भारत का नाम रोशन कर रहे गगनयात्री शुभांशु शुक्ला ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के बाद वापस लौट आए हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 18 दिनों तक रहने के बाद शुभांशु एक्सिओम-4 मिशन के अपने तीन सहयोगी अंतरिक्षयात्रियों के साथ आज दोपहर 3:00 बजे प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया तट पर उतरे।
By: Arvind Mishra
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
भारत का नाम रोशन कर रहे गगनयात्री शुभांशु शुक्ला ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के बाद वापस लौट आए हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 18 दिनों तक रहने के बाद शुभांशु एक्सिओम-4 मिशन के अपने तीन सहयोगी अंतरिक्षयात्रियों के साथ आज दोपहर 3:00 बजे प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया तट पर उतरे। शुभांशु को आईएसएस से धरती पर आने में लगभग साढ़े 22 घंटे लगे। दरअसल, मंगलवार को दोपहर 3:00 बजे एक ऐतिहासिक पल आया जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 18 दिन की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन यात्रा के बाद धरती पर लौट आए। यह उनकी पहली अंतरिक्ष यात्रा थी, जो एक्सिओम- 4 मिशन का हिस्सा थी। शुभांशु स्पेसएक्स के ग्रेस यान से लौटे और कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंडिंग की। यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए गर्व का क्षण है।
शुभांशु शुक्ला 25 जून 2025 को फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च हुए थे। 26 जून को आईएसएस से जुड़े थे। इस दौरान उन्होंने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिसमें मांसपेशियों की हानि, मानसिक स्वास्थ्य और अंतरिक्ष में फसल उगाने जैसे शोध शामिल थे। 14 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 4:45 बजे ग्रेस यान करर से अलग हुआ। पृथ्वी की ओर बढ़ा।
ग्रेस यान की लैंडिंग से पहले एक जोरदार सोनिक बूम सुनाई दिया, जो इसकी तेज गति का संकेत था। लैंडिंग के दौरान संचार कुछ देर के लिए रुका, क्योंकि प्लाज्मा की परत सिग्नल को ब्लॉक कर रही थी, लेकिन रिकवरी टीम नौकाएं और हेलीकॉप्टर तुरंत कार्रवाई में आई। शुभांशु समेत सभी क्रू को सुरक्षित बाहर निकाला। इस टीम में पैगी व्हिटसन (कमांडर), स्लावोश उजनांस्की-विस्निव्स्की (पोलैंड), और टिबोर कपु (हंगरी) भी शामिल थे।
ग्रेस यान 580 पाउंड (लगभग 263 किलोग्राम) सामान लेकर लौटा, जिसमें नासा का हार्डवेयर, प्रयोगों का डेटा और करर का कुछ कचरा शामिल था। यह डेटा अंतरिक्ष में मानव जीवन और विज्ञान को समझने में मदद करेगा। शुभांशु ने इस दौरान भारत का तिरंगा और अपने बेटे के पसंदीदा खिलौने हंस जॉय को भी साथ रखा।
लैंडिंग के बाद, शुभांशु और उनकी टीम को मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया। उन्हें लगभग 10 दिन तक पृथकवास में रहना होगा, ताकि अंतरिक्ष के प्रभावों से उबर सकें। गुरुत्वाकर्षण में सामंजस्य बिठा सकें। इस दौरान उनकी सेहत पर नजर रखी जाएगी। यह मिशन भारत के लिए एक मील का पत्थर है, जो गगनयान मिशन और भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए प्रेरणा देगा। शुभांशु ने कहा कि अंतरिक्ष में भारत का झंडा लहराना गर्व की बात है। अब नई शुरुआत की तैयारी है।