भारत में आज का दिन इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होने जा रहा है। भारतीय गगनयात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हो रहे हैं। 41 साल बाद कोई भारतीय एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में जाएगा। इस बीच अंतरिक्ष की दुनिया से भारत के लिए एक और खुशखबरी आई है।
By: Arvind Mishra
Jun 25, 20257 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
भारत में आज का दिन इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होने जा रहा है। भारतीय गगनयात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हो रहे हैं। 41 साल बाद कोई भारतीय एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में जाएगा। इस बीच अंतरिक्ष की दुनिया से भारत के लिए एक और खुशखबरी आई है। बुलंद भारत की बेटी 2029 में स्पेस की सैर करेगी। दरअसल, आंध्र प्रदेश की रहने वाली 23 साल की दांगेती जाह्नवी 2029 में अंतरिक्ष की सैर करने जा रही हैं। नासा का इंटरनेशनल एयर एंड स्पेस प्रोग्राम कंप्लीट करने वाली वो पहली भारतीय हैं। इसी के साथ उन्हें टाइटन के आॅर्बिटल पोर्ट स्पेस स्टेशन पर जाने के लिए चुना गया है। यह एक अमेरिका बेस्ड प्रोजेक्ट है जिसे अगले 4 सालों में लॉन्च किया जाएगा।
जाह्नवी के अनुसार, उन्हें बचपन में उनकी दादी उन्हें चांद और वहां रहने वाली एक महिला की कहानी सुनाया करती थीं। इससे जाह्नवी के मन में आया कि चांद पर जाकर देखना चाहिए कि वहां आखिर है क्या। इसी के साथ वो हमेशा यह सोचा करती थीं कि चांद उनका पीछा क्यों करता है। यहीं से उनका एस्ट्रोनॉट बनने का सपना शुरू हुआ और उन्होंने मेहनत शुरू कर दी।
एस्ट्रोनॉट बनने का सपना जाह्नवी ने बचपन में ही देख लिया था। स्पेस और इससे जुड़ी चीजों के बारे में जानना और पढ़ना उनका पैशन है। इसके अलावा उन्हें पेंटिंग और स्कूबा डाइविंग भी काफी पसंद है। ट्रेनिंग के बीच समय निकालकर जाह्नवी स्कूबा डाइविंग के लिए जाती रहती हैं।
जाह्नवी कहती हैं कि जब उन्होंने एस्ट्रोनॉट्स के बारे में पढ़ना शुरू किया तो पता चला कि उनकी ट्रेनिंग अंडर वाटर होती है ताकि जीरो ग्रैविटी एक्सपीरियंस की जा सके। इसके बाद जाह्नवी घर से 25 किमी दूर समुद्र में जाकर पानी में हाथ-पैर मारने लगीं। यहां उन्हें एक ट्रेनर मिले जिनसे जाह्नवी ने स्कूबा डाइविंग सीखी।
2022 में जाह्नवी को ल्यूनर मिशन के लिए पोलैंड बुलाया गया। यहां उन्हें चांद जैसे वातावरण में रखा गया और वहीं पर किए गए एक्सपेरिमेंट्स का उन्हें हिस्सा बनने का मौका मिला। जाह्नवी कहती हैं, इस दौरान मेरे अंदर की वो 5 साल की जाह्नवी बहुत खुश थी। सपना पूरा होता हुआ दिख रहा था। इस वातावरण में जाह्नवी ने 12 दिन बिताए और ह्यूमन सर्वाइवल के कई एक्सपेरिमेंट्स किए। इसे पूरा करने के बाद वो एनालॉग एस्ट्रोनॉट बनीं।