भोपाल एम्स से ब्लड प्लाज्मा चोरी का मामला सामने आया है, जिसमें 1150 यूनिट प्लाज्मा महाराष्ट्र की प्रयोगशालाओं को बेचा गया। चोरी किए गए प्लाज्मा से दवाएं बनाकर अस्पतालों को महंगे दामों पर बेची जा रही थीं। एम्स के कर्मचारी भी इस चोरी में शामिल थे। दरअसल, भोपाल एम्स के ब्लड बैंक से प्लाज्मा चोरी के मामले में भोपाल की बागसेवनिया पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
By: Arvind Mishra
Oct 16, 20257 hours ago
भोपाल। स्टार समाचार वेब
भोपाल एम्स से ब्लड प्लाज्मा चोरी का मामला सामने आया है, जिसमें 1150 यूनिट प्लाज्मा महाराष्ट्र की प्रयोगशालाओं को बेचा गया। चोरी किए गए प्लाज्मा से दवाएं बनाकर अस्पतालों को महंगे दामों पर बेची जा रही थीं। एम्स के कर्मचारी भी इस चोरी में शामिल थे। दरअसल, भोपाल एम्स के ब्लड बैंक से प्लाज्मा चोरी के मामले में भोपाल की बागसेवनिया पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। सभी मिलकर प्लाज्मा की अंतराज्यीय कालीबाजारी कर रहे थे। यहां से प्लाज्मा चोरी करने के बाद उसे फार्मा कंपनियों को बेचने की तैयारी की जा रही थी। महाराष्ट्र में प्लाज्मा बेच भी दिया गया था। मामले का मुख्य आरोपी एम्स का ही आउटसोर्स कर्मचारी है। उसकी कंपनी का टेंडर खत्म हो रहा था। पुलिस जांच में पता चला है कि एक गिरोह ने अब तक 1150 यूनिट प्लाज्मा चोरी कर महाराष्ट्र के नासिक और औरंगाबाद में स्थित दो निजी लैब को बेचा है। आरोपियों ने 5800 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से प्लाज्मा बेचा है। इन लैब में प्लाज्मा का उपयोग कर बायो मेडिकल दवाएं बनाई जा रही थीं। पूरे मामले का खुलासा एडिशनल डीसीपी गौतम सोलंकी ने किया। पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार कर 1123 यूनिट प्लाज्मा बरामद किया है। जिसकी कुल कीमत 11.72 लाख रुपए बताई जा रही है।
आरोपी अंकित केलकर राजभवन परिसर में रहता है उसकी मां यहां पर कर्मचारी है। अमित जाटव करेली जिला नरसिंहपुर का रहने वाला है। यहां पर वह बरखेड़ा पठानी में रहता है। तीसरा आरोपी लक्की पाठक निवासी गणेश कालोनी बरखेडी कला रातीबड़ का निवासी है। आरोपी दीपक पाठक निवासी पटेल कालेज के सामने, रातीबड, शाम बडगुजर निवासी त्रिमूर्ती चौक हनुमान मंदिर के पास, थाना अम्बड, जिला सिडकू नासिक महाराष्ट्र का है वर्तमान में उसका पता थैलीसीमिया ब्लड बैंक नंदा नगर इंदौर और छठवां आरोपी करण चव्हाण औरगांबाद महाराष्ट्र में रहता है।
बागसेवनिया पुलिस ने बताया कि 19 सितंबर को एम्स के प्रभारी सुरक्षा अधिकारी ज्ञानेंद्र प्रसाद ने एम्स ब्लड बैंक में रक्त चोरी की घटना के संबंध में एफआईआर दर्ज कराने आवेदन पत्र दिया था। जिस पर प्रकरण दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू की। जांच के दौरान इंचार्ज डॉ. प्रतूल सिन्हा के बयान होने के बाद पुलिस ने अंकित केलकर व एक अन्य को आरोपी बनाया। आरोपी अंकित एम्स भोपाल की ब्लड बैंक का आउटसोर्स कर्मचारी था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के बाद रिमांड पर लिया और चोरी गए एफएफपी प्लाज्मा के संबंध में पूछताछ की तो आरोपी ने अपने पूर्व के साथी अमित जाटव और लक्की पाठक के साथ मिलकर अपराध की घटना को अंजाम देना बताया।
आरोपी अंकित केलकर व अमित जाटव लक्की पाठक एक दूसरे को लाईव सेवर ब्लड बैंक में काम के समय से परिचित थे। आरोपी अंकित की कंपनी का 30 सितंबर 2025 को एम्स में टेंडर खत्म हो रहा था। आरोपियों ने नौकरी अंतिम समय में प्लाज्मा चोरी की योजना बनाई। उनका मानना था कि एम्स से बाहर निकल जाने के बाद मामला दब जाएगा। उन्होंने 18 सितंबर से 27 सितंबर के बीच के बीच 1150 एफएफपी प्लाज्मा के पैकेट चोरी करना बताया। अंकित से पूछताछ में हुए खुलासे के बाद पुलिस ने अमित जाटव और लक्की पाठक को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा लाईफ सेवर ब्लड बैंक के लकी पाठक और दीपक पाठक को दिया गया था।
आरोपी लक्की पाठक और दीपक पाठक ने चोरी गए प्लाज्मा को नासिक के रहने वाले शाम बडगूजर और औरंगाबाद के करन चव्हाण को 5800 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बेचा था। शाम बडगूजर इंदौर के नंदानगर में थैलीसीमिया ब्लड बैंक और करण चव्हाण औरंगाबाद में सहयाद्री ब्लड बैंक व सिरपुर महाराष्ट्र स्व. मुकेश भाई पटैल ब्लड बैंक संचालित करते हैं, जो चोरी के प्लाज्मा को फार्मा कंपनियों को बेचने की फिराक में थे। वे ऐसा कर पाते उसके पहले ही पुलिस ने आरोपियों को दबोच लिया।
आरोपी लक्की पाठक 10वीं पास है। आरोपी का बड़ा भाई दीपक पाठक 12 वीं पास है जिसने अलग ब्लड बैंक में नौकरी की है। पूछताछ में बताया कि इसी कारण से आरोपी दीपक पाठक के अलग-अलग राज्यों की ब्लड बैंकों से संपर्क थे। आरोपी दीपक की पत्नी भी आरोपी दीपक के साथ लाइव सेवर बैंक भोपाल में नौकरी करती थी जिसने डीएमएलटी कोर्स कर रखा है।