भारतीय सेना ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक बड़ा कदम उठाया। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि इस ऑपरेशन में विदेशी ऐप्स जैसे व्हाट्सएप का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके बजाय सेना ने स्वदेशी संभव फोन का उपयोग किया, जो 5जी तकनीक और मजबूत एन्क्रिप्शन के साथ बनाया गया है। यह भारत की आत्मनिर्भरता और सैन्य संचार की सुरक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
By: Arvind Mishra
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
भारतीय सेना ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक बड़ा कदम उठाया। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि इस ऑपरेशन में विदेशी ऐप्स जैसे व्हाट्सएप का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके बजाय सेना ने स्वदेशी संभव फोन का उपयोग किया, जो 5जी तकनीक और मजबूत एन्क्रिप्शन के साथ बनाया गया है। यह भारत की आत्मनिर्भरता और सैन्य संचार की सुरक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर मई 2025 में शुरू हुआ एक सैन्य अभियान था, जो 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था। इस हमले में पाकिस्तान से जुड़े आतंकियों ने 26 पर्यटकों को मार डाला था। इसके जवाब में भारतीय सेना ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इसे पूरे राष्ट्र का प्रयास बताया, जिसमें सैनिक, कमांडर, वैज्ञानिक और नीति निर्माता शामिल थे। इस ऑपरेशन को ग्रे जोन ऑपरेशन कहा गया, यानी यह पूर्ण युद्ध से थोड़ा कम था, लेकिन रणनीतिक रूप से बहुत प्रभावी था। इस दौरान सेना ने पहली बार इंटीग्रेटेड कमांड संरचना का इस्तेमाल किया, जिसमें थल सेना, वायु सेना और नौसेना ने एक ही कोडनेम सिंदूर के तहत काम किया।
संभव एक स्वदेशी मोबाइल संचार प्रणाली है, जिसे भारतीय सेना के लिए खास तौर पर बनाया गया है। यह 5जी तकनीक पर काम करता है। कई स्तरों की एन्क्रिप्शन (गुप्त कोडिंग) के साथ आता है, जो इसे जासूसी से सुरक्षित बनाता है। इस प्रणाली में एम-सिग्मा नाम का एक ऐप है, जो व्हाट्सएप जैसा है, लेकिन पूरी तरह सुरक्षित है। इसके जरिए सैनिक दस्तावेज, तस्वीरें और वीडियो साझा कर सकते हैं बिना डेटा लीक होने के डर के।
जनवरी 2024 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट के तहत अब तक करीब 30,000 संभव फोन सेना के अधिकारियों को दिए जा चुके हैं। ये फोन एयरटेल और जिओ नेटवर्क पर काम करते हैं। इनमें महत्वपूर्ण संपर्कों के नंबर पहले से ही सेव होते हैं, जिससे मैन्युअल रूप से नंबर डालने की जरूरत नहीं पड़ती।