गंजबासौदा। तेज गर्मी और उमस के कारण सरकारी अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। रोजाना करीब 900 मरीज ओपीडी में पहुंच रहे हैं। वार्डों में भर्ती मरीजों की संख्या सौ बिस्तरों की क्षमता से दोगुनी हो गई है। उल्टी, दस्त, बुखार, पेट दर्द और गैस के मरीज सबसे ज्यादा आ रहे हैं। गंभीर मरीजों को तुरंत विदिशा रेफर किया जा रहा है।
अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ की भारी कमी है। इससे इलाज में परेशानी हो रही है। डॉक्टरों को मरीजों को देखने का पूरा समय नहीं मिल पा रहा। कतार में खड़े मरीज जल्दी इलाज की मांग करते हैं। इससे डॉक्टरों पर दबाव बढ़ रहा है। अस्पताल की अव्यवस्थाओं को लेकर कलेक्टर से शिकायत की जा चुकी है। इसके बाद भी डॉक्टरों और स्टाफ की कमी दूर नहीं हो सकी।
सौ बिस्तरों के अस्पताल में 22 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं। इनमें 13 पद क्लास वन और बाकी क्लास टू के हैं। क्लास वन में सिर्फ चार डॉक्टर पदस्थ हैं। इनमें शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. महेंद्र बाजौरिया, डॉ. अजय जैन, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रविंद्र चिढ़ार और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. लीना शर्मा शामिल हैं। क्लास टू में सिर्फ चार डॉक्टर कार्यरत हैं। बाकी पद खाली हैं। दो महीने पहले संविदा पर आए डॉक्टरों में से अधिकतर जा चुके हैं। उनके स्थान पर कोई नहीं आया।
सर्जन और हार्ट विशेषज्ञ की सख्त जरूरत
अस्पताल में क्लास वन के मेडिसिन, ऑर्थोपेडिक, सर्जन और हार्ट विशेषज्ञ की सख्त जरूरत है। इनकी कमी के कारण अस्पताल सिर्फ प्राथमिक उपचार केंद्र बनकर रह गया है। थोड़ी भी जटिल स्थिति होने पर मरीज को विदिशा रेफर करना पड़ता है। सड़क दुर्घटनाओं में घायल मरीजों को भी हर दिन रेफर करना पड़ता है। विधायक हरिसिंह रघुवंशी के प्रयास से भोपाल से डॉ. धर्मेंद्र रघुवंशी सप्ताह में एक दिन ऑर्थों सेवाएं दे रहे हैं।
सीएमएचओ को भेजी सूची
सरकारी अस्पताल में आधुनिक ऑपरेशन थियेटर और सभी सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन पोस्ट ग्रेजुएट सर्जिकल डॉक्टर नहीं होने से ऑपरेशन नहीं हो पा रहे। वर्तमान में पदस्थ महिला डॉक्टर डॉ. लीना शर्मा ने कुछ ऑपरेशन किए हैं। अस्पताल में आने वाले 98 प्रतिशत प्रसव सामान्य रूप से निपट जाते हैं। दो प्रतिशत मामलों में सीजेरियन ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। बीएमओ डॉ. परमेंद्र तिवारी ने बताया कि नए चिकित्सा भवन के अनुसार डॉक्टर और कर्मचारियों की सूची मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भेजी जा चुकी है।