मधुमेह दुनिया भर में एक तेजी से बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आडीएफ) के अनुसार विश्व में वर्तमान में 53.7 करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, और यह संख्या 2045 तक 78.3 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
By: Manohar pal
Nov 11, 20256:11 PM
मधुमेह दुनिया भर में एक तेजी से बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आडीएफ) के अनुसार विश्व में वर्तमान में 53.7 करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, और यह संख्या 2045 तक 78.3 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। यह एक गंभीर बीमारी है जो हृदय रोग, किडनी फेलियर और अंधापन जैसी घातक जटिलताओं का जोखिम कई गुना बढ़ा देती है।
आईडीएफ के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा डायबिटीज पीड़ित देश है और यहां लगभग 7.4 करोड़ वयस्क मधुमेह से पीड़ित हैं।
इस समस्या को लेकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। डायबिटीज के मरीजों अक्सर एक सवाल रहता है कि उन्हें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? इसी कड़ी में एक बड़ा भ्रम चावल को लेकर भी रहता है कि क्या उन्हें यह खाना चाहिए या नहीं। विशेषज्ञों के मुताबिक यह इस बात पर निर्भर करता है कि डायबिटीज मरीज की स्थिति क्या है और वो कौन-सा चावल खाना चाह रहे हैं।
चावल में मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं जो शरीर में जाकर ग्लूकोज (शुगर) में बदल जाते हैं। चावल दो तरीके होते हैं सफेद चावल और भूरा चावल। सफेद चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होता है, जिससे यह ब्लड शुगर के लेवल को तेजी से बढ़ाता है। वहीं ब्राउन राइस जो भूसी और चोकर के साथ आता है, सफेद चावल की तुलना में कहीं बेहतर विकल्प है। इसलिए, डायबिटीज के मरीजों को चावल के प्रकार और उसके सेवन के तरीके में सावधानी बरतनी चाहिए ताकि वे अपने ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखते हुए इसका स्वाद ले सकें।
सफेद चावल क्यों है कम फायदेमंद?
सफेद चावल को पॉलिशिंग प्रक्रिया से गुजारा जाता है, जिसमें उसके फाइबर, चोकर और पोषक तत्व पूरी तरह से हट जाते हैं। इस वजह से इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स 70 से अधिक होता है, जो खाने के बाद रक्त शर्करा को तेजी से बढ़ाता है। सफेद चावल जल्दी पच जाता है, लेकिन इससे बार-बार भूख लगती है और यह इंसुलिन पर दबाव डालता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को सफेद चावल का सेवन बहुत सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
ब्राउन राइस क्यों है सबसे बेहतर विकल्प?
ब्राउन राइस डायबिटीज रोगियों के लिए सबसे बेस्ट विकल्प है। यह साबुत अनाज होता है, जिसमें चोकर और रोगाणु मौजूद रहते हैं, जिससे इसमें फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है। फाइबर के कारण इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम (लगभग 50-55) होता है। यह पेट में धीरे-धीरे पचता है, जिससे ग्लूकोज खून में धीरे-धीरे रिलीज होता है और ब्लड शुगर का लेवल अचानक नहीं बढ़ने देता है।
सेवन का सही तरीका और मात्रा
चावल को हमेशा अकेले खाने से बचें। इसे प्रोटीन (दाल, पनीर, दही) और सब्जियों (फाइबर) के साथ मिलाकर खाएं। यह मिश्रण चावल के ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम कर देता है। इसके अलावा, चावल को ठंडा करके खाने से उसमें रेसिस्टेंट स्टार्च बनता है, जो ब्लड शुगर पर कम असर डालता है।
डायबिटीज मरीज इस बात का विशेष ध्यान रखें कि एक छोटी कटोरी (लगभग आधा कप) से ज्यादा चावल न खाएं, साथ ही ये ध्यान रखें कि अगर आपको डॉक्टर ने चावल खाने को बिल्कुल मना किया है तो कोई भी चावल न खाएं।
अन्य प्रकार के बेहतर चावल
ब्राउन राइस के अलावा, डायबिटीज के मरीज जंगली चावल और लाल चावल भी खा सकते हैं। इन दोनों में ही सफेद चावल की तुलना में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा अधिक होती है। इन्हें खाने से पहले हमेशा पानी में अच्छी तरह भिगोना चाहिए ताकि पाचन आसान हो। चावल खाने के बाद थोड़ी देर टहलना भी शुगर को नियंत्रित रखने में सहायक होता है।