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दस वर्षों से सूची की जांच नहीं : अपात्र उठा रहे लाभ, हकदार दर-दर खा रहे ठोकरें

4400 नामों में से 4000 अपात्र, 3 मंजिला मकान, खेती और शोरूम भी, फिर भी गरीब

By: Gulab rohit

Nov 10, 202510:32 PM

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दस वर्षों से सूची की जांच नहीं : अपात्र उठा रहे लाभ, हकदार दर-दर खा रहे ठोकरें

गंजबासौदा। नगर की गरीबी रेखा सूची अब गरीबी नहीं, बल्कि पहुंच और पकड़ की पहचान बन गई है। पिछले दस सालों से सूची की जांच न होने के कारण नगर पालिका की 24 वार्डों में तैयार 4400 नामों में से करीब 4000 लोग अब अपात्र की श्रेणी में आ चुके हैं। स्थिति यह है कि जिनके तीन मंजिला पक्के मकान, ट्रैक्टर, खेती और शोरूम तक हैं, वे भी गरीबी रेखा के पात्र बने बैठे हैं, जबकि वास्तविक गरीब दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। नगर में गरीबी रेखा की सूची का अंतिम सर्वे 2017 में हुआ था। उससे पहले 2003, 2007 और 2009 में जांच हुई थी। लेकिन राजनीतिक दबाव और स्थानीय प्रभावशाली लोगों की पहुंच के कारण अपात्रों के नाम हटे, बल्कि बढ़ते चले गए।
जांच का कार्य एडीएम की देखरेख पटवारियों के माध्यम से होता है ताकि नगर पालिका कर्मचारी दबाव में न आएं। फिर भी, दस साल से जांच होने से अपात्र लोग लगातार सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। नगर पालिका के वार्ड प्रभारी भी मानते हैं कि यदि प्रशासनिक स्तर पर निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो सूची से आधे से ज्यादा नाम तुरंत हट सकते हैं। लेकिन राजनीतिक दबाव और स्थानीय हस्तक्षेप के कारण कोई अधिकारी कार्रवाई नहीं कर पा रहा।

वार्ड-1-6 और 7 में कुछ ऐसे ही अपात्र गरीबों के उदाहरण

वार्ड-7 में चार खंभा गली निवासी दीवान सिंह दो मंजिला मकान और खेती के बावजूद सूची में दर्ज हैं। इसी वार्ड के कमलेश के पास डेयरी है, फिर भी नाम बना हुआ है। वार्ड 6 के प्रकाश लड्डा एजेंसी गली में पक्का मकान रखते हैं, शंकर रैकवार बेहलोट बायपास पर रहते हुए भी सूची में हैं। वार्ड - 1 के संतोष तीन मंजिला मकान और दो ट्रैक्टर के मालिक हैं, जबकि सुनील कुमार का इलेक्ट्रिक वाहन शोरूम चल रहा है। फिर गरीब की श्रेणी में शामिल हैं। रघुबीर भी खुरई में खेती करते हैं, बबली गुलाबगंज में सरकारी नौकरी में हैं, लेकिन नपा की सूची में नाम आज भी दर्ज है। ऐसे करीब 2000 से अधिक नाम सूची में हैं जिनका गरीबी से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं।

मृत्यु प्रमाण पत्र जारी, फिर भी नाम नहीं कटे

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कई लोगों की मृत्यु को सालों हो चुके हैं, नगर पालिका ने उनके मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिए हैं, फिर भी वे गरीबी सूची में जीवित हैं। उनके नाम से परिवार के लोग आज भी राशन और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। कई संपन्न परिवारों ने अपनी पत्नियों, बेटियों या बहुओं के नाम से गरीबी सूची में नए नाम जोड़ रखे हैं। पूर्व सीएमओ आरके माथुर के अनुसार गरीबी सूची में उन्हीं का नाम दर्ज होना चाहिए जिनकी झोपड़ी कच्ची हो, गैस, नल, बिजली कनेक्शन न हो, कोई वाहन न हो। लेकिन वास्तविकता इसके उलट है पक्के मकान, बिजली, पानी, गैस सब होते हुए भी गरीब की पहचान मिली हुई है।

लंबे समय से जांच नहीं हुई है

गरीबी रेखा सूची की जांच और नाम हटाने का अधिकार एडीएम को है। लंबे समय से जांच नहीं हुई है। इसकी जानकारी प्रशासन को भेजी जाएगी ताकि वास्तविक गरीबों को योजनाओं का लाभ मिल सकें।

रवि प्रकाश श्रीवास्तव, सीएमओ, नपा, गंजबासौदा।

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