इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा-हालांकि लिव-इन रिलेशनशिप का कान्सेप्ट समाज में सभी को स्वीकार्य नहीं है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि ऐसा रिश्ता गैरकानूनी है अथवा शादी बिना साथ रहना अपराध है। मनुष्य के जीवन का अधिकार बहुत ऊंचे दर्जे पर है, भले ही कोई जोड़ा शादीशुदा हो या शादी की पवित्रता बिना साथ रह रहा हो।
By: Arvind Mishra
Dec 18, 20251:20 PM
प्रयागराज। स्टार समाचार वेब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा-हालांकि लिव-इन रिलेशनशिप का कान्सेप्ट समाज में सभी को स्वीकार्य नहीं है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि ऐसा रिश्ता गैरकानूनी है अथवा शादी बिना साथ रहना अपराध है। मनुष्य के जीवन का अधिकार बहुत ऊंचे दर्जे पर है, भले ही कोई जोड़ा शादीशुदा हो या शादी की पवित्रता बिना साथ रह रहा हो। एक बार जब कोई बालिग अपना सहचर चुन लेता है तो किसी अन्य व्यक्ति को चाहे वह परिवार का सदस्य ही क्यों न हो, आपत्ति करने और उनके शांतिपूर्ण जीवन में बाधा डालने का अधिकार नहीं है। संविधान के तहत हर नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा राज्य का कर्तव्य है। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह की एकलपीठ ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों द्वारा पुलिस सुरक्षा की मांग वाली याचिकाओं को मंजूर कर लिया है।
आदेश इसलिए महत्वपूर्ण
कोर्ट ने कहा-राज्य सहमति से रहने वाले बालिगों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा से इंकार नहीं कर सकता। यह आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाई कोर्ट की एक अन्य पीठ ने किरण रावत और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य केस में ऐसे रिश्तों को सामाजिक समस्या बताते हुए लिव-इन रिलेशनशिप में साथ रहने वाले जोड़ों को सुरक्षा देने से इंकार कर दिया था।
पीड़ित पुलिस से करे संपर्क
कोर्ट के अनुसार, बालिग होने पर किसी व्यक्ति को कानूनन सहचर चुनने का अधिकार मिलता है, जिसे अगर मना किया जाता है तो यह न केवल उसके मानवाधिकारों बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को भी प्रभावित करेगा। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर याचीगण के शांतिपूर्ण जीवन में कोई बाधा आती है तो वे संबंधित पुलिस कमिश्नर/ एसएसपी/एसपी से संपर्क कर सकते हैं।
पुलिस तुरंत मुहैया कराए सुरक्षा
यह पक्का करने के बाद कि याची बालिग हैं और मर्जी से साथ रह रहे हैं, पुलिस अधिकारी तुरंत सुरक्षा देंगे। वह तब तक कोई कार्रवाई नहीं करेंगे, जब तक जोड़ों अथवा उनमें किसी के खिलाफ किसी भी अपराध के संबंध में कोई एफआईआर न हो जाए। उम्र संबंधी दस्तावेज के लिए आॅसिफिकेशन टेस्ट करवाया जा सकता है।