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25 गांवों के जलस्रोतों को रिचार्ज करने व सिंचाई में उपयोगी तालाबों का संरक्षण नहीं

By: Gulab rohit

Jul 29, 20257 hours ago

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25 गांवों के जलस्रोतों को रिचार्ज करने व सिंचाई में उपयोगी तालाबों का संरक्षण नहीं

भिदवासन व सौसेरा तालाब की मरम्मत का इस्टीमेंट बनाने भेजा था पत्र, विभाग ने कहा-हमारे अधीन नहीं
गंजबासौदा। भिदवासन और सौसेरा तालाबों की जांच कर मरम्मत और स्टॉप डेम का प्रस्ताव बनाकर भेजने के लिए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य अभियंता चंबल, बेतवा, कछार जल संसाधन विभाग भोपाल को पत्र भेजा था। सिंचाई विभाग ने प्राक्कलन बनाकर जिला पंचायत को भेज दिया। यह सिंचाई विभाग के अंतर्गत नहीं आते। अब कार्रवाई जिला पंचायत को करनी है। कुल मिलाकर मामला फिर से सुलझाने की बजाय उलझ गया। पहाड़ों से घिरे 25 गांवों की पेयजल और सिंचाई समस्या हल करने के लिए सैकड़ों साल पहले बुजुर्गों ने तीन तालाबों की श्रृंखला विकासखंड के ग्राम भिदवासन, कबूलपुर और सोसेरा में बनाई थी। पूरे क्षेत्र में इन तालाबों के अलावा जल का कोई और स्रोत नहीं है। इन तीनों बड़े तालाबों की श्रृंखला पहाड़ी गांवों के जलस्रोतों को रिचार्ज रखती थी। ये तालाब रबी सीजन में किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराते थे। प्रशासनिक और राजनीतिक उपेक्षा के कारण भिदवासन और सौसेरा तालाब आठ साल से क्षतिग्रस्त हैं। इससे किसानों के सामने हर साल सिंचाई और पेयजल संकट लगातार विकराल हो रहा है। मीडिया द्वारा इस मामले को और तालाबों की दुर्दशा का मामला उठाया था। उसके बाद जनपद सदस्य रानी देवेंद्र रघुवंशी ने यह मामला कृषि मंत्री और सांसद के सामने रखा था।
ट्यूबवेल में पानी नहीं निकलता
भिदवासन और कबूलपुर तालाब में लगभग 300-300 बीघा जमीन डूब में रहती है। बारिश के बाद सैकड़ों हेक्टेयर भूमि इससे सिंचित की जाती थी। भिदवासन कबूलपुर तालाब से पानी सिंध नदी द्वारा सनाई, डफरयाई कालापाठा, करौंदा बरखेड़ा के आसपास के ग्रामों को मिलता है। इससे वहां के किसानों को सिंचाई सुविधा मिलती है। बचा हुआ पानी केबटन नदी में पहुंचता है, जिससे कई ग्रामों को नदी का लाभ मिलता है, लेकिन आठ साल से भिदवासन तालाब क्षतिग्रस्त है। इससे ग्रामीण जल संकट से गुजर रहे हैं। यह पहाड़ी क्षेत्र होने से 25 गांवों में ट्यूबवेल में पानी नहीं निकलता है। इससे पीने के पानी की बड़ी समस्या है।
क्षतिग्रस्त होने से सूख गया तालाब
ग्राम मांसेर सोसेरा की 100 हेक्टेयर भूमि पर तालाब है। यह तालाब क्षतिग्रस्त होने के कारण सूख गया है। इससे सात गांवों के एक हजार किसानों के सामने खेती का संकट खड़ा हो गया है। 5 गांवों का वाटर लेवल जमीन से 300 फीट नीचे चला गया है। यह तालाब 8 साल पहले लचीली सरकारी व्यवस्था के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था। तब से ही सूखा पड़ा है।
पहले विशाल थे तालाब
भिदवासन, कबूलपुर और सौसेरा के तालाबों में जब बारिश का पानी भरता था, तो पहाड़ी से देखने पर दूर-दूर तक समुद्र जैसा नजारा दिखाई देता था। पिछले आठ साल से कबूलपुर तालाब को छोड़कर भिदवासन और सौसेरा तालाबों में सिर्फ मैदान ही दिखाई देता है। वर्तमान में केवल कबूलपुर तालाब ही ठीक स्थिति में है। सोसेरा और भिदवासन तालाब क्षतिग्रस्त हैं। इनमें पानी नहीं भरता है। इनकी मरम्मत के लिए पूर्व मुख्यमंत्री, कलेक्टर, जनपद को कई बार लिखित में आवेदन देकर गुहार लगा चुके हैं। इसके बावजूद इन पुराने जलस्त्रोतों की मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
यह तालाब सिंचाई विभाग के अधीन नहीं
यह प्राचीन तालाब है। सिंचाई विभाग के कार्यक्षेत्र में नहीं आते। इनका प्राक्कलन तैयार करने के बाद जिला पंचायत सीईओ विदिशा को भेज दिया। 
प्रियंका भंडारी, ईई, संजय सागर
परियोजना, गंजबासौदा।

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