कटनी जिले की बरही तहसील के 3 गांवों (करौंदी खुर्द, कन्नौर, बिचपुरा) की एकमात्र सड़क कलेक्टर द्वारा ठेकेदार को महज ₹300 वार्षिक किराए पर डंपिंग के लिए देने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट की सख्ती के बाद कलेक्टर और ठेकेदार व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए और कोर्ट ने तत्काल रास्ता खोलने के निर्देश दिए हैं।
By: Ajay Tiwari
Nov 10, 20256:39 PM
हाइलाइट्स
जबलपुर. स्टार समाचार वेब
मध्य प्रदेश के कटनी जिले में जिला प्रशासन के एक मनमाने फैसले पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कटनी कलेक्टर द्वारा बरही तहसील के तीन गांवों (करौंदी खुर्द, कन्नौर और बिचपुरा) की एकमात्र सार्वजनिक सड़क को एक ठेकेदार को लीज पर देने का मामला सामने आया है। इस सड़क पर गिट्टी डंप होने से ग्रामीणों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई थी, जिसके बाद ग्रामीणों ने जनहित याचिका दायर कर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
दरअसल, 1 जुलाई 2025 को कटनी कलेक्टर ने खनिज विभाग की रिपोर्ट के आधार पर बरही तहसील के ग्राम कन्नौर स्थित 65 हेक्टेयर भूमि को ठेकेदार तिलकराज ग्रोवर को महज ₹300 वार्षिक किराए पर लीज पर दे दिया था। इस जमीन का इस्तेमाल ठेकेदार खनन के बाद डंपिंग के लिए कर रहा था।
समस्या यह थी कि राजस्व रिकॉर्ड में यह जमीन रास्ते के रूप में दर्ज थी, जिसका उपयोग सैकड़ों ग्रामीण कई सालों से तहसील और शहर आने-जाने के लिए करते थे। प्रशासन द्वारा मनमाने तरीके से इस सड़क को डंपिंग साइट में बदलने की कोशिश की गई, जिससे ग्रामीणों की आवाजाही रुक गई। ग्रामीणों की लिखित शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद याचिकाकर्ता संदीप जायसवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने मामले की गंभीरता को समझा। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अर्पण जे. पवार, अक्षत अरजरिया और चिरंजीवी शर्मा ने कोर्ट को बताया कि जिला प्रशासन ने राजनीतिक दबाव में आकर यह सार्वजनिक सड़क किराए पर दे दी।
शुरुआती निर्देश: 13 अक्टूबर को कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए फोटो देखने के बाद जिला प्रशासन को तुरंत रोड खोलने के निर्देश दिए थे।
अवमानना याचिका: कोर्ट के निर्देशों के बावजूद प्रशासन ने रोड नहीं खोला, जिसके बाद 4 नवंबर को अवमानना याचिका दायर की गई।
सख्त रुख: डिवीजन बेंच ने नाराजगी जताते हुए इसे गंभीर अवमानना का मामला बताया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ग्रामीणों की सुविधा के लिए बनी सार्वजनिक सड़क को किसी भी निजी हित के लिए नहीं दिया जा सकता।
कोर्ट ने राज्य सरकार, कटनी कलेक्टर और ठेकेदार तिलकराज ग्रोवर को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा था।
कोर्ट के निर्देश पर, 10 नवंबर को कटनी कलेक्टर और ठेकेदार व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित हुए और राज्य सरकार ने भी अपना जवाब पेश किया। इस दौरान कोर्ट ने आदेश दिया कि बंद रास्ते को खोल दिया जाए और उसे आगे भी खुला रहने दिया जाए। कोर्ट ने प्रशासनिक अधिकारियों को यह चेतावनी भी दी कि उनसे जनता की संपत्ति की रक्षा करने की उम्मीद की जाती है, न कि उसे राजनीतिक प्रभाव में सौंपने की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संतोषजनक जवाब न मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। इस आदेश से ग्रामीणों को बड़ी राहत मिली है, और सड़क पर डंपिंग का काम पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है।