सुप्रीम कोर्ट ने दो मामलों में सोमवार को ईडी पर सख्त टिप्पणी की, और कहा कि एजेंसी को राजनीतिक लड़ाइयों में इस्तेमाल न होने दिया जाए। एक मामला कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया की पत्नी के खिलाफ एमयूडीए केस में हाई कोर्ट के राहत आदेश को चुनौती देने से जुड़ा था और दूसरा मामला वकीलों को भेजे गए समन से जुड़ा था।
By: Arvind Mishra
Jul 21, 20256 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
सुप्रीम कोर्ट ने दो मामलों में सोमवार को ईडी पर सख्त टिप्पणी की, और कहा कि एजेंसी को राजनीतिक लड़ाइयों में इस्तेमाल न होने दिया जाए। एक मामला कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया की पत्नी के खिलाफ एमयूडीए केस में हाई कोर्ट के राहत आदेश को चुनौती देने से जुड़ा था और दूसरा मामला वकीलों को भेजे गए समन से जुड़ा था। कोर्ट ने ईडी की अपील खारिज कर दी और चेतावनी भी दी। पहले मामले में, ईडी ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें कर्नाटक सीएम की पत्नी बीएम पार्वती और कर्नाटक के शहरी विकास मंत्री बायरथी सुरेश के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की कार्यवाही को रद्द कर दिया गया था। यह केस मैसूर अर्बन डिवेलपमेंट अथॉरिटी द्वारा अवैध साइट आवंटन से जुड़ा था। हाई कोर्ट ने 7 मार्च को ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए कार्यवाही खारिज कर दी थी। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान पूछा-आपको पता है कि सिंगल जज ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को सही ठहराया था, फिर भी आप अपील कर रहे हैं। राजनीतिक लड़ाइयां जनता के बीच लड़ी जानी चाहिए, ईडी का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है। जस्टिस गवई ने आगे कहा-मुझे महाराष्ट्र में ईडी के अनुभव हैं। कृपया हमें कठोर टिप्पणी करने के लिए मजबूर न करें। ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अपील वापस लेने की पेशकश की, लेकिन अनुरोध किया कि इसे एक मिसाल न माना जाए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा-हम सिंगल जज के तर्क में कोई गलती नहीं पाते। इस विशेष परिस्थिति में, हम अपील खारिज करते हैं। एएसजी को धन्यवाद कि उन्होंने हमें कठोर टिप्पणी करने से बचा लिया।
सुप्रीम कोर्ट के मुवक्किलों को कानूनी सलाह देने के लिए वरिष्ठ वकीलों को ईडी द्वारा समन भेजे जाने से संबंधित एक स्वत: संज्ञान मामले पर भी विचार किया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-आन-रिकॉर्ड एसोसिएशन, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, इन-हाउस लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य कानूनी संस्थाओं ने हस्तक्षेप के लिए आवेदन दायर किए थे। सीजेआई ने कहा-अगर वकील द्वारा दी गई सलाह गलत भी हो, तो भी उसे कैसे समन किया जा सकता है। यह विशेषाधिकार का मामला है। कुछ दिशानिर्देश जरूर निर्धारित किए जाने चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला-हम सुबह से कह रहे हैं कि कृपया अदालत का इस्तेमाल राजनीतिक मंच के रूप में न करें। हमें मुंह खोलने के लिए मजबूर न करें। हमें ईडी के बारे में कुछ कठोर टिप्पणियां करनी पड़ेंगी। इस वायरस को अभी देश में हर जगह न फैलाएं। राजनीतिक लड़ाई मतदाताओं के सामने लड़ी जाए। इसके लिए आपका दुरुपयोग क्यों किया जा रहा है। अदालत ने स्वत: संज्ञान मामले में नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी।