मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एमपी ट्रांसको) ने गुणवत्तापूर्ण और स्थिर वोल्टेज पर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश के 417 में से 412 सबस्टेशनों पर कैपेसिटर बैंक सक्रिय कर दिए हैं। सीधी जिले के पांच सबस्टेशनों पर 84 एमवीएआर क्षमता स्थापित की गई है। इस पहल से उपभोक्ताओं को मानक वोल्टेज पर भरोसेमंद बिजली उपलब्ध हो रही है।
By: Yogesh Patel
Sep 22, 2025just now
हाइलाइट्स
सीधी, स्टार समाचार वेब
उपभोक्ताओं को मानक वोल्टेज पर स्थिर और गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति उपलब्ध कराने की दिशा में मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एमपी ट्रांसको) ने उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज की है। प्रदेश के कुल 417 सबस्टेशनों में से 412 पर विभिन्न क्षमताओं के कैपेसिटर बैंक स्थापित और सक्रिय हैं। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने एमपी ट्रांसको की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इन बैंकों के माध्यम से प्रदेशवासियों को उच्च गुणवत्ता और स्थिर वोल्टेज पर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो रही है।
सीधी जिले में 84 एमवीएआर क्षमता
सीधी जिले में भी इस दिशा में अहम कदम उठाए गए हैं। जिले के पांचों एक्स्ट्रा हाई टेंशन सबस्टेशनों पर कुल 84 एमवीएआर क्षमता के कैपेसिटर बैंक स्थापित किए गए हैं। इनमें 220 केवी उपकेंद्र सीधी पर 12 एमवीएआर, 132 केवी उपकेंद्र सीधी पर 24 एमवीएआर, 132 केवी उपकेंद्र मड़वास पर 12 एमवीएआर, 132 केवी उपकेंद्र सिहावल पर 12 एमवीएआर और 132 केवी उपकेंद्र रामपुर नैकिन पर 24 एमवीएआर क्षमता के कैपेसिटर बैंक लगाए गए हैं।
प्रदेश में 751 कैपेसिटर बैंक सक्रिय
प्रदेश स्तर पर एमपी ट्रांसको द्वारा कुल 751 कैपेसिटर बैंक संचालित किए जा रहे हैं। इनमें 220 केवी सबस्टेशनों पर 145 केवी स्तर के 32 और 132 केवी सबस्टेशनों पर 36 केवी स्तर के 719 कैपेसिटर बैंक शामिल हैं। इनकी संयुक्त स्थापित क्षमता 9278.5 एमवीएआर है। इससे प्रदेशभर में उपभोक्ताओं को स्थिर वोल्टेज पर भरोसेमंद बिजली मिल रही है।
पुराने बैंकों का प्रतिस्थापन
कंपनी ने 52 पुराने कैपेसिटर बैंकों को चिन्हित कर लिया है, जिनकी समयावधि पूरी हो चुकी थी और वे अपेक्षित लोड देने में सक्षम नहीं रह गए थे। इनकी जगह उच्च क्षमता वाले नए कैपेसिटर बैंक लगाए जा रहे हैं। मुख्य अभियंता श्री अमर कीर्ति सक्सेना ने बताया कि क्षमता वृद्धि का कार्य तेज गति से जारी है।
क्यों जरूरी हैं कैपेसिटर बैंक?
सबस्टेशनों से आपूर्ति के दौरान पावर ट्रांसफार्मर्स पर इंडक्टिव लोड बढ़ने से वोल्टेज गिरावट की समस्या आती है। कैपेसिटर बैंक अपने कैपेसिटिव लोड के जरिए इस असर को संतुलित करते हैं। इससे पावर फैक्टर में सुधार होता है और उपभोक्ताओं को मानक वोल्टेज पर गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलती है।