अमेरिकी सांसदों ने भारत, चीन और ब्राजील को चेतावनी दी है कि यदि वे रूस से तेल खरीदते रहे, तो उन पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया जा सकता है। ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि अगर पुतिन ने 50 दिनों में युद्ध नहीं रोका, तो कठोर दंडात्मक कदम उठाए जाएंगे।
By: Sandeep malviya
Jul 15, 202519 hours ago
वॉशिंगटन । अमेरिकी सीनेटरों ने रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए कड़े आर्थिक उपायों की मांग की है। उनका मानना है कि अगर भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश रूस से सस्ता तेल और गैस खरीदना जारी रखते हैं, तो ये देश अप्रत्यक्ष रूप से पुतिन की युद्ध मशीन को ताकत दे रहे हैं। इसीलिए अब इन देशों पर 500 फीसदी तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव लाया गया है।
यह प्रस्ताव अमेरिकी सीनेट में रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम और डेमोक्रेट सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने रखा है। इसे डोनाल्ड ट्रंप के हालिया ऐलान से समर्थन भी मिला है, जिन्होंने कहा है कि अगर रूस 50 दिनों के अंदर युद्ध नहीं रोकता, तो वे सेकेंडरी टैरिफ लगाएंगे। ऐसे में माना जा रहा है ट्रंप का सेकेंडरी टैरिफ सीनेटर रिचर्ड का प्रस्ताव हो सकता है।
भारत, चीन और ब्राजील पर टैरिफ का खतरा
सीनेटर ग्राहम और ब्लूमेंथल का कहना है कि जो देश रूस से सस्ता तेल और गैस खरीदते हैं, वे पुतिन की ताकत बढ़ा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे देशों पर 500% तक टैरिफ लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों को यह समझना चाहिए कि व्यापार के जरिए वे रूस की जंग को जिंदा रख रहे हैं। यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने रूस पर पहले से ही कई स्तरों पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं।
सीनेट में 'रूस प्रतिबंध अधिनियम 2025' का प्रस्ताव
अप्रैल 2025 में ग्राहम और ब्लूमेंथल ने मिलकर ह्यरूस प्रतिबंध अधिनियम 2025ह्ण नामक विधेयक पेश किया था। अब इसे ट्रंप के समर्थन से नई ऊर्जा मिली है। ब्लूमेंथल ने सोशल मीडिया पर कहा कि इस बिल का मकसद सिर्फ सख्त प्रतिबंध लगाना नहीं है, बल्कि वैश्विक दबाव बनाकर पुतिन को शांति वार्ता के लिए मजबूर करना है।
डोनाल्ड ट्रंप का सख्त रुख
नाटो महासचिव से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने साफ कहा कि वे रूस से बेहद नाराज हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 50 दिनों के भीतर शांति समझौता नहीं होता, तो 100% "सेकेंडरी टैरिफ" लगाए जाएंगे। ट्रंप के मुताबिक, इन टैरिफ का मकसद युद्ध को खत्म करना है, न कि व्यापार को नुकसान पहुंचाना। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले ही स्पष्ट किया था कि भारत इस मसले पर अमेरिका से संपर्क में है। उन्होंने कहा था कि अमेरिकी कांग्रेस में जो भी घटनाक्रम भारत के हितों को प्रभावित कर सकता है, उस पर भारत नजर बनाए हुए है। भारतीय दूतावास और राजदूत ने सीनेटर ग्राहम से बातचीत कर भारत के ऊर्जा और सुरक्षा हितों को बताया है।