जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उनकी याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई हो। यह याचिका एक इन-हाउस जांच कमेटी की उस रिपोर्ट को रद करने के लिए दायर की गई है, जिसमें उन्हें नकदी कांड में गलत आचरण का दोषी ठहराया गया है।
By: Arvind Mishra
Jul 23, 20255 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
कैशकांड केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई से मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने खुद को अलग कर लिया है। चीफ जस्टिस बी आर गवई ने कहा-इसके लिए विशेष बेंच बनानी पड़ेगी। मैं उसमें शामिल नहीं हो सकता, क्योंकि तत्कालीन चीफ जस्टिस ने मुझसे भी सलाह ली थी। दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उनकी याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई हो। यह याचिका एक इन-हाउस जांच कमेटी की उस रिपोर्ट को रद करने के लिए दायर की गई है, जिसमें उन्हें नकदी कांड में गलत आचरण का दोषी ठहराया गया है। वर्मा ने इस मामले को गंभीर बताते हुए इसे तुरंत सुनने की अपील की है।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में यह मामला उठाया। उन्होंने चीफ जस्टिस बीआर गवई से अनुरोध किया कि इस याचिका को जल्द से जल्द सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि इसमें कुछ अहम संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं। गवई ने कहा-मुझे एक बेंच गठित करनी होगी। इस बेंच में जस्टिस के विनोद चंद्रन और जॉयमल्या बागची भी शामिल थे।
जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में तत्कालीन चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया संजीव खन्ना की 8 मई की उस सिफारिश को रद करने की मांग की है, जिसमें संसद से उनके खिलाफ इम्पीचमेंट की कार्रवाई शुरू करने की बात कही गई थी। यह सिफारिश उस जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी, जिसने जस्टिस वर्मा को दोषी पाया था।
यह जांच पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू की अगुवाई में हुई थी। कमेटी ने 10 दिनों तक जांच की, 55 गवाहों से पूछताछ की और उस जगह का दौरा किया, जिस जगह पर 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे जस्टिस वर्मा के दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहते हुए उनके सरकारी आवास पर आग लगी थी।
यह आग जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर लगी थी, जो उस वक्त दिल्ली हाई कोर्ट में उनकी पोस्टिंग के दौरान हुआ। इस हादसे के दौरान उनके घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। इसके बाद जांच कमेटी ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया कि जस्टिस वर्मा का आचरण संदिग्ध था, जिसके चलते उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई।