सीरिया के स्वैदा में हिंसक झड़पों के बाद सीरियाई सरकार ने युद्धविराम का ऐलान किया है। ड्रूज नेताओं ने पहले शांति की अपील की, फिर सरकार पर नागरिकों पर हमले का आरोप लगाया। इसी दौरान इस्राइल ने भी सीरियाई सेना के टैंक पर हमला किया।
By: Sandeep malviya
Jul 15, 202519 hours ago
दमिश्क। सीरिया के रक्षा मंत्री मुरहाफ अबू कासरा ने मंगलवार को घोषणा की कि स्वैदा शहर में सरकार और स्थानीय गुटों के बीच समझौते के बाद सीरिया की सेना युद्धविराम करेगी। यह फैसला सोमवार को हुए हिंसक झड़पों के बाद लिया गया, जिसमें दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी। बता दें कि स्वैदा प्रांत, जहां ड्रूज समुदाय की बड़ी आबादी रहती है, वहां सुन्नी बदूइन जनजातियों और ड्रूज लड़ाकों के बीच आपसी अपहरण और हमलों के कारण झड़पें शुरू हुईं। स्थिति को संभालने के लिए सरकार ने सेना भेजी, लेकिन सुरक्षा बलों और ड्रूज गुटों के बीच भी भिड़ंत हो गई। इसी दौरान इस्राइल ने सीरियाई सेना के एक टैंक पर हमला किया।
अब समझिए इस्राइल ने क्यों किया हमला?
वहीं बात सीरिया पर इस्राइली हमले के कारण की करें तो इस्राइली रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्होंने यह हमला ड्रूज समुदाय की रक्षा के लिए किया। इस्राइल में ड्रूजो को एक वफादार अल्पसंख्यक माना जाता है, और वे सेना में भी सेवा करते हैं। ऐसे में अब इस्राइल की बढ़ती दखलअंदाजी और सरकार पर ड्रूज समुदाय की अविश्वास से स्थिति और भी संवेदनशील हो गई है।
धार्मिक नेताओं की अपील और विरोध
हालांकि मामले में बढ़ते तनाव को देखते हुए शुरूआत में सीरिया के ड्रूज धार्मिक नेताओं ने लड़ाकों से हथियार डालने और सरकार से बातचीत की अपील की थी। लेकिन बाद में प्रमुख धार्मिक नेता शेख हिकमत अल-हिजरी ने उस बयान को वापस ले लिया और सरकार पर नागरिकों पर बमबारी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हम पर पूरी तरह से विनाश का युद्ध थोपा गया है।
ड्रूज गुटो में कई बार हो चुकी है झड़पे
ड्रूज एक धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय हैं, जिनकी जड़ें इस्लाम के शिया इस्माइली संप्रदाय से निकली हैं। दुनियाभर में लगभग 10 लाख ड्रूज हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा सीरिया में रहते हैं। दिसंबर में राष्ट्रपति बशर अल-असद के सत्ता से हटने के बाद से सरकार और ड्रूज गुटों के बीच कई बार झड़पें हो चुकी हैं। इस संघर्ष से एक बार फिर सांप्रदायिक हिंसा बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। मार्च में सरकार समर्थक बलों पर हुए हमले के बाद भारी संख्या में बदला लेने की घटनाएं हुई थीं, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे।
अब तक 37 की मौत, बच्चों की भी जान गई
रिपोर्ट के अनुसार, इन झड़पों में कम से कम 37 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें दो बच्चे भी शामिल हैं। झड़पों में कई लोग घायल भी हुए हैं और स्थानीय अस्पतालों में इलाज जारी है। क्षेत्र में तनाव को देखते हुए सेना की टुकड़ियों को सुरक्षा चौकियों पर तैनात किया गया है।