मध्यप्रदेश सरकार ने आवारा मवेशियों की समस्या से निपटने के लिए ‘स्वावलंबी गौशाला योजना’ शुरू की है। इसके तहत प्राइवेट कंपनियों को 125 एकड़ जमीन 30 साल की लीज पर दी जाएगी। 5 हजार आवारा मवेशियों की देखरेख अनिवार्य होगी, साथ ही डेयरी, उत्पाद विक्रय और 5 एकड़ भूमि का व्यावसायिक उपयोग की अनुमति भी मिलेगी।
By: Yogesh Patel
Sep 16, 2025just now
हाइलाइट्स:
रीवा, स्टार समाचार वेब
आवारा मवेशियों से निपटने के लिए सरकार अब नया कान्सेप्ट लेकर आ रही है। अब गौशालाएं प्राइवेट कंपनियां चलाएंगी। इन गौशालाओं में आवारा मवेशी रखे जाएंगे। जमीन सरकार उपलब्ध कराएगी। 30 साल की लीज पर जमीन दी जाएगी। 125 एकड़ भूमि प्राइवेट कंपनियों को मिलेगी। इसमें से 5 एकड़ भूमि का कामर्शियल उपयोग कंपनियां कर सकेंगी। आवारा मवेशियों को यहां रखना तो अनिवार्य है ही साथ ही कंपनियां अपनी डेयरी का संचालन भी कर सकेंगी। इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है।
आवारा मवेशियों से निपटने के लिए सरकार तेजी से लगी हुई है। नए कान्सेप्ट लाए जा रहे हैं। फिलहाल एक नया कान्सेप्ट पूरे प्रदेश में लागू किया जा रहा है। यह कान्सेप्ट रीवा के बसामन मामा से ही निकला है। अब सरकार खुद गौशालाओं का संचालन करने की जगह प्राइवेट कंपनियों को देगी। इस कान्सेप्ट के माध्यम से बड़ी बड़ी कंपनियों को इस तरफ लाने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा स्वरोजगार की दिशा में भी युवाओं को गौपालन की तरफ लाने की कोशिश है।
इस योजना का नाम स्वावलंबी गौशाला रखा गया है। इस योजना की शुरुआत हो चुकी है। रीवा से भी प्रस्ताव भोजा जा चुका है। जल्द ही यहां भी प्राइवेट कंपनियां गौशाला संचालित करती दिखाई देगी। आवारा मवेशियों को यही कंपनियां पालेगी और खिलाएंगी।
इस नई योजना से यह होगा फायदा
स्वाबलंबी गौशाला योजना में सरकार 125 एकड़ भूमि निजी कंपनी को उपलब्ध कराएगी। कंपनी को 30 साल के लिए भूमि दी जाएगी। इस भूमि में 5 हजार आवारा मवेशियों को रखना अनिवार्य होगा। इनके लिए शेड आदि का निर्माण भी कंपनी को ही करना होगा। इसके अलावा 5 एकड़ भूमि का उपयोग कंपनी कामर्शियल रूप में कर सकेंगी। इसमें दुकान आदि का निर्माण भी कर सकेगी। इसके अलावा कंपनी गौवंश से तैयार उत्पाद का भी विक्रय कर सकेगी। इसमें डेयरी का भी संचालन कर सकेगी। अलग से दुधारू पशु भी कंपनी पाल सकेगी।
हिनौती में बनेगी पहली कामर्शियल स्वाबलंबी गौशाला
हिनौती मेंं शासन ने गौशाला के लिए करीब 300 एकड़ भूमि का चिन्हांकन किया है। इसमें से 125 एकड़ भूमि का प्रस्ताव शासन के पास भोजा गया है। पहला स्वाबलंबी गौशाला हिनौती में ही खोला जाएगा। इसके लिए भी टेंडर निकाला जाएगा। कई जिलों में टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस नई योजना से युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। बड़ी कंपनियां और व्यवसायी भी डेयरी उद्योग की तरफ आगे बढ़ेंगे।
बसामन मामा ने दिखाई बड़ी राह
रीवा के सेमरिया में बनाई गई बसामन मामा गौ अ•यारण्य ने सरकार को नई दिशा दिखाई है। इसी कान्सेप्ट पर स्वाबलंबी गौशाला का कान्सेप्ट आया है। सरकार ने छोटी गौशालाओं की जगह बड़ी गौशालाओं के संचालन का फैसला लिया है। इसमें भी प्राइवेट कंपनियां की इंट्री कराने का निर्णय लिया गया है। इसमें जिला और प्रदेश के युवा, बड़े व्यापारी भी हिस्सा ले सकेंगे। इन गौशालाओं का टेंडर निकाला जाएगा। टेंडर में जो अधिक रेट डालेगा। उसे जमीन और गौशाला संचालन की जिम्मेदारी दी जाएगी।
बीच में ही छीन ली जाएगी जमीन
शासन ने स्वाबलंबी गौशाला योजना के तहत निजी कंपनियों की इंट्री तो कर रही है लेकिन उनके लिए नियम भी सख्त बनाई है। 30 साल के लिए जमीन लीज पर दी जाएगी। कंपनियों को 5 हजार आवारा मवेशियों को रखना भी अनिवार्य होगा। यदि शासन के दिए निर्देशों का पालन कंपनियां नहीं करती हैं तो उनका अनुबंध भी बीच में ही निरस्त कर दिया जाएगा।
स्वाबलंबी गौशाला का कान्सेप्ट अच्छा है। बड़े उद्यमियों, व्यावसायियों को डेयरी उद्योग की तरफ लाने के लिए यह नया कान्सेप्ट सरकार शुरू की है। इसमें रीवा से भी हिनौती की जमीन का प्रस्ताव भोजा गया है। यह सरकार का बड़ा कदम है। इससे युवाओं को भी स्वरोजगार के अवसर मिलेंगी। हालांकि इसमें जमीन सरकार देगी लेकिन 5 हजार आवारा गौवंशों की देखभाल का जिम्मा कंपनियों को उठाना होगा।
राजेश मिश्रा, रिटायर्ड, संयुक्त संचालक, पशु चिकित्सा विभाग रीवा
रिपोर्ट: विवेक सिंह बघेल