मध्यप्रदेश में मासूमों का काल बना कफ सिरप के केस में एक के बाद एक नए-नए और चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। अभी तक की जांच में ऊपर से लेकर नीचे तक मिलीभगत नजर आ रही है। जिसमें कुछ नाम उजागर हो चुके हैं। कुछ नामों में अभी भी पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है।
By: Arvind Mishra
Oct 30, 202511:34 AM

छिंदवाड़ा। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश में मासूमों का काल बना कफ सिरप के केस में एक के बाद एक नए-नए और चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। अभी तक की जांच में ऊपर से लेकर नीचे तक मिलीभगत नजर आ रही है। जिसमें कुछ नाम उजागर हो चुके हैं। कुछ नामों में अभी भी पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है। दरअसल, छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कफ सिरप कोल्ड्रिफ से हुई 26 बच्चों की मौत के केस में जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। अब एसआईटी ने इस केस में डॉक्टर प्रवीण सोनी की पत्नी और अपना मेडिकल स्टोर की संचालक ज्योति सोनी को भी सह-आरोपी बनाया है। जांच में सामने आया है कि सिरप की बोतलें छिपाकर साक्ष्य मिटाने की साजिश में वह भी शामिल थी।
ड्रग विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. प्रवीण सोनी के क्लीनिक से सटा मेडिकल स्टोर अपना मेडिकल ज्योति सोनी के नाम से संचालित है। यहां फार्मासिस्ट सौरभ जैन कार्यरत था। रिपोर्ट में पाया गया कि जहरीले कफ सिरप कोल्ड्रिफ की कुल 74 बोतलों में से 66 बोतलें जांच टीम को नहीं सौंपी गईं। इन्हीं बोतलों में वह जहरीला तत्व मौजूद था, जिससे बच्चों की मौत हुई थी।
एसआईटी को ड्रग विभाग से मिले प्रतिवेदन में स्पष्ट उल्लेख है कि फार्मासिस्ट सौरभ जैन और प्रोपराइटर ज्योति सोनी ने डॉ. प्रवीण सोनी को बचाने के इरादे से सिरप की बोतलें छिपाईं। जांच टीम का कहना है कि यह कृत्य साक्ष्य से छेड़छाड़ की श्रेणी में आता है। इसी आधार पर अब ज्योति सोनी को भी केस में आरोपी बनाया गया है। फिलहाल वह फरार है और पुलिस की टीम उसकी तलाश में दबिश दे रही है।
अब तक इस केस में सात लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें डॉ. प्रवीण सोनी, उनकी पत्नी ज्योति सोनी, फार्मासिस्ट सौरभ जैन, होलसेलर राजेश सोनी, श्रीसन फार्मा के एमआर सतीश वर्मा, कंपनी के डायरेक्टर और एक अन्य डिस्ट्रीब्यूटर शामिल हैं। सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर पुलिस जांच कर रही है।
एसआईटी ने श्रीसन फार्मा के एमआर सतीश वर्मा को चार दिन के रिमांड पर लिया है। वर्मा वही व्यक्ति है जिसने जहरीले सिरप कोल्ड्रिफ की मार्केटिंग की थी। टीम उससे सप्लाई चेन, स्टॉक ट्रांसफर और कंपनी के उत्पादन दस्तावेजों से संबंधित जानकारी जुटा रही है। पुलिस के अनुसार, कई नए तथ्य सामने आ रहे हैं जो जांच के दायरे को और विस्तृत कर सकते हैं।
ड्रग विभाग की प्रारंभिक जांच में पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल नामक जहरीला रसायन मौजूद था, जो किडनी को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर देता है। इसी जहरीले तत्व के कारण 22 बच्चों की मौत हुई थी। रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि दूषित सिरप का बैच बाजार से वापस नहीं मंगवाया गया और कई बोतलें दुकानों पर बेची गईं।
मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन और ड्रग विभाग दोनों सक्रिय हो गए हैं। सभी संदिग्ध दवाओं के स्टॉक जब्त किए जा चुके हैं। साथ ही जिन मेडिकल स्टोर्स पर अनियमितताएं मिलीं, उनके लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।