हिमाचल प्रदेश में बीते 24 घंटों से जारी मूसलाधार बारिश ने भयंकर तबाही मचाई है। मंगलवार को प्रदेश के 11 स्थानों पर बादल फटने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 10 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 30 लोग लापता बताए जा रहे हैं।
By: Star News
Jul 02, 202511:13 AM
शिमला. स्टार समाचार वेब.
हिमाचल प्रदेश में बीते 24 घंटों से जारी मूसलाधार बारिश ने भयंकर तबाही मचाई है। मंगलवार को प्रदेश के 11 स्थानों पर बादल फटने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 10 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 30 लोग लापता बताए जा रहे हैं। राज्य भर में 406 सड़कें बंद हैं, जिससे यातायात पूरी तरह बाधित हो गया है। इसके अलावा, 1515 ट्रांसफार्मर खराब हो गए हैं और लगभग 171 पेयजल योजनाओं को भारी नुकसान पहुंचा है, जिससे हजारों घरों में बिजली और पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
बारिश का सबसे अधिक कहर मंडी जिले पर बरपा है, जहाँ मंगलवार को सात स्थानों पर बादल फटने से भारी जान-माल का नुकसान हुआ है। गोहर, करसोग, थुनाग और धर्मपुर उपमंडलों में हुए इस भीषण हादसे में कई मकान जमींदोज हो गए और बाढ़ के पानी में बह गए।
मृतकों का आंकड़ा: गोहर उपमंडल में पांच, सराज में चार और करसोग में एक व्यक्ति की मौत हुई है।
लापता लोगों की तलाश: गोहर के स्यांज क्षेत्र में ज्यूणी खड्ड में आए सैलाब में दो घर पूरी तरह समा गए, जिससे झाबे राम और पदम देव के परिवार के नौ सदस्य बह गए। इनमें देवकू देवी का शव कांगड़ा के देहरा और उमा देवी का जोगेंद्रनगर में ब्यास नदी के किनारे मिला। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लापता लोगों की तलाश में सघन सर्च अभियान चला रही हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन: ग्रामीणों और प्रशासन ने मिलकर अब तक 132 लोगों को सुरक्षित बचाया है। बाड़ा पंचायत में मकान जमींदोज होने से मलबे में दबे छह लोगों में से मां-बेटे की मौत हो गई, जबकि तीन घंटे के रेस्क्यू के बाद चार लोगों की जान बचाई गई। परवाड़ा में नाले के तेज बहाव में बह गए मां, बेटे और बहू में से बेटे का शव बरामद कर लिया गया है।
आधारभूत संरचना का नुकसान: मंडी जिले में पांच पुल बह गए हैं। लारजी और डैहर पावर हाउस में 28 घंटे से बिजली उत्पादन ठप है। 16 मेगावाट के पटिकरी प्रोजेक्ट को भारी क्षति पहुंची है। सराज हलके में बिजली, पानी और संचार सेवाएं बुरी तरह बाधित हैं। धर्मपुर उपमंडल का स्याठी गांव पूरी तरह जमींदोज हो गया है, जहाँ 10 घर ध्वस्त हो गए हैं।
प्रदेश में बीते 24 घंटे के दौरान मंडी जिले के संधोल में 223.6 मिलीमीटर सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई।
ऊना: ऊना के बसाल गांव में स्वां नदी में मछली पकड़ने गए पांच प्रवासी जलस्तर बढ़ने से बीच में फंस गए, जिन्हें पुलिस और गृहरक्षकों ने करीब सवा दो घंटे बाद सुरक्षित बाहर निकाला।
सोलन: सोलन शहर के कोटलानाला में निर्माणाधीन भवन के साथ पहाड़ी से भूस्खलन होने के कारण वहां काम पर लगे मजदूर बाल-बाल बच गए।
तापमान में गिरावट: प्रदेश के अधिकतम तापमान में एक से दो डिग्री की गिरावट आई है। कांगड़ा में मंगलवार को अधिकतम तापमान सामान्य से 11 डिग्री नीचे दर्ज किया गया।
फोरलेन बंद: पठानकोट-मंडी फोरलेन पर बिजणी सुरंग के पोर्टल पर भूस्खलन से निर्माणाधीन ढांचे को भारी नुकसान हुआ है। कीरतपुर-मनाली फोरलेन भी झलोगी के पास मलबा आने से रातभर बंद रहा, जिससे 1000 से अधिक वाहन फंसे रहे।
रेल यातायात ठप: कालका-शिमला रेलमार्ग पर मंगलवार को सोलन और सलोगड़ा में भूस्खलन से शिमला जा रही ट्रेन के पहिये थम गए। मलबा आने के कारण सभी रेलगाड़ियां देरी से चलीं।
उपायुक्त मंडी, अपूर्व देवगन ने रातभर आपदा प्रबंधन टीमों के साथ समन्वय कर सैकड़ों लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कराया। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर राहत और पुनर्वास कार्यों की समीक्षा की। जिले में अब तक 24 घर और 12 पशुशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं, 70 से अधिक मवेशियों की मौत हुई है और करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि प्रदेश में अभी तक 500 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान है और यह आंकड़ा बढ़ सकता है। उन्होंने राहत और पुनर्वास कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
मौसम विभाग ने 3 जुलाई तक प्रदेश में भारी वर्षा की संभावना जताई है, जबकि 4 और 5 जुलाई को कुछ स्थानों पर बहुत भारी वर्षा हो सकती है। इनमें कांगड़ा और सोलन में बहुत भारी और मंडी, हमीरपुर, ऊना, बिलासपुर, शिमला और सिरमौर में कुछ स्थानों पर भारी वर्षा की चेतावनी दी गई है। जुलाई में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है.