सावन मास के आध्यात्मिक और प्राकृतिक महत्व को जानें। यह महीना कैसे प्रकृति को सजाता है और भगवान शिव की भक्ति का प्रतीक है? सावन सोमवार, कावड़ यात्रा और अन्य परंपराओं के बारे में विस्तार से पढ़ें।
By: Star News
Jul 06, 202516 hours ago
स्टार समाचार वेब. अध्यात्म डेस्क
सावन का महीना, जिसे श्रावण मास भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और आध्यात्म में एक विशेष स्थान रखता है। यह महीना न केवल अपनी हरियाली और प्रकृति के अनुपम सौंदर्य के लिए जाना जाता है, बल्कि यह भगवान शिव की भक्ति का भी प्रतीक है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, सावन का महीना आमतौर पर जुलाई और अगस्त के बीच आता है, जब वर्षा ऋतु अपनी चरम पर होती है।
सावन आते ही प्रकृति मानो एक नया रूप ले लेती है। तपती गर्मी से राहत मिलती है और चारों ओर हरियाली की चादर बिछ जाती है। पेड़-पौधे धूल-मिट्टी से धुलकर ताज़गी से भर उठते हैं और खेत-खलिहानों में नई फसलें लहलहाने लगती हैं। इस समय आकाश में काले बादल घिरते हैं और मूसलाधार बारिश धरती को तृप्त करती है। मिट्टी से उठने वाली सोंधी खुशबू मन को मोह लेती है और वातावरण में एक अद्भुत शांति घुल जाती है। मोर अपने पंख फैलाकर नृत्य करते हैं, कोयल की कूक सुनाई देती है और चारों ओर आनंद और उल्लास का माहौल बन जाता है। यह समय किसानों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि अच्छी वर्षा उनकी फसलों के लिए जीवनदायिनी होती है।
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान भगवान शिव धरती पर आते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। सोमवार का दिन विशेष रूप से शिव पूजा के लिए शुभ माना जाता है और सावन के प्रत्येक सोमवार को 'सावन सोमवार' के रूप में जाना जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग और फूल चढ़ाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। कावड़ यात्रा भी सावन मास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भक्त गंगाजल लेने के लिए पैदल यात्रा करते हैं और उस जल से शिवरात्रि पर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।
सावन मास सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी एक अभिन्न अंग है। इस महीने में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे हरियाली तीज, नाग पंचमी और रक्षाबंधन। हरियाली तीज पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और झूले झूलती हैं। नाग पंचमी पर सर्पों की पूजा की जाती है, जो प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति सम्मान को दर्शाता है। रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार है, जब बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं।
सावन का महीना हमें प्रकृति के करीब आने और उसकी सुंदरता का सम्मान करने का अवसर देता है। यह हमें आध्यात्मिकता से जुड़ने, मन को शांत करने और रिश्तों में मिठास घोलने के लिए प्रेरित करता है। यह सचमुच एक ऐसा महीना है जो प्रकृति के सौंदर्य और ईश्वरीय भक्ति का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।