एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि भोज वेटलैंड क्षेत्र में अवैध निर्माण, अतिक्रमण और गंदे पानी का प्रवाह जारी है। यह न केवल पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारी की भी अनदेखी है। पीठ ने कहा कि 7 अक्टूबर को दिए गए आदेश के बाद भी अतिक्रमण हटाने की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
By: Arvind Mishra
Nov 13, 20251:27 PM
भोपाल। स्टार समाचार वेब
यदि कानून लागू करने वाले ही कानून तोड़ेंगे, तो कानून की रक्षा कौन करेगा। नगर निगम एक माह के भीतर कार्यवाही प्रतिवेदन पेश करे। साथ ही, राज्य वेटलैंड प्राधिकरण और वन विभाग के सहयोग से भोज वेटलैंड की पारिस्थितिक स्थिति का आकलन और शीतकालीन पक्षी गणना कराई जाए। ताकि झील की स्थिति की निगरानी की जा सके। यह सख्त टिप्पणी एनजीटी ने प्रशासनिक लापरवाही उजागर होने के बाद केस की सुनवाई के दौरान की है। दरअसल, एनजीटी की भोपाल स्थित केंद्रीय पीठ ने भोज वेटलैंड (भोपाल वेटलैंड) के संरक्षण नियमों में लापरवाही बरतने पर भोपाल नगर निगम और कलेक्टर को कड़ी फटकार लगाई है। यह झील अंतरराष्ट्रीय महत्व की रामसर साइट है और पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र मानी जाती है। यह मामला पर्यावरण कार्यकर्ता राशिद नूर खान द्वारा दायर किया गया था, जिनकी ओर से वकील हर्षवर्धन तिवारी ने पक्ष रखा।
अवैध कब्जे और निर्माण हटाएं
सुनवाई न्यायमूर्ति शिव कुमार सिंह और विशेषज्ञ सदस्य सुधीर कुमार चतुर्वेदी की पीठ ने की। अधिकरण ने भोपाल कलेक्टर को आदेश दिया कि वे इस पूरी कार्रवाई की व्यक्तिगत निगरानी करें और यह सुनिश्चित करें कि झील क्षेत्र से सभी अवैध कब्जे और निर्माण हटाए जाएं। यह मामला अब 17 दिसंबर 2025 को अगली सुनवाई के लिए तय किया गया है। तब तक नगर निगम और कलेक्टर को अपनी अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
गंदे पानी से बिगड़ रहा पर्यावरण
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि भोज वेटलैंड क्षेत्र में अवैध निर्माण, अतिक्रमण और गंदे पानी का प्रवाह जारी है। यह न केवल पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारी की भी अनदेखी है। पीठ ने कहा कि 7 अक्टूबर को दिए गए आदेश के बाद भी अतिक्रमण हटाने की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। नगर निगम ने बताया कि 38 अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन आगे की कार्रवाई अभी बाकी है। इस पर एनजीटी ने नाराजगी जताई।
निरीक्षण और कार्रवाई के आदेश
एनजीटी ने निर्देश दिया कि भोपाल नगर निगम और याचिकाकर्ता मिलकर संयुक्त निरीक्षण करें। झील के आसपास सभी अवैध निर्माणों की पहचान करें। साथ ही, अतिक्रमणकारियों और लापरवाह अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। पीठ ने याद दिलाया कि राज्य सरकार की अधिसूचना (16 मार्च 2022) के अनुसार झील की सीमाएं और बफर जोन तय हैं। झील का क्षेत्रफल 3946.33 हेक्टेयर, जिसमें ऊपरी झील 3872.43 और निचली झील 73.90 हेक्टेयर है। शहरी क्षेत्र की ओर 50 मीटर, ग्रामीण क्षेत्र की ओर 250 मीटर बफर जोन तय है।