मध्यप्रदेश पुलिस के इतिहास में एक बड़ा और शर्मनाक मामला सामने आया है। सिवनी जिले के हवाला लूटकांड में अब पुलिस के ही अफसरों पर डकैती और अपहरण का केस दर्ज किया गया है। एसडीओपी, एसआई सहित 11 पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज की गई है।
By: Arvind Mishra
Oct 14, 20251:16 PM
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश पुलिस के इतिहास में एक बड़ा और शर्मनाक मामला सामने आया है। सिवनी जिले के हवाला लूटकांड में अब पुलिस के ही अफसरों पर डकैती और अपहरण का केस दर्ज किया गया है। एसडीओपी, एसआई सहित 11 पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज की गई है। सभी आरोपियों पर विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है। दरअसल, सीएम डॉ. मोहन यादव ने सिवनी लूट कांड में कड़ा रुख अपनाते हुए दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। सिवनी एसडीओपी पूजा पांडे सहित 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। इनमें से 5 आरोपियों को हिरासत में लिया गया है। इसमें एसडीओपी सिवनी पूजा पांडे, एसआई अर्पित भैरम, कॉन्सटेबल योगेंद्र, नीरज और जगदीश शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखना, अपराध मुक्त वातावरण बनाना और नागरिकों की सुरक्षा पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों का मुख्य दायित्व है। अपने कर्तव्यों से हटकर कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को राज्य सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। वहीं कहा जा रहा है कि सभी को बर्खास्त किया जाएगा।
सीएम ने कहा-सिवनी प्रकरण में जो भी दोषी पाए गए हैं, उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ कानूनी कार्रवाई भी होगी। प्रदेश में कानून सबके लिए बराबर है। कानून का उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कोई भी हो। राज्य सरकार प्रदेश में सुशासन स्थापित करने सतत रूप से कार्य कर रही हैं, इस दिशा में किसी का हस्तक्षेप सहन नहीं होगा।
सिवनी लूट कांड में आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 310(2) डकैती, 126(2) गलत तरीके से रोकना, 140(3) अपहरण और 61(2) आपराधिक षडयंत्र के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। ये सभी धाराएं गंभीर अपराधों के अंतर्गत आती हैं। दोष सिद्ध होने पर लंबी सजा का प्रावधान है।
गिरफ्तार किए गए पांच अधिकारीऔर कर्मचारियों के अलावा जिनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई, उनमें प्रधान आरक्षक माखन, प्रधान आरक्षक राजेश जंघेला, प्रधान आरक्षक रविंद्र उईके, आरक्षक रितेश वर्मा, एसएएफ आरक्षक केदार और एसएएफ आरक्षक सुभाष सदाफल शामिल हैं।
घटना की शुरुआत 8 अक्टूबर 2025 को हुई थी, जब महाराष्ट्र के जालना निवासी सोहनलाल परमार अपने साथियों के साथ कटनी से 3 करोड़ रुपए नकद लेकर जा रहा था। यह पैसा हवाला का था। रास्ते में सिवनी जिले के बंडोल थाना क्षेत्र में पुलिस ने वाहन को चेकिंग के दौरान रोका और रकम बरामद कर ली। लेकिन मामला तब गंभीर हुआ जब पुलिस ने सरकारी रेकॉर्ड में केवल 1.45 करोड़ की जब्ती दिखाई, जबकि बाकी 1.5 करोड़ पुलिसकर्मियों ने आपस में बांट लिए।
जांच में खुलासा हुआ कि पुलिस और हवाला कारोबारियों के बीच रकम के बंटवारे की डील भी चल रही थी। पुलिसकर्मी आधे-आधे पैसे (1.5-1.5 करोड़) बांटने की बात कर रहे थे, लेकिन हवाला व्यापारी केवल 45 लाख देकर मामला रफा-दफा करने को तैयार था। डील फेल होने के बाद मामला उजागर हो गया और विभागीय जांच शुरू हुई।
इस केस में केवल निचले स्तर के पुलिसकर्मी ही नहीं, बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों पर भी अब तलवार लटक रही है। आईजी प्रमोद वर्मा ने सिवनी एसपी सुनील कुमार मेहता और एएसपी दीपक मिश्रा को नोटिस जारी किया है। इनसे पूछा गया है कि इतनी बड़ी रकम की बरामदगी की सूचना उन्होंने तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को क्यों नहीं दी।