NEET UG 2025 परीक्षा में बिजली कटौती से प्रभावित छात्रों को सुप्रीम कोर्ट से झटका। कोर्ट ने री-एग्जाम की मांग खारिज की, पर काउंसलिंग में शामिल होने की अनुमति दी। जानें इंदौर-उज्जैन केंद्रों का पूरा मामला और SC का फैसला।
By: Ajay Tiwari
Jul 25, 202513 hours ago
नई दिल्ली: स्टार समाचार वेब
नीट यूजी 2025 परीक्षा से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने उन 52 छात्रों की याचिका को खारिज कर दिया है, जिन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। इन छात्रों ने इंदौर और उज्जैन के कुछ परीक्षा केंद्रों पर बिजली कटौती के कारण दोबारा परीक्षा आयोजित करने की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने प्रभावित छात्रों को राहत देते हुए उन्हें काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति दी है।
4 मई 2025 को आयोजित नीट यूजी 2025 परीक्षा के दौरान इंदौर और उज्जैन के कुछ परीक्षा केंद्रों पर बिजली की समस्या सामने आई थी। छात्रों का आरोप था कि इस वजह से उनकी परीक्षा प्रभावित हुई और वे ठीक से पेपर नहीं दे पाए।
शुरुआत में, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इन छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा का आदेश दिया था। लेकिन बाद में, हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस फैसले को पलट दिया। डिवीजन बेंच ने एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बिजली कटौती के बावजूद पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी उपलब्ध थी, जिससे छात्रों को परीक्षा देने में खास दिक्कत नहीं हुई। इस फैसले के खिलाफ ही 52 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस ए.एस. चंदुरकर की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के फैसले को सही ठहराया और दोबारा परीक्षा की मांग को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले की गहराई से जांच की है, और विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर यह स्पष्ट है कि बिजली कटौती का प्रभाव इतना बड़ा नहीं था कि पूरी परीक्षा को रद्द किया जाए।
छात्रों की ओर से वकील मृदुल भटनागर ने दलील दी कि परीक्षा में 180 सवाल थे और समय भी 180 मिनट का था, लेकिन बिजली एक घंटे से ज्यादा समय तक गुल रही। इससे छात्रों का ध्यान भटका और वे सही से पेपर नहीं दे पाए। वकील ने यह भी बताया कि इंदौर के 18 और उज्जैन के 6 केंद्रों पर 2,000 से अधिक छात्र प्रभावित हुए थे।
हालांकि, कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बिजली कटौती का सामना सिर्फ इन्हीं छात्रों ने नहीं, बल्कि अन्य कई छात्रों ने भी किया होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वे किसी एक व्यक्ति या छोटे समूह की याचिका के आधार पर पूरे देश की परीक्षा प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकते। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि हाईकोर्ट ने हर पहलू पर ध्यान दिया और विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को आधार बनाया।
इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि इंदौर के 27,264 छात्रों में से केवल 75 ने ही याचिका दायर की थी। साथ ही, प्रभावित केंद्रों में से एक छात्र ने ऑल इंडिया रैंक 2 भी हासिल की थी, जिससे कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि बिजली कटौती का प्रभाव उतना गंभीर नहीं था, जितना दावा किया गया।