सतना संभाग में बिजली विभाग की ‘कुर्सी’ को लेकर मची होड़, नए अफसर के आने से विभाग में लगा ‘करंट’। स्मार्ट मीटर से लेकर वसूली तक की नई योजनाएं, और गर्मी में सोए अधिकारी अब बारिश में ‘चार्ज’ होकर आम जनता पर टूटे। पढ़ें बृजेश पाण्डेय की तीखी और चुटीली रिपोर्ट।
By: Yogesh Patel
Jul 29, 20258:50 PM
हाईलाइट्स
मैडम को मिली 'कुर्सी'
संभाग की 'कुर्सी' किसको प्यारी नहीं होती और वह भी जगमगाते हुए 'बिजली विभाग' की। उसे पाने की कोशिश सभी करते हैं, क्योंकि आजकल सभी सरकारी आॅफिसों में यह 'गुरु मंत्र' दिया जाता है कि 'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती'। बात अभी की है, 'संभागीय कार्यालय' के 'चीफ' की 'कुर्सी' खाली हुई नहीं थी और 'कुर्सी' की रेस चालू हो गई थी। 'चीफ' साहब के 'रिटायरमेंट' से ज्यादा खुशी 'कुर्सी' पाने की थी। रीवा से सतना तक विभाग में खुशियों की लहर दौड़ गई थी। रिटायरमेंट के पहले ही उत्सव चालू हो गए थे। 'कुर्सी' की दौड़ वाले अधिकारियों द्वारा रोज पार्टियां दी जा रही थी। साहब का रिटायरमेंट हो गया। कुछ दिनों बाद खबर आई कि 'पांडेय जी' की सीटी बज गई है और 'बाजीगर मैडम' आॅन ड्यूटी हो गई हैं।
बैठक में लगा 'करंट', 'बाल-बाल' बचे अधिकारी
'कुर्सी' का रंग दिखाता जरूर है, चाहे वह अधिकारी की हो या चपरासी की। 'मैडम' पांडेय जी को संभाग की कमान मिलते ही 'सतना' दौरा भी तय हो गया। हो भी क्यों न, 'सतना से सभी बड़े अधिकारियों की उम्मीद जुड़ी होती है'। अंदर की बात तो यह है कि विभाग के 'विकास' की सभी सीटों की 'फिक्सिंग' सतना से ही होती है। मैडम सतना पहुंचीं, प्रेमनगर कार्यालय में स्वागत सत्कार हुआ। 'बिजली' के बड़े साहब गुलदस्ता ले आए और चपरासी नाश्ता। बड़े साहब ने सोचा मैडम का 'मूड' बना दिया जाए और हम 'बरी' हो जाएं, पर यह हो न पाया। मैडम ने हंसते-हंसते ऐसा क्या पूछ लिया कि अधिकारियों को 440 'वोल्ट' का 'करंट' लग गया। कइयों के 'फ्यूज' उड़ गए। कुछ अधिकारियों के तो 'लो वोल्टेज' के मारे आवाज निकलना ही बंद हो गई। दूसरी 'लाइन' वाले प्रोजेक्ट मैनेजर की तो 'बत्ती गुल' हो गई। जाते-जाते मैडम ने कहा कि अगली बार आऊं तो सभी के 'फॉल्ट' सही मिलें, नहीं तो अब 'पेट्रोलिंग' और 'मेंटेनेंस' नहीं बल्कि कइयों के 'ट्रांसफार्मर' बदल दूंगी, फिर कोई अधिकारी तुम्हारी 'तार' नहीं जोड़ पाएगा।
'स्मार्ट मीटर' ने पकड़ी 'गति'
एक बार फिर 'स्मार्ट मीटर' का 'जिन्न' प्रदेश में जग गया है। प्रदेश के 'मुखिया' ने सभी 'आईएएस' अधिकारियों तक को सभी कार्यालयों में स्मार्ट मीटर लगाने के आदेश भी दिए हैं। मगर 'मुखिया' जी को क्या पता कि 'दीया तले ही अंधेरा' होता है। अभी तक कई 'सरकारी अफसरों' और 'सरकारी कार्यालयों' में जुगाड़ के 'डिजिटल मीटर' ही चल रहे हैं और झुग्गी झोपड़ियों में 'स्मार्ट'। 'साहबानो' के घर के 'बिल' का किसी के पास हिसाब नहीं और आम उपभोक्ताओं से बिल के साथ 'वसूली चार्ज' भी। संभाग के 'बड़े साहब' ने सभी विभागों के अधिकारियों को 'फरमान' जारी किया कि तत्काल सभी सरकारी विभागों में स्मार्ट मीटर लगाएं। जिले के बड़े साहब ने छोटे साहब को आदेश दिया कि आपका 'फ्यूज' क्यों उड़ा हुआ है। आप भी अपने 'शहर' की 'लाइनों' में 'स्मार्ट मीटर' का 'करंट' दौड़ाइए। इतना कहना था कि 'सिटी डिवीजन' के साहब ने 'स्मार्ट मीटर' के ठेका कंपनियों को कहा कि अब नहीं चलेगा 'बहाना', हर घर-कार्यालय 'स्मार्ट' है बनाना, वरना मजबूरन पड़ेगा हमें तुम्हें 'हटाना'। कंपनियों का जवाब आया, साहब 'उपभोक्ता सुनता नहीं', 'सरकारी दफ्तरों' में कोई मिलता नहीं। साहब ने कहा, नम्रता के साथ 'आईडी' दिखाओ और 'योजना' से जुड़ी हर बातें बताओ, फिर भी न मानें तो संबंधित अधिकारी को बताओ।
मौसम ठंडा होते ही फुल 'चार्ज' हुए अधिकारी
गर्मी के मौसम में क्या पता कि कब कौन सा 'ट्रांसफार्मर' में 'आग' लग जाए, 'लाइन फॉल्ट' हो जाए, 'डीओ उड़' जाए, घंटों भर 'बिजली' की आस में लोगों की रातें गुजर जाती थीं। हिम्मत जो कोई भी अधिकारी भला रात में 'फोन' उठा ले। गर्मी में 'अधिकारी' नींद में थे और 'जनता परेशान'। अचानक 'मौसम' बदला और ये 'नींद' से जागकर गरीबों और आम जनता की फिर 'नींद' हराम करने में जुट गए। इस बार बिल 'वसूली' का खेल चालू हो गया। गर्मी में केवल 'लाइन' सुधारने की ही हिदायत दी गई थी, किसी से बिल 'वसूलने' की नहीं। विभाग ने 'बरसात' में 'हर हाथों को काम' दे दिया है। भारी 'बरसात' में भी बड़े उत्साह के साथ 'लाइनमैन' खंभे में बिना किसी 'सेफ्टी' के चढ़ के बकायादारों के 'कनेक्शन' काटने में जुट गए। बकायदे 'फोटो सेशन' भी हो रहा है, लेकिन 'गरीब उपभोक्ताओं' की कोई नहीं सुन रहा है।