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मप्र में तैयार किए जाएंगे 5 हजार साइबर कमांडो, 5 कानपुर से ट्रेनिंग लेकर लौटे वापस

बताया जाता है कि इस दस्ते को क्रिमिनल्स की धरपकड़ के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल के उपयोग का तरीका कमांडो को बताया गया है।

By: Prafull tiwari

May 20, 20255:34 PM

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मप्र में तैयार किए जाएंगे 5 हजार साइबर कमांडो, 5  कानपुर  से ट्रेनिंग लेकर लौटे वापस

भोपाल। पाकिस्तान से चल रहे तनाव के बीच साइबर हमलों की आशंकाओं के चलते सूबे में साइबर सुरक्षा ज्यादा मजबूत की जा रही है। मप्र  के 5 साइबर कमांडो यानि सब इंस्पेक्टर अब आईआईटी कानपुर में छह महीने की स्पेशल ट्रेनिंग पूरी कर लौट आए हैं। एक अन्य की ट्रेनिंग मई में पूरी होगी।  ये कमांडो अब प्रदेश को साइबर हमलों से बचाने के लिए फायरवॉल की तरह खड़े रहेंगे। जानकारी के मुताबिक केंद्र के इंडियन साइबर क्राइम को-आॅर्डिनेशन सेंटर (आई-4सी) के तहत पहले बैच में देशभर से 346 कमांडो तैयार किए हैं। राज्य साइबर सेल के एडीजी ए साईं मनोहर के मुताबिक देश में ऐसे 5 हजार कमांडो तैयार करने का लक्ष्य है। 

बताया जाता है कि इस दस्ते को क्रिमिनल्स की धरपकड़ के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल के उपयोग का तरीका कमांडो को बताया गया है।  देश और प्रदेश के बड़े विभागों के सर्वर को सुरक्षित रखने के लिए यह कमांडो साइबर आॅडिट करेंगे तथा मौजूदा सॉफ्टवेयर की उपयोगिता व जरूरी सुधार सुझाएंगे साइबर हमले रोकने फायरवॉल मजबूत करेंगे। फायरवॉल नेटवर्क स्तर पर काम करता है। इसकी कोडिंग को पुख्ता करेंगे। 

दूसरी तरफ  आम लोगों को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए भोपाल साइबर क्राइम विंग ने पहली बार साइबर पेट्रोलिंग शुरू की है। इसमें फर्जी वेबसाइट (क्लोन कर दूसरी बनाना), फेक सोशल मीडिया अकाउंट और फर्जी एप चिह्नित करने का काम टीम कर रही है। इसके लिए साइबर विंग आॅफिस और थानों में बनी साइबर हेल्प डेस्क पर आ रहीं शिकायतों का सहारा लिया जा रहा है। दरअसल ठग अल्फाबेट में हेराफेरी कर असली वेबसाइट क्लोन कर नकली वेबसाइट बना देते हैं। 

इंटरनेट पर सर्च करते समय कई बार लोग इन अल्फाबेट पर ध्यान नहीं देते और क्लोन वेबसाइट पर क्लिक कर देते हैं। उनके जाल में फंसकर लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। बताया जाता है कि अब तक 100 से ज्यादा संदिग्ध वेबसाइट और एप चिह्नित किए गए हैं। इन सभी को ब्लॉक कराने की सूची केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी है। उल्लेखनीय है कि  साइबर पुलिस की टीम इंटरनेट पर लगातार सर्चिंग करती है। इसमें फर्जी वेबसाइट और एप की पहचान के लिए फिल्टर लगाए जाते हैं। साथ ही इनकी पहचान की-वर्ड सर्च और शिकायत के आधार पर होती है। डोमेन के आधार पर इन्हें ब्लॉक कराया जाता है।

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