धोखाधड़ी के 9 महीने में साढ़े तीन सौ (≈350) से अधिक लोग ठगी के शिकार हुए। वर्क-फ्रॉम-होम, फेक क्रेडिट मैसेज, कस्टमर-केयर नंबर क्लोनिंग, रिश्तेदार बनकर धोखा, ऐप डाउनलोड कराकर ठगी सहित अलग-अलग चालों से कुल करीब ₹1.5 करोड़ ऐंठे गए।
By: Yogesh Patel
Oct 06, 2025just now
राज्य शासन द्वारा अगस्त में जारी स्थानांतरण आदेशों के दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन कई अधिकारी अब तक नई पदस्थापना पर नहीं पहुंच पाए हैं। त्योंथर एसडीएम पी.एस. त्रिपाठी को एडीएम सिंगरौली बनाया गया, पर डिप्टी कलेक्टर की अनुपस्थिति के कारण वे मुक्त नहीं हो पा रहे। इसी तरह अनुराग तिवारी का सतना तबादला भी अटका हुआ है। जबकि कुछ अधिकारियों ने रीवा में आमद दर्ज करा ली है, बाकी अब तक पुराने पदों पर ही जमे हुए हैं।
By: Yogesh Patel
Oct 06, 2025just now
चित्रकूट जिले के शिवरामपुर ग्राम पंचायत में अटल भूजल योजना के तहत 23 लाख 45 हजार रुपए की लागत से बने पटटा तालाब को ग्राम प्रधानपति ने ट्रैक्टर लगाकर तोड़ डाला। तालाब की इंटरलॉकिंग, रेलिंग और पत्थर उखाड़कर गायब कर दिए गए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि यह सब सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए किया गया है। प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है।
By: Yogesh Patel
Oct 06, 2025just now
सेरेब्रल पाल्सी तंत्रिका तंत्र से जुड़ी एक गंभीर और दर्दनाक बीमारी है, जो गर्भावस्था के दौरान या जन्म के बाद भी हो सकती है। इस बीमारी में बच्चे का मस्तिष्क कमजोर हो जाता है, जिससे शरीर की कई नसें काम करना बंद कर देती हैं। सतना जिले के पीकू वार्ड में हर साल 100 से अधिक बच्चे इस बीमारी से पीड़ित होकर भर्ती किए जाते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन फिजियोथेरेपी बच्चों के जीवन में सुधार लाने का सबसे बड़ा सहारा है।
By: Yogesh Patel
Oct 06, 2025just now
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अशासकीय कॉलेजों के प्रोफेसरों को 7वें वेतन आयोग का लाभ देने का अहम आदेश दिया है। जानें क्या है यह फैसला, किन प्रोफेसरों को मिलेगा लाभ और कैसे होगा एरियर्स का भुगतान।
By: Ajay Tiwari
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जबलपुर: स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश के अशासकीय कॉलेजों के प्राध्यापकों के लिए एक बड़ी खबर है। जबलपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि 31 मार्च 2000 से पहले नियुक्त हुए इन कॉलेजों के प्रोफेसरों को भी सातवें वेतन आयोग के तहत वेतन और अन्य लाभ प्रदान किए जाएं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुदान प्राप्त अशासकीय कॉलेजों के शिक्षक भी सरकारी कॉलेजों के प्राध्यापकों के समान ही सातवें वेतनमान के हकदार हैं। इसे शिक्षकों के लंबे संघर्ष के बाद एक बड़ी कानूनी जीत माना जा रहा है।
एरियर्स और भुगतान का स्पष्ट निर्देश
न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि मध्यप्रदेश सरकार को 31 मार्च 2000 से पहले नियुक्त सभी प्राध्यापकों को 1 जनवरी 2016 से लागू सातवें वेतनमान का लाभ देना होगा। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता प्राध्यापकों को आगामी 4 महीनों के भीतर कुल एरियर्स का 25 प्रतिशत भुगतान किया जाए। जो प्राध्यापक वर्तमान में सेवा में हैं, उन्हें शेष राशि 12 महीनों के भीतर मिलेगी, जबकि सेवानिवृत्त हो चुके प्राध्यापकों को यह भुगतान 9 महीनों के भीतर सुनिश्चित किया जाए।
देरी पर ब्याज का प्रावधान
अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि यदि निर्धारित समय-सीमा के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो राज्य सरकार को 6 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ एरियर्स का भुगतान करना होगा।
सरकार की पुरानी अनदेखी
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता एल.सी. पटने और अभय पांडे ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने 27 फरवरी 2024 को अनुदान प्राप्त कॉलेजों के शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ देने से इनकार कर दिया था, जबकि सरकारी कॉलेजों के शिक्षकों को 18 जनवरी 2019 को ही यह लाभ मिल चुका था। यह भी बताया गया कि इस मामले में पूर्व में भी हाई कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन सरकार ने उस आदेश की भी अनदेखी की थी, जिसके बाद अवमानना याचिका दायर करनी पड़ी थी। डॉ. ज्ञानेंद्र त्रिपाठी, जो मप्र अशासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के प्रांत अध्यक्ष भी हैं, इस मामले के प्रमुख याचिकाकर्ताओं में से एक हैं। यह फैसला हजारों शिक्षकों के लिए एक बड़ी उम्मीद लेकर आया है।
शासन के हालिया आदेश ने रीवा जिले की राजस्व न्यायालय व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई अधिकारियों के पास एक साथ कई राजस्व कोर्ट हैं, जिससे सुनवाई प्रभावित हो रही है। नौ नायब तहसीलदार अब भी लूप लाइन में भटक रहे हैं, जबकि तीन अधिकारियों को ही न्यायालयीन जिम्मेदारी सौंपी गई है। आदेश के खिलाफ प्रदेशभर में विरोध और हड़ताल हुई थी, जिसके बाद कलेक्टर को स्थानीय प्राथमिकता के आधार पर कार्य वितरण का अधिकार मिला।
By: Yogesh Patel
Oct 06, 2025just now
रीवा में जनवरी से सितंबर तक साइबर धोखाधड़ी के 9 महीने में साढ़े तीन सौ (≈350) से अधिक लोग ठगी के शिकार हुए। वर्क-फ्रॉम-होम, फेक क्रेडिट मैसेज, कस्टमर-केयर नंबर क्लोनिंग, रिश्तेदार बनकर धोखा, ऐप डाउनलोड कराकर ठगी सहित अलग-अलग चालों से कुल करीब ₹1.5 करोड़ ऐंठे गए।
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राज्य शासन द्वारा अगस्त में जारी स्थानांतरण आदेशों के दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन कई अधिकारी अब तक नई पदस्थापना पर नहीं पहुंच पाए हैं। त्योंथर एसडीएम पी.एस. त्रिपाठी को एडीएम सिंगरौली बनाया गया, पर डिप्टी कलेक्टर की अनुपस्थिति के कारण वे मुक्त नहीं हो पा रहे। इसी तरह अनुराग तिवारी का सतना तबादला भी अटका हुआ है। जबकि कुछ अधिकारियों ने रीवा में आमद दर्ज करा ली है, बाकी अब तक पुराने पदों पर ही जमे हुए हैं।
By: Yogesh Patel
Oct 06, 2025just now
चित्रकूट जिले के शिवरामपुर ग्राम पंचायत में अटल भूजल योजना के तहत 23 लाख 45 हजार रुपए की लागत से बने पटटा तालाब को ग्राम प्रधानपति ने ट्रैक्टर लगाकर तोड़ डाला। तालाब की इंटरलॉकिंग, रेलिंग और पत्थर उखाड़कर गायब कर दिए गए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि यह सब सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए किया गया है। प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है।
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सेरेब्रल पाल्सी तंत्रिका तंत्र से जुड़ी एक गंभीर और दर्दनाक बीमारी है, जो गर्भावस्था के दौरान या जन्म के बाद भी हो सकती है। इस बीमारी में बच्चे का मस्तिष्क कमजोर हो जाता है, जिससे शरीर की कई नसें काम करना बंद कर देती हैं। सतना जिले के पीकू वार्ड में हर साल 100 से अधिक बच्चे इस बीमारी से पीड़ित होकर भर्ती किए जाते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन फिजियोथेरेपी बच्चों के जीवन में सुधार लाने का सबसे बड़ा सहारा है।
By: Yogesh Patel
Oct 06, 2025just now