सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ईसाई आर्मी अफसर की याचिका पर सुनवाई की। अफसर को गुरुद्वारे में पूजा करने से जाने के लिए मना करने पर नौकरी से निकाल दिया गया था। याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सेना में रहने के लायक नहीं है।
By: Arvind Mishra
Nov 25, 20252:44 PM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ईसाई आर्मी अफसर की याचिका पर सुनवाई की। अफसर को गुरुद्वारे में पूजा करने से जाने के लिए मना करने पर नौकरी से निकाल दिया गया था। याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सेना में रहने के लायक नहीं है। नए सीजेआई सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने नौकरी से बर्खास्त सैमुअल कमलेसन के याचिका को खारिज करते हुए कहा- वह कैसा संदेश दे रहे हैं। एक सेना अफसर बड़ी अनुशासनहीनता। उसे नौकरी से निकाल देना चाहिए था। इस तरह के झगड़ालू लोग सेना में रहने के लायक हैं।
सीनियर के आदेश को किया था मना
सैमुअल कमलेसन तीसरी कैवलरी रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट थे, लेकिन उन्होंने गुरुद्वारे में पूजा करने के लिए जाने से अपने सीनियर के आदेश को मना कर दिया था। उसने कहा था कि उसका एकेश्वरवादी ईसाई धर्म इसकी इजाजत नहीं देता। इसके बाद उसे मिलिट्री डिसिप्लिन तोड़ने के लिए निकाल दिया गया था।
भारतीय सेना के लिए मिसफिट
मई में उसने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन अदालत ने आर्मी के फैसले को सही ठहराया था। अब केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा-वह एक शानदार अफसर हो सकता है, लेकिन वह भारतीय सेना के लिए मिसफिट है। इस समय हमारी सेना पर जितनी जिम्मेदारियां हैं... हम यह नहीं देखना चाहते।
पीठ ने ठुकराए सभी तर्क
सैमुअल की तरफ से वकील गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क रखे। उन्होंने कहा-कमलेसन ने होली और दीवाली जैसे त्योहारों में हिस्सा लेकर दूसरे धर्मों के प्रति सम्मान दिखाया, लेकिन एक ही गलती के लिए उसे नौकरी से निकाल दिया गया। वकील ने संविधान में धर्म को मानने के अधिकार का भी हवाला दिया, लेकिन पीठ इससे सहमत नहीं था।