मध्यप्रदेश फूलों के उत्पादन में देश में तीसरे स्थान पर पहुँच गया है, जिसका उत्पादन 2024-25 में 5.12 लाख टन रहा. किसानों की बढ़ती रुचि, सरकारी प्रोत्साहन और बेहतर जलवायु के कारण यह राज्य जल्द ही फूलों के उत्पादन में शीर्ष पर होगा. गुना के गुलाब की पेरिस-लंदन तक पहुँच और महिला किसानों की सफलता की कहानियाँ राज्य की प्रगति को दर्शाती हैं.
By: Star News
मध्यप्रदेश ने फूलों के उत्पादन में देश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. वर्तमान में, मध्यप्रदेश पुष्प (फूल) उत्पादन में देश में तीसरे स्थान पर है. प्रदेश में उद्यानिकी के कुल 27.71 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में से, फूल उत्पादन की भागीदारी 42 हजार 978 हेक्टेयर है.
रिकॉर्ड उत्पादन और तेजी से बढ़ता रकबा प्रदेश के किसानों ने वर्ष 2024-25 में 5 लाख 12 हजार 914 टन फूलों का उत्पादन किया है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. यह दर्शाता है कि वह दिन दूर नहीं जब फूलों के उत्पादन में मध्यप्रदेश देश का सिरमौर बनेगा. किसानों का फूलों के उत्पादन के प्रति बढ़ता रुझान ही है कि पिछले चार वर्षों में फूलों का उत्पादन रकबा जो वर्ष 2021-22 में 37 हजार 647 हेक्टेयर था, वह वर्ष 2024-25 में बढ़कर 42 हजार 976 हेक्टेयर हो गया है, जिससे उत्पादन में 86 हजार 294 टन की बढ़ोतरी हुई है.
किसानों की आय बढ़ाने में सहायक 'कैश-क्रॉप' किसानों की आय को दोगुना करने और खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार किसानों को 'कैश-क्रॉप' (नगदी फसल) की ओर प्रेरित कर रही है. जिन किसानों के पास छोटी कृषि जोत (एक-दो या तीन एकड़) है, वे फूलों का उत्पादन कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं.
वैश्विक पहचान और सफलता की कहानियाँ मध्यप्रदेश में उत्पादित फूलों की मांग देश के महानगरों के साथ-साथ विदेशों में भी बढ़ी है. गुना जिले के गुलाब की महक अब जयपुर, दिल्ली, मुंबई के बाद पेरिस और लंदन तक पहुँच रही है. शिक्षित युवाओं के साथ-साथ गाँव में रहने वाले ग्रामीण किसान भी फूलों के उत्पादन की ओर आकर्षित हुए हैं. राजधानी भोपाल की ग्राम पंचायत बरखेड़ा बोदर की रहने वाली श्रीमती लक्ष्मीबाई कुशवाह धान, गेहूं, सोयाबीन की खेती छोड़कर गुलाब, जरबेरा और गेंदा के फूल का उत्पादन कर हर महीने तीन से चार लाख रुपये कमा रही हैं. ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिनसे प्रदेश में फूलों का उत्पादन बढ़ा है.
प्रमुख फूल और उनकी उत्पादकता मध्यप्रदेश में मुख्य रूप से गेंदा, गुलाब, सेवन्ती, ग्लेडूलस, रजनीगंधा जैसे फूल उत्पादित किए जाते हैं. औषधीय पुष्पों में इसेवगोल, अश्वगंधा, सफेद मूसली और कोलिक्स भी शामिल हैं.
गेंदा: सर्वाधिक उत्पादन क्षेत्र (24 हजार 214 हेक्टेयर).
गुलाब: दूसरे स्थान पर (4 हजार 502 हेक्टेयर).
सेवन्ती: तीसरे स्थान पर (एक हजार 709 हेक्टेयर).
ग्लेडूलस: चौथे स्थान पर (एक हजार 58 हेक्टेयर).
रजनीगंधा: पांचवें स्थान पर (263 हेक्टेयर). अन्य पुष्प 11 हजार 227 हेक्टेयर में बोए जा रहे हैं. प्रदेश में फूलों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 15.01 मीट्रिक टन है, जिसे फूलों के उत्पादन की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
उत्पादकता में वृद्धि के कारण इस उच्च उत्पादकता के लिए प्रदेश की जलवायु, यहाँ की मिट्टी, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और शासन का किसानों को निरंतर सहयोग जिम्मेदार है. फूलों के उत्पादन से लेकर गुणवत्ता में सुधार और मार्केटिंग पर मध्यप्रदेश शासन का उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग लगातार काम कर रहा है.
भविष्य की योजनाएं और प्रोत्साहन मध्यप्रदेश में वर्ष 2024-25 में उद्यानिकी फसलों के क्षेत्र में 14 हजार 438 हेक्टेयर का विस्तार हुआ है, जिसमें फूलों का रकबा 5329 हेक्टेयर बढ़ा है. प्रदेश में 33 प्रतिशत से अधिक फूलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने में उद्यानिकी विभाग की हाइटेक नर्सरी और प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों को तकनीकी जानकारी प्रदान करना लगातार जारी है. इसी कड़ी में, केंद्र सरकार के सहयोग से ग्वालियर जिले में 13 करोड़ रुपये की लागत से एक हाइटेक फ्लोरीकल्चर नर्सरी विकसित की जा रही है. यह नर्सरी मध्यप्रदेश में पुष्प उत्पादन के लिए वरदान साबित होगी. वह दिन दूर नहीं जब मध्यप्रदेश फूलों के उत्पादन में देश का सिरमौर बनेगा.