17 सितम्बर 2010 को विंध्य की धरती से प्रारंभ हुआ ‘स्टार समाचार’ आज 15 वर्षों की सफल यात्रा पूर्ण कर रहा है। यह केवल एक अख़बार की नहीं, बल्कि विचारों, विश्वास और जनसरोकार की यात्रा है, जिसने समाज के हर तबके की आवाज़ बनकर बदलाव की अलख जगाई है।
By: Star News
Sep 17, 20253:27 PM
17 सितम्बर 2010, केवल एक तिथि नहीं थी, बल्कि विंध्य की पवित्र माटी में यह एक चेतना का जन्म था। यह वह दिन था, जब पत्रकारिता के संसार में 'स्टार समाचार' ने अपने पहले शब्दों के साथ जनसरोकारों की राह पकड़ी, जिसके मूल में विंध्य का मानुस होने के नाते विंध्य की पवित्र माटी का कर्ज चुकाना था। आज जब इस अखबार की यात्रा 15 वर्षों का पड़ाव पार कर चुकी है, तो यह केवल समय की गिनती नहीं, एक विचार, एक विश्वास और एक वचन की सफलता है। यह 15 साल की यात्रा हर उस नागरिक के लिए महत्वपूर्ण है जो सच्चाई, जवाबदेही और सामाजिक न्याय की उम्मीद करता है। स्टार समाचार का जन्म उस भूमि पर हुआ जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के 12 वर्षों की तपस्या की। यह कोई संयोग नहीं था, यह संकल्प था कि जैसे श्रीराम ने राक्षसों से धरती को मुक्त करने का प्रण लिया था, वैसे ही हम पत्रकारिता के माध्यम से समाज के भीतर छिपे काले सच को उजागर करेंगे। हमारी कलम हथियार नहीं बनी, लेकिन वह दीपक अवश्य बनी जो अंधेरे में उम्मीद की रोशनी फैलाए। इन 15 वर्षों में हमने अपनी सीमाओं में रहते हुए वो प्रयास किए हैं, जो कई बार बड़े-बड़े मीडिया घराने भी करने का साहस नहीं जुटा पाए। हम सिर्फ खबरों के वाहक नहीं बने, हम जनता और सत्ता के बीच एक जीवंत पुल बने। 'सच्चाई भी, अच्छाई भी' के ध्येय वाक्य के साथ हमने हर उस मुद्दे को उठाया जो आम आदमी की जिंदगी से जुड़ा था। फिर वह किसान की पीड़ा हो, बेरोजगार युवाओं की हताशा हो, माताओं की सुरक्षा हो या वृक्षों की कटाई। हमारी पत्रकारिता का मूल आधार जन सरोकार रहा है। जब किसान खाद और बीज के लिए लाइन में लाठी खाते हैं, तब हमारे शब्द चीख बनकर पन्नों पर उतरते हैं। जब आदिवासियों की जमीनें हड़पी जाती हैं या चित्रकूट की पवित्र पहाडिय़ों पर खनन माफिया हमला बोलते हैं, तब स्टार समाचार मौन नहीं रहता। हमने परसमनिया पठार की खूबसूरती को बचाने के लिए कलम चलाई और मैहर की त्रिकूट पहाडिय़ों के क्षरण को रोकने के लिए जन अभियान चलाया। यह केवल खबर नहीं थी, यह जन चेतना का आंदोलन था। इन वर्षों में हमने यह भी देखा कि किस तरह धर्म के नाम पर फर्जी बाबाओं ने समाज को ठगा। आस्था को कैद कर उन्होंने महलों की नींव रखी और करोड़ों की संपत्ति इक_ा की। स्टार समाचार ने उन चुप्पियों को तोड़ा, जहां बड़े मीडिया घराने खामोश हो जाते हैं। हमने न केवल इन तथाकथित संतों की असलियत जनता तक पहुंचाई, बल्कि उन्हें न्याय के कटघरे में खड़ा भी किया। एक अखबार की भूमिका केवल आलोचना तक सीमित नहीं होनी चाहिए। पत्रकारिता केवल दोष ढूंढऩे की कला नहीं, समाधान का रास्ता भी दिखाने वाली विधा है। स्टार समाचार ने इसे बार-बार सिद्ध किया है। जब सरकारों ने जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला योजना, जनधन योजना, आयुष्मान भारत, या प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि तब हमने केवल आंकड़ों की छपाई नहीं की, बल्कि वास्तविक जरूरतमंदों तक यह जानकारी पहुंचाने का जिम्मा निभाया। हमारे ग्रामीण संस्करणों ने गांव-गांव जाकर यह सुनिश्चित किया कि एक भी पात्र व्यक्ति इन योजनाओं से वंचित न रहे। हमने विशेष परिशिष्ट निकालकर जन-जागरूकता फैलाई, सरकारी कैंपों की जानकारी समय रहते दी और प्रशासन से सवाल किए कि किस हद तक योजनाओं का लाभ जमीन तक पहुंचा है। हमने यह समझा और समझाया कि सिर्फ घोषणा नहीं, क्रियान्वयन ही असली विकास है। यहां यह भी स्वीकारना होगा कि जब सत्ता और सिस्टम अपने दायित्वों से चूकते हैं, तब पत्रकारिता को बहुत कुछ सहना पड़ता है। हमारे शब्दों पर कई बार हमले हुए, कई बार दबाव बनाया गया, लेकिन हम नहीं झुके। हमने सीखा कि पेड़ जितना ऊंचा होता है, उसकी जड़ें उतनी गहराई में जाती हैं। हमने पक्षियों से सीखा कि उड़ते रहना ही जीवन है , चाहे बादल हों या तूफान। और हमने मछलियों से सीखा कि कम ऑक्सीजन में भी जिंदा रहकर जद्दोजहद करना ही जीवन है। जब हमारे प्रयासों से श्रीराम वनगमन पथ को लेकर सरकार की सोच बदली और चित्रकूट विकास प्राधिकरण की स्थापना हुई, तब हमें यह विश्वास हुआ कि कलम से भी बदलाव संभव है। 15 वर्षों के सतत प्रयास के बाद जब सरकारें चित्रकूट और सरभंगा जैसे पवित्र स्थलों को संरक्षित करने के लिए संकल्पबद्ध हुईं, तो वह केवल सरकारी कार्य नहीं, यह जन आंदोलन की जीत थी जिसमें स्टार समाचार की भूमिका केंद्रीय रही। हमारी पत्रकारिता ने कभी भी केवल सत्ता की आलोचना के लिए आलोचना नहीं की। जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने क्षेत्रीय विकास की प्रतिबद्धता दिखाई, तब हमने इसे सकारात्मक दृष्टि से प्रस्तुत किया। लेकिन हमने साथ ही यह भी कहा घोषणाएं पर्याप्त नहीं, जमीन पर असर दिखाई देना चाहिए। हमने यह भी रिपोर्ट किया कि जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं का वास्तविक लाभ कहाँ तक पहुँचा, और कहाँ पर पाइप लाइनें सिर्फ फाइलों में बिछीं। हम यह मानते हैं कि अखबार का काम केवल सुबह-सुबह चाय के साथ पढ़ा जाना नहीं है, बल्कि समाज की अंतरात्मा को झकझोरना है। और आज जब डिजिटल मीडिया, टीवी और सोशल मीडिया की चकाचौंध चारों ओर फैली है, तब भी भारतीय जनमानस के लिए एक सच्चा, विश्वसनीय अखबार आज भी वही महत्व रखता है, जैसा पहले था। क्योंकि छपे हुए शब्दों की महक आज भी लोगों के अंतर्मन तक पहुंचती है। आज जब हम 15 वर्षों की इस यात्रा को पीछे मुड़कर देखते हैं, तो हमें यह समझ में आता है कि यह केवल अखबार की यात्रा नहीं थी। यह विचारों की यात्रा थी। यह उस आवाज की यात्रा थी, जो किसी को नजर नहीं आती, लेकिन भीतर बहुत कुछ बदल देती है। हमने इस दौरान तीन प्रमुख संस्करण सतना, रीवा और भोपाल के जरिए अपने पाठकों से गहरा रिश्ता बनाया है। हमारा उद्देश्य स्पष्ट है कि स्टार समाचार को केवल समाचार पत्र नहीं, समाज का सजग प्रहरी बनाना है। और इस संकल्प में हमारे साथी हैं- आप। आप पाठक, आप जागरूक नागरिक, आप समाज के सच्चे प्रहरी। यह यात्रा आपसे ही है, और आपके साथ ही आगे बढ़ेगी। हमारा विश्वास केवल शब्दों में नहीं, कर्म में है। हम कल भी जनता की आवाज थे, आज भी हैं, और कल भी रहेंगे। जय हिंद! जय विंध्य!!
- रमेश सिंह चेयरमैन, स्टार ग्रुप