छिंदवाड़ा की घटना के बाद डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने दवा सुरक्षा पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने की घोषणा की। कफ सिरप जांच अनिवार्य, कोडीन नियंत्रण और लैब आधुनिकीकरण के निर्देश जारी।
By: Ajay Tiwari
Oct 12, 20254 hours ago
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भोपाल: स्टार समाचार वेब.
छिंदवाड़ा में हुई बच्चों की दर्दनाक मौत की घटना के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में दवा सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण को लेकर कठोर रुख अपना लिया है। उपमुख्यमंत्री (डिप्टी सीएम) राजेंद्र शुक्ल ने औषधि निगरानी एवं नियंत्रण व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की और स्पष्ट किया कि दवा की गुणवत्ता से समझौता करने वाले किसी भी दोषी को बतख्शा नहीं जाएगा, और सरकार 'ज़ीरो टॉलरेंस' नीति पर काम करेगी।
उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि छिंदवाड़ा त्रासदी से जुड़ी तमिलनाडु स्थित दवा निर्माता कंपनी के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार लगातार संपर्क बनाए रखेगी। उन्होंने इस घटना को केवल लापरवाही नहीं, बल्कि "एक गंभीर अपराध" बताया, जिसमें अनमोल जीवन खोए गए हैं, और इसमें किसी भी तरह की ढिलाई न बरतने की चेतावनी दी।
कफ सिरप पर कड़ी निगरानी और रासायनिक जांच अनिवार्य
राज्य में सभी कफ सिरप उत्पादकों की व्यापक जांच के आदेश जारी किए गए हैं। गुणवत्ता जांच में संदिग्ध पाए गए कोल्ड्रिफ सिरप, रिलाइफ सिरप और रिस्पीफ्रेश टीआर सिरप की दैनिक मॉनिटरिंग और स्टॉक-जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, अब डायथाइलीन ग्लाइकोल (DEG) और इथिलीन ग्लाइकोल (EG) जैसे जहरीले रसायनों की अनिवार्य जांच को इंडियन फार्माकोपिया जनरल मोनोग्राफ का हिस्सा बना दिया गया है। यह निर्णय मध्य प्रदेश सरकार के आग्रह पर लिया गया है, जिससे दवा निर्माण में इन रसायनों की उपस्थिति की जांच कानूनी रूप से अनिवार्य हो जाएगी।
कोडीन युक्त दवाओं की बिक्री पर सख़्त नियंत्रण
डिप्टी सीएम ने कोडीन आधारित दवाओं की बिक्री पर भी सख्त नियंत्रण लागू करने का निर्देश दिया। अब ये दवाएं केवल पंजीकृत डॉक्टर के पर्चे पर ही बेची जा सकेंगी। साथ ही, इनकी बिक्री की एक अधिकतम सीमा तय की गई है, जिसकी जानकारी औषधि निरीक्षक को देना अनिवार्य होगा।
दवा निगरानी प्रणाली का तकनीकी उन्नयन
राज्य की दवा निगरानी प्रणाली को सशक्त बनाने के लिए ड्रग मॉनिटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन योजना का मसौदा जल्द तैयार किया जाएगा। इसके तहत कई प्रमुख तकनीकी सुधार किए जाएंगे:
प्रयोगशालाओं का आधुनिकीकरण: भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर की राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं को अत्याधुनिक बनाया जाएगा।
नई यूनिट्स की स्थापना: हर लैब में माइक्रोबायोलॉजी और स्टरलिटी यूनिट स्थापित की जाएंगी।
आधुनिक उपकरण: HPLC, GC-MS, LC-MS जैसे उन्नत उपकरण लगाए जाएंगे।
त्वरित जांच: फील्ड स्तर पर हैंडहेल्ड डिवाइस की मदद से दवाओं की त्वरित जांच संभव हो सकेगी।
एनएबीएल मान्यता: सभी लैबों को राष्ट्रीय मान्यता (NABL) दिलाने की प्रक्रिया तेज की जाएगी।
इन तकनीकी उन्नयनों के अलावा, डेटा एंट्री ऑपरेटर, एनालिस्ट और केमिस्ट जैसे पदों पर नई नियुक्तियां और ई-लर्निंग के माध्यम से अधिकारियों की दक्षता में भी वृद्धि की जाएगी।
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