केंद्रीय मंत्री के निर्देश पर दिल्ली से जांच दल पहुंचा सिलवानी
By: Gulab rohit
Nov 10, 202510:31 PM
सिलवानी। किसानो की धान की फसल नष्ट होने की शिकायत को केंद्रीय कृषि व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह ने गंभीरता से लिया तथा जांच दल को ग्राम भेज कर नष्ट फसल की जांच कराई। अंचल के ग्राम देवरी मढिया में इस साल किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है। करीब 130 एकड़ क्षेत्र में बोई गई बायर कंपनी की धान क्रांति किस्म 8433 की फसल इस बार पूरी तरह फेल हो गई। फसल में बाली न निकलने और पौधों के पीले पड़ जाने से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा है। ग्रामीण किसानों के अनुसार, शुरुआत में पौध अच्छी तरह बढ़ रही थी, लेकिन बाली निकलने के समय फसल ने प्रतिक्रिया देना बंद कर दिया। पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ गईं और धान की बाली विकसित ही नहीं हुई। किसान बताते हैं कि यह समस्या लगभग हर खेत में समान रूप से देखने को मिली, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मामला किसी स्थानीय रोग या सिंचाई की कमी का नहीं, बल्कि बीज की गुणवत्ता से जुड़ा है।
किसानों ने जताई नाराज़गी
किसान अरविंद रघुवंशी, अंकित रघुवंशी और रमाकांत सहित कई अन्य किसानों ने बताया कि वे पिछले एक महीने से दुकान संचालक और बीज आपूर्ति करने वाले फर्म प्रतिनिधियों से संपर्क कर रहे थे, लेकिन उन्हें लगातार आश्वासन देकर गुमराह किया गया। किसानों का कहना है कि फसल से पूरी उम्मीद खत्म होने के बाद ही उन्होंने सामूहिक रूप से केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष अपनी शिकायत रखी।
मंत्री के निर्देश पर तुरंत कार्रवाई
केंद्रीय मंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल विशेष जांच दल भेजने के निर्देश दिए। दिल्ली से पहुंचे इस दल ने सिलवानी पहुंचकर प्रभावित खेतों का दौरा किया, किसानों से बातचीत की और फसल के सैंपल लिए। जांच दल में कृषि वैज्ञानिकों और गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारियों को शामिल किया गया है, जो अब नमूनों की जांच रिपोर्ट तैयार कर केंद्र को भेजेंगे।
किसानों की मांगें और प्रशासन की तैयारी
किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि दोषी बीज कंपनी, फर्म संचालक और स्थानीय विक्रेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और प्रति एकड़ हुए नुकसान की भरपाई (मुआवज़ा) दी जाए। किसानों का कहना है कि यदि उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। इस घटना के बाद जिला प्रशासन भी सतर्क हो गया है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिक जांच में बीज की गुणवत्ता पर संदेह जताया गया है, पर अंतिम निष्कर्ष जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सामने आएगा।
आर्थिक असर
130 एकड़ क्षेत्र में फसल नष्ट होने से प्रति किसान को 20 से 30 हजार रुपये प्रति एकड़ तक का नुकसान बताया जा रहा है। कुल मिलाकर किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। यह नुकसान केवल उत्पादन का नहीं बल्कि बीज, खाद, मजदूरी और सिंचाई पर हुए खर्च का भी है।