By: Sandeep malviya
Jun 01, 202511:31 PM
काठमांडू। नेपाल की राजधानी काठमांडू में राजशाही समर्थक प्रदर्शन के दौरान रविवार को देश के पूर्व गृह मंत्री कमल थापा व उनके समर्थकों को गिरफ्तार करने के बाद शाम को रिहा कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने राजशाही बहाल होने तक विरोध प्रदर्शन जारी रखने का एलान किया है। वहीं, नेपाल सरकार ने राजशाही समर्थकों की ओर से जारी विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए रविवार को काठमांडो के अधिकांश हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। काठमांडू जिला प्रशासनिक कार्यालय की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि काठमांडू रिंग रोड क्षेत्र में तीन स्थानों (कोटेश्वर, बल्खू और सिफाल मैदान को छोड़कर) अन्य स्थानों पर धरना, भूख हड़ताल, विरोध, सार्वजनिक समारोह और प्रदर्शन प्रतिबंधित रहेगा। यह प्रतिबंध 2 जून से अगले दो महीने तक प्रभावी रहेगा।
इस बीच, पुलिस ने पूर्व गृह मंत्री कमल थापा सहित सात राजशाही समर्थकों को रिहा कर दिया है, जिन्हें रविवार दोपहर काठमांडू में प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश करने पर हिरासत में लिया गया था। उन्होंने कहा कि लगभग 1,200 राजशाही समर्थकों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें ले रखी थीं और प्रधानमंत्री केपी ओली के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।
राजशाही को बहाल करने और नेपाल को हिंदू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) व आरपीपी नेपाल सहित राजशाही समर्थक समूहों ने आंदोलन के चौथे दिन नारायण चौर में विरोध प्रदर्शन किया। काठमांडू घाटी पुलिस के प्रवक्ता अपील बोहोरा ने बताया कि आरपीपी अध्यक्ष व राजशाही के कट्टर समर्थक राजेंद्र लिंगडेन विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। जब प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरा तोड़कर प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास बलुवाटर की ओर बढ़ने का प्रयास किया, तब उनकी पुलिस के साथ झड़प हो गई।