विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को चीन के तिआनजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया।
By: Sandeep malviya
Jul 15, 202518 hours ago
बीजिंग। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को चीन के तिआनजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का मुद्दा उठाया और कहा कि सदस्य देशों को संगठन के मूल उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए और आतंकवाद के खिलाफ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा है। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला जानबूझकर जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और धार्मिक तनाव पैदा करने के मकसद से किया गया था। इस हमले में 26 लोगों की नृशंस हत्या कर दी गई थी।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने इस हमले की कड़ी निंदा की थी। सुरक्षा परिषद ने यह भी कहा था कि इस निंदनीय आतंकी हमले के अपराधियों, साजिशकतार्ओं, फंडिंग करने वालों और समर्थकों को सजा दिलाई जानी चाहिए। जयशंकर ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ से लड़ाई के उद्देश्य से की गई थी। उन्होंने कहा कि ये तीनों समस्याएं अक्सर एक साथ देखने को मिलती हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा, एससीओ को अपनी स्थापना के मूल उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहने के लिए आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाना ही होगा।
जयशंकर ने यह भी कहा कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात अस्थिर हैं और ऐसे समय में क्षेत्रीय सहयोग बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, आज हम एक ऐसे समय में मुलाकात कर रहे हैं, जब वैश्विक व्यवस्था में भारी उथल-पुथल है। पिछले कुछ वर्षों में हमने अधिक संघर्ष, प्रतिस्पर्धा और दबाव देखे हैं। आर्थिक अस्थिरता भी साफ दिख रही है। हमारे सामने चुनौती है कि हम वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करें, विभिन्न खतरों को कम करें और मिलकर उन समस्याओं का समाधान करें जो हमारे सामूहिक हितों के लिए खतरा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया अब बहुध्रुवीय बनती जा रही है। ताकत केवल कुछ देशों तक ही सीमित नहीं है। एससीओ जैसे समूहों का उभरना भी इसका उदाहरण है।
विदेश मंत्री ने कहा, हम वैश्विक मामलों को कितनी अच्छी तरह प्रभावित कर पाते हैं, यह इस पर निर्भर करेगा कि हम एक साझा एजेंडा पर कितनी एकजुटता से काम कर पाते हैं। इसका मतलब है कि सभी को साथ लेकर चलना होगा। उन्होंने एससीओ के भीतर सहयोग और भागीदारी को और गहरा करने का भी आग्रह किया।