पन्ना जिले में वर्षों से चले आ रहे वन और राजस्व विभाग के सीमा विवाद को लेकर विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह ने मध्यप्रदेश विधानसभा में सशक्त आवाज उठाई। उन्होंने आरोप लगाया कि वन विभाग विकास कार्यों में अड़ंगा डाल रहा है जिससे ग्रामीण जनता, स्कूल-कॉलेज और सड़क परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं।
By: Yogesh Patel
हाइलाइट्स
पन्ना, स्टार समाचार वेब
जिले के विकास सबसे अहम कड़ी वन-राजस्व सीमा विवाद के हल को लेकर आज विधानसभा में पन्ना विधायक ने बात रखी। जिले की जनता से जुड़ी इस ज्वलंत समस्या को लेकर गुरुवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में पूर्व मंत्री एवं पन्ना विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह ने सशक्त तरीके से मामले को उठाया। उन्होंने सदन में स्पष्ट कहा कि राजस्व और वन विभाग की सीमाएं तय न होने से ग्रामीण जनता आए दिन परेशान हो रही है और यह स्थिति अब बर्दाश्त के बाहर है। विधायक श्री सिंह ने सदन में कहा कि कई बार शासन स्तर से निर्देश और पत्र जारी किए गए, फिर भी वन विभाग राजस्व भूमि को अपनी बता देता है, जिससे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सड़क जैसे जरूरी निर्माण कार्य रुक जाते हैं। उन्होंने इस स्थायी समस्या के निराकरण हेतु ह्लवन व्यवस्थापन अधिकारीह्ल की नियुक्ति की मांग की, जिसका समर्थन स्वयं संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी किया। बृजेंद्र सिंह ने बताया कि 25 साल पहले राज्य के मुख्य सचिव ने निर्देश दिया था कि 6 महीने में सीमांकन कर विवाद हल किया जाए, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। उन्होंने कहा कि पीएस रेवेन्यू और पीएस फॉरेस्ट को पत्र लिखकर दो माह में समीक्षा के निर्देश दिए गए थे, ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो सके। विधायक ने सदन में एक चैंकाने वाला उदाहरण देते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री जी शिक्षा मंत्री थे, तब पन्ना में गर्ल्स कॉलेज की स्वीकृति मिली थी, लेकिन जब वहां बाउंड्री वॉल बनाई गई, तो वन विभाग ने उस जमीन को अपनी बता दी और दीवार गिरा दी गई। बाद में संयुक्त सीमांकन में पाया गया कि 112 एकड़ भूमि राजस्व विभाग की ही है। इसी तरह, पन्ना मेडिकल कॉलेज के लिए आबंटित भूमि पर भी वन विभाग ने आपत्ति जताई, जबकि संयुक्त सीमांकन में 111 एकड़ भूमि राजस्व की ही निकली। विधायक ने कहा कि नेशनल हाईवे 39 बमीठा से सतना फोरलेन का काम भी वन विभाग के कारण अटका पड़ा है। विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह वन व्यवस्थापन अधिकारी की नियुक्ति की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि जब तक दोनों विभागों के बीच स्पष्ट समन्वय नहीं होगा, जनता को न्याय नहीं मिलेगा और विकास कार्य अटके रहेंगे। विधायक ने क्षेत्रीय जनता की समस्याओं को उजागर करते हुए नवीन झालर ग्राम का मुद्दा सदन में तारा अंकित प्रश्न के माध्यम से उठाया। उन्होंने बताया कि ग्रामवासियों को वन विभाग द्वारा कृषि योग्य भूमि पर काबिज किया गया था, लेकिन अब उन्हें कृषि कार्य से रोका जा रहा है। इस पर राज्य मंत्री एवं एसीएस वन विभाग ने स्पष्ट किया कि किसी को कार्य करने से नहीं रोका जाएगा और सार्वजनिक तालाबों का उपयोग ग्रामवासी कर सकेंगे।
विकास कार्यों में बाधा बन रहा है वन विभाग : विधायक
बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि पन्ना का विकास वन विभाग के कारण रुका हुआ है। 415 वन व्यवस्थापन के पट्टे हैं, जिन्हें आज तक राजस्व रिकॉर्ड में अमल में नहीं लाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पन्ना का 60 प्रतिशत क्षेत्र जंगल है और 1500 से अधिक भूमिस्वामी परिवारों को बेदखली का नोटिस भेजा गया है, जिससे वे परेशान होकर विधायक और प्रशासन के पास आते हैं, लेकिन समाधान नहीं होता। विधानसभा में चर्चा के दौरान राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि जहां भी ऐसी समस्या है, वहां दोनों विभागों के अधिकारियों को मिलाकर समस्या का समाधान कराया जाएगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि किसी भी आदिवासी को हटाया नहीं जाएगा। विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह की इस सशक्त पहल और जनता की समस्याओं को उच्च सदन में उठाने पर ग्रामवासियों में उत्साह और संतोष की लहर है। लोग आशा जता रहे हैं कि इससे जमीन से जुड़े विवादों का हल निकलेगा और विकास की गति को नई दिशा मिलेगी।